नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने 2G-स्पेक्ट्रम केस में CBI की अपील पर जल्द सुनवाई करने से इनकार कर दिया है. अब पहले से ही तय तारीख 24 अक्टूबर को ये मामला दिल्ली हाईकोर्ट में सुनवाई के लिए लिस्ट किया जाएगा.
पिछले 31 मई को CBI की जल्द सुनवाई की मांग पर दिल्ली हाईकोर्ट ने ए राजा समेत इस मामले के सभी आरोपियों को नोटिस जारी किया था. सुनवाई के दौरान CBI ने कहा था कि इस मामले का राष्ट्रीय महत्व है और इसके अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रभाव पड़ सकते है.
पौधारोपण अभियान पूरा करने पर होगी सुनवाई
पिछले 26 मार्च को CBI और ED की याचिका पर दिल्ली हाईकोर्ट ने कोई भी कार्यवाही करने से मना कर दिया था. हाईकोर्ट ने कहा था कि जब तक आरोपी पौधारोपण अभियान पूरा नहीं कर लेते तब तक कोर्ट आगे की कार्यवाही नहीं करेगा. कोर्ट ने मामले की सुनवाई को 24 अक्टूबर तक के लिए स्थगित कर दिया था.
तीन-तीन हजार पेड़ लगाने का दिया था आदेश
पिछले 7 फरवरी को कोर्ट ने पांच आरोपियों को तीन-तीन हजार पेड़ लगाने का आदेश दिया था. जस्टिस नाजिम वजीरी ने जिन आरोपियों को पेड़ लगाने का आदेश दिया था. उनमें स्वान टेलीकॉम के प्रमोटर शाहिद बलवा, कुसेगांव फ्रूट्स एंड वेजिटेबल प्राईवेट लिमिटेड के डायरेक्टर राजीव अग्रवाल के अलावा तीन कंपनियों डीबी रियल्टी, डायनामिक्स रियल्टी और निहार कंस्ट्रक्शन शामिल हैं.
जस्टिस नाजिम वजीरी ने कहा था कि ये सभी पौधे देसी होंगे और उनका रखरखाव और देखभाल आगामी मानसून तक करना होगा.
CBI को जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश
6 मार्च को सुनवाई के दौरान कोर्ट को सूचित किया गया था कि इस मामले के सभी आरोपियों ने अपने जवाब दाखिल कर दिए हैं. उसके बाद कोर्ट ने CBI और ED को जवाबी हलफनामा दाखिल करने का निर्देश दिया था.
ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती
इस मामले में CBI ने ए राजा और कनिमोझी समेत सभी 19 आरोपियों को बरी करने के ट्रायल कोर्ट के फैसले को चुनौती दी है. 2 अगस्त 2018 को मामले की सुनवाई के दौरान एस्सार समूह के प्रमोटर्स रुईया बंधुओं ने जवाब दाखिल करने के लिए कोर्ट से समय की मांग की थी.
25 मई 2018 को कोर्ट ने पूर्व केंद्रीय मंत्री ए राजा और कनिमोझी समेत सभी आरोपियों को नोटिस जारी किया था. हाईकोर्ट ने इसी मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ED) की अपील पर सुनवाई करते हुए सभी आरोपियों को नोटिस जारी किया है.
पटियाला हाउस कोर्ट ने किया था बरी
आपको बता दें कि पटियाला हाउस कोर्ट ने 21 दिसंबर 2017 को फैसला सुनाते हुए सभी आरोपियों को बरी कर दिया था. जज ओपी सैनी ने कहा था कि अभियोजन पक्ष ये साबित करने में नाकाम रहा है कि दो पक्षों के बीच पैसे का लेन देन हुआ है.