नई दिल्ली: दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड को 6300 करोड़ के बकाया भुगतान के मामले में बीते गुरूवार को दिल्ली हाईकोर्ट ने केंद्र व दिल्ली सरकार के रुख पर नाराजगी जाहिर की. न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा की पीठ ने कहा कि 2 निर्वाचित सरकारों ने दिल्ली मेट्रो रेल कॉरपोरेशन का गठन किया था. अब यही दोनों सरकारें कह रही हैं कि डीएमआरसी के पास पैसे नहीं है. कोर्ट ने कहा कि, आप कल्पना कीजिए कि बाहरी दुनिया को क्या संदेश दिया जा रहा है कि सरकारी निगम एक बकाया भुगतान से निपटने से मना कर रहा है. कोर्ट ने यह टिप्पणी तब की, जब केंद्र सरकार ने अपना हलफनामा दाखिल कर कहा कि वह दिल्ली एयरपोर्ट मेट्रो एक्सप्रेस प्राइवेट लिमिटेड को अवैतनिक बकाए के भुगतान के लिए डीएमआरसी की संपत्तियों को कुर्क करने की मंजूरी नहीं दे सकता है.
दरअसल केंद्र सरकार के आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय के संयुक्त सचिव द्वारा एक हलफनामा दाखिल किया गया है. यह हलफनामा अदालत के उस निर्देश पर दाखिल किया गया है, जिसमें अदालत ने पूछा था कि क्या वह डीएमआरसी की चल व अचल संपत्तियों की कुर्की की मंजूरी दे सकती है. इस पर केंद्र सरकार ने हलफनामा दाखिल करके कहा है कि, डीएमआरसी की संपत्तियों की कुर्की की मंजूरी देने से ना सिर्फ जनता को काफी असुविधा होगी बल्कि डीएमआरसी बंद हो जाएगी और दिल्ली रुक जाएगी. जनता की संरक्षक होने के नाते ऐसी परिस्थितियों को सुनिश्चित करने के लिए केंद्र सरकार इसकी अनुमति नहीं दे सकती.
डीएमआरसी का पक्ष सुनने के बाद अदालत ने इसके सक्षम प्राधिकारी को तीन मार्च को होने वाली सुनवाई में हिस्सा लेने का निर्देश दिया था, जिससे कि डीएमआरसी के पास उपलब्ध धन के संबंध में समग्र जानकारी ली जा सके. साथ ही केंद्र सरकार के वकील से यह भी कहा कि संपत्तियों की कुर्की की मंजूरी नहीं देने का फैसला करते हुए उसके द्वारा पारित औपचारिक आदेश को रिकॉर्ड पर रखा जाए. गौरतलब है कि 17 फरवरी को अदालत ने दिल्ली सरकार और आवास और शहरी मामलों के मंत्रालय को मामले में पक्षकार बनाया था.
यह भी पढ़ें-दिल्ली हाईकोर्ट ने कहा- यह जरूरी है कि बाहरी पुलिस को बिना सूचना दिए कार्रवाई करने से रोका जाए