नई दिल्लीः हाईकोर्ट ने निर्देश दिया कि कोरोना के रैपिड एंटिजेन टेस्टिंग के लिए इस्तेमाल किए गए स्वैब के सुरक्षित निस्तारण संबंधी सभी दिशा-निर्देशों का पालन करें. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने याचिकाकर्ता को निर्देश दिया कि अगर स्वैब के सुरक्षित निस्तारण संबंधी दिशा-निर्देशों का पालन नहीं किया गया, तो वे दोबारा कोर्ट आ सकते हैं.
'टेस्ट में इस्तेमाल किए गए स्वैब खुले में फेंका जा रहा है'
पिछले 1 दिसंबर को सुनवाई के दौरान कोर्ट ने दिल्ली सरकार के वकील को इस मामले में सरकार का पक्ष बताने का निर्देश दिया था. याचिका वकील पंकज मेहता ने दायर किया था. याचिका में कहा गया था कि कोरोना टेस्टिंग से संबंधित कचरे को खुले में फेंक दिया जाता है.
याचिका में कहा गया था कि दक्षिण-पूर्वी दिल्ली के डीएम ऑफिस के पास इस्तेमाल किए गए स्वैब का ढेर लगा हुआ है और वहीं टेस्टिंग भी की जाती है जो काफी खतरनाक है. इस बारे में जब शिकायत की गई, तो जांच करने वाले काउंटर पर बैठने वाले डॉक्टर ने कहा कि ये सभी स्वैब कोरोना निगेटिव लोगों के हैं, इसलिए वहां खड़े होना खतरनाक नहीं है.
'केंद्र ने सुरक्षित प्रबंधन के लिए दिशा-निर्देश जारी किया'
याचिका में कहा गया था कि कोरोना टेस्टिंग के कचरे के निस्तारण के लिए विशेष दिशा-निर्देश जारी किए जाएं. केंद्रीय स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय ने 3 जुलाई को क्लीनिकल मैनेजमेंट प्रोटोकॉल नोटिफिकेशन जारी किया था, जिसमें अस्पतालों और हेल्थकेयर सेंटर्स पर साफ सफाई और कचरे के सुरक्षित प्रबंधन के लिए दिशा-निर्देश जारी किया है, लेकिन इस दिशा-निर्देश का पालन नहीं किया जाता है. याचिका में मांग की गई थी कि दिल्ली के सभी कोरोना टेस्टिंग सेंटर्स का सेफ्टी आडिट किए जाएं.
'धारा 21 का उल्लंघन'
याचिका में कहा गया था कि टेस्टिंग सेंटर्स पर इस तरह की लापरवाही लोगों के जीने के संविधान की धारा 21 का उल्लंघन है. ऐसी स्थिति में कोर्ट को हस्तक्षेप करने की जरूरत है. याचिका में कहा गया था कि सुप्रीम कोर्ट ने अपने कई सारे फैसलों में कहा है कि कोरोना टेस्टिंग और कचरों के निस्तारण से जुड़े दिशा-निर्देश को पालन सुनिश्चित किया जाए ताकि कोरोना के फैलाव और संक्रमण को रोका जा सके.