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नाबालिग यौन उत्पीड़न मामला: हाईकोर्ट ने अधिकारियों से बाल यौन शोषण के मामलों में पीड़ितों के लिए एसओपी पर सुझाव देने को कहा - मानक संचालन प्रक्रिया

बाल यौन शोषण के मामलों में पीड़ितों के लिए पालन की जानेवाली मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) की तैयारी को लेकर दिल्ली हाईकोर्ट ने विभिन्न एजेंसियों के अधिकारियों से जवाब मांगे हैं. दरअसल हाईकोर्ट ने दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई के दौरान यह संज्ञान लिया है.

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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Sep 15, 2023, 6:55 AM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को बाल यौन शोषण के मामलों में पीड़ितों के लिए पालन की जाने वाली मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) की तैयारी पर दिल्ली सरकार और बाल अधिकार एजेंसियों सहित विभिन्न अधिकारियों से सुझाव मांगे. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा एवं न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी), राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर), दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर), दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) से जवाब मांगा है.

दरअसल, पीठ एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे दिल्ली सरकार के निलंबित अधिकारी प्रेमोदय खाखा द्वारा कथित तौर पर एक नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न के मामले का संज्ञान लेने के बाद शुरू किया गया था. दिल्ली हाईकोर्ट ने छह सितंबर को स्वतः मामले का संज्ञान लिया था. सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व कर रही अतिरिक्त स्थायी अधिवक्ता रूपाली बंधोपाध्याय ने पीठ को सूचित किया कि उन्होंने मामले में एक स्थिति रिपोर्ट दायर की है. हालांकि, पीठ ने कहा कि रिपोर्ट रिकॉर्ड पर नहीं है.

पीठ ने वकील से सुनवाई की अगली तारीख छह अक्टूबर से पहले इस रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लाने को कहा है. हाईकोर्ट ने डीसीपीसीआर को भी याचिका में पक्षकार बनाया है. इस मामले में उसके द्वारा उठाए गए कदमों को रिकॉर्ड पर रखने को भी कहा है. पीठ ने 28 अगस्त को अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि पीड़िता की पहचान किसी भी तरह से उजागर न हो और उसे उचित सुरक्षा और मुआवजा मिले. उल्लेखनीय है कि पिछली सुनवाई के दौरान पीठ ने दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग, दिल्ली पुलिस और केन्द्र से मामले में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था.

उल्लेखनीय है कि 21 अगस्त को नाबालिग के यौन शोषण के आरोप में दिल्ली सरकार के 51 साल के अधिकारी प्रेमोदय खाखा और उसकी 50 साल की पत्नी सीमा रानी को गिरफ्तार किया था. पुलिस पूछताछ में पाया गया था कि खाखा की पत्नी ने पीड़िता को धमकाया था और उसने गर्भपात कराने के लिए कहा था. प्रेमोदय खाखा महिला और बाल विकास विभाग में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर तैनात था. दिल्ली सरकार ने आरोप लगने के बाद उसे सस्पेंड कर दिया था. दिल्ली पुलिस ने इस मामले में रेप, छेड़छाड़, आपराधिक साजिश, चोट पहुंचाने, बिना इच्छा गर्भपात कराने और पॉक्सो एक्ट समेत कई अन्य धाराओं में केस दर्ज किया था. अभी पति-पत्नी दोनों न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद हैं.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने गुरुवार को बाल यौन शोषण के मामलों में पीड़ितों के लिए पालन की जाने वाली मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) की तैयारी पर दिल्ली सरकार और बाल अधिकार एजेंसियों सहित विभिन्न अधिकारियों से सुझाव मांगे. मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा एवं न्यायमूर्ति संजीव नरूला की पीठ ने बाल कल्याण समिति (सीडब्ल्यूसी), राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर), दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर), दिल्ली महिला आयोग (डीसीडब्ल्यू) से जवाब मांगा है.

दरअसल, पीठ एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसे दिल्ली सरकार के निलंबित अधिकारी प्रेमोदय खाखा द्वारा कथित तौर पर एक नाबालिग लड़की के यौन उत्पीड़न के मामले का संज्ञान लेने के बाद शुरू किया गया था. दिल्ली हाईकोर्ट ने छह सितंबर को स्वतः मामले का संज्ञान लिया था. सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व कर रही अतिरिक्त स्थायी अधिवक्ता रूपाली बंधोपाध्याय ने पीठ को सूचित किया कि उन्होंने मामले में एक स्थिति रिपोर्ट दायर की है. हालांकि, पीठ ने कहा कि रिपोर्ट रिकॉर्ड पर नहीं है.

पीठ ने वकील से सुनवाई की अगली तारीख छह अक्टूबर से पहले इस रिपोर्ट को रिकॉर्ड पर लाने को कहा है. हाईकोर्ट ने डीसीपीसीआर को भी याचिका में पक्षकार बनाया है. इस मामले में उसके द्वारा उठाए गए कदमों को रिकॉर्ड पर रखने को भी कहा है. पीठ ने 28 अगस्त को अधिकारियों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया था कि पीड़िता की पहचान किसी भी तरह से उजागर न हो और उसे उचित सुरक्षा और मुआवजा मिले. उल्लेखनीय है कि पिछली सुनवाई के दौरान पीठ ने दिल्ली सरकार के महिला एवं बाल विकास विभाग, दिल्ली पुलिस और केन्द्र से मामले में रिपोर्ट दाखिल करने को कहा था.

उल्लेखनीय है कि 21 अगस्त को नाबालिग के यौन शोषण के आरोप में दिल्ली सरकार के 51 साल के अधिकारी प्रेमोदय खाखा और उसकी 50 साल की पत्नी सीमा रानी को गिरफ्तार किया था. पुलिस पूछताछ में पाया गया था कि खाखा की पत्नी ने पीड़िता को धमकाया था और उसने गर्भपात कराने के लिए कहा था. प्रेमोदय खाखा महिला और बाल विकास विभाग में डिप्टी डायरेक्टर के पद पर तैनात था. दिल्ली सरकार ने आरोप लगने के बाद उसे सस्पेंड कर दिया था. दिल्ली पुलिस ने इस मामले में रेप, छेड़छाड़, आपराधिक साजिश, चोट पहुंचाने, बिना इच्छा गर्भपात कराने और पॉक्सो एक्ट समेत कई अन्य धाराओं में केस दर्ज किया था. अभी पति-पत्नी दोनों न्यायिक हिरासत में तिहाड़ जेल में बंद हैं.

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