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दिल्ली हिंसा: वकील राहुल मेहरा को स्टेटस रिपोर्ट दायर करने की मिली मंजूरी - दिल्ली हिंसा

दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा को स्टेटस रिपोर्ट दायर करने की मंजूरी दे दी है. दरअसल मेहरा ने उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा की साजिश रचने के मामले में ट्रायल कोर्ट की ओर से चार्जशीट दाखिल करने के लिए दो महीने का समय देने की मांग की थी.

delhi govt lawyer rahul mehra gets approval to file status report in delhi violence case
स्टेटस रिपोर्ट दायर करने की अनुमति वकील राहुल मेहरा को मिली
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Published : Jul 7, 2020, 8:03 PM IST

नई दिल्ली: उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा की साजिश रचने के मामले में ट्रायल कोर्ट की ओर से चार्जशीट दाखिल करने के लिए दो महीने का समय देने की मांग के मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा को स्टेटस रिपोर्ट दायर करने की मंजूरी दे दी है. मेहरा ने केंद्र के वकील की ओर से स्टेटस रिपोर्ट दायर किए जाने का विरोध किया था.

स्टेटस रिपोर्ट दायर करने की अनुमति वकील राहुल मेहरा को मिली

राहुल मेहरा दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व करेंगे


दिल्ली हाईकोर्ट ने साफ किया कि वह इस विवाद पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहा है कि मामले में केंद्र सरकार के वकील को उपराज्यपाल ने रिपोर्ट दायर करने के लिए वैधानिक रूप से अधिकृत किया है या नहीं. जस्टिस सुरेश कैत ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वो राहुल मेहरा को कोर्ट में पैरवी करने के लिए निर्देश दें. चार्जशीट दाखिल करने के लिए दो महीने का और समय देने को कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां ने चुनौती दी है. इशरत जहां की याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने कहा है कि चार्जशीट दाखिल करने के लिए समय बढ़ाने के लिए उचित कारण हैं.

ट्रायल कोर्ट का फैसला गलत


दिल्ली पुलिस ने इशरत जहां की याचिका जुर्माने के साथ खारिज करने की मांग की है. दिल्ली पुलिस ने कहा है कि चार्जशीट बढ़ाने के पीछे वैध कारण है. पिछले 24 जून को हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था. इशरत जहां की ओर से वकील ललित वालेचा और मनु शर्मा ने पटियाला हाउस कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाने की मांग की, जिसमें हिंसा की साजिश रचने के मामले में चार्जशीट दाखिल करने के लिए दो महीने का और समय दिया गया है. उन्होंने कहा कि ट्रायल कोर्ट का फैसला गलत है. यह जनतांत्रिक और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. त्वरित और निष्पक्ष न्याय पाना न्याय प्रणाली का मौलिक गुण है.

समय बढ़ाने की मांग न्यायसंगत नहीं


याचिका में कहा गया है कि पटियाला हाउस कोर्ट के एडिशनल सेशंस जज धर्मेंद्र राणा ने पिछले 17 जून को स्पेशल सेल की अर्जी पर ये आदेश दिया था. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली पुलिस ने कानून का दुरुपयोग किया है. चार्जशीट दाखिल करने के लिए समय बढ़ाने की मांग करना न्यायसंगत नहीं है. याचिका में इशरत जहां के खिलाफ अतिरिक्त धाराएं लगाने पर सवाल उठाया गया है क्योंकि वह सिर्फ शांतिपूर्ण प्रदर्शन की पक्षधर थी.

यूएपीए के तहत एफआईआर दर्ज


स्पेशल सेल ने दिल्ली हिंसा के मामले में साजिश रचने के आरोप में यूएपीए के तहत एफआईआर दर्ज की है. स्पेशल सेल ने जिन लोगों के खिलाफ यूएपीए के तहत एफआईआर दर्ज की है, उनमें इशरत जहां, खालिद सैफी, सफूरा जरगर, गुलफिशा फातिमा, नताशा नरवाल, देवांगन कलीता और ताहिर हुसैन के नाम प्रमुख हैं. ये सभी आरोपी फिलहाल जेल में बंद हैं. स्पेशल सेल ने एफआईआर में जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद का भी नाम लिया है, लेकिन अभी तक उसे गिरफ्तार नहीं किया गया है. स्पेशल सेल के मुताबिक उमर खालिद ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत आगमन के पहले अन्य आरोपियों के साथ दिल्ली में दंगों की साजिश रची थी.

मुख्य साजिशकर्ता अभी गिरफ्तार नहीं


स्पेशल सेल ने ट्रायल कोर्ट से चार्जशीट दाखिल करने के लिए 17 सितंबर तक का समय देने की मांग की थी. स्पेशल सेल ने कहा था कि लॉकडाउन की वजह से जांच पूरी नहीं हो सकी है. कोर्ट ने इस बात पर गौर किया कि इस केस से संबंधित कॉल डिटेल रिकॉर्ड और ई-मेल का परीक्षण किया जाना बाकी है. इस मामले के मुख्य साजिशकर्ताओं को अभी गिरफ्तार किया जाना बाकी है. उनकी पहचान कर उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिशें की जा रही हैं. लॉकडाउन की वजह से एक आरोपी खालिद सैफी के मोबाइल फोन का डाटा रिकवर नहीं किया जा सका है. इसके अलावा अभी दिल्ली सरकार के अभियोजन विभाग से अभियोजन के लिए अनुमति लेना बाकी है.


दिल्ली पुलिस के पास कोई साक्ष्य नहीं


स्पेशल सेल की अर्जी का आरोपियों के वकील ने विरोध करते हुए कहा था कि उनके मुवक्किलों को फर्जी तरीके से फंसाया गया है. दिल्ली पुलिस के पास इसके कोई साक्ष्य नहीं है. यही वजह है कि वे चार्जशीट दाखिल करने के लिए समय देने की मांग कर रहे हैं. एक आरोपी गुलफिशा फातिमा की ओर से वकील महमूद प्राचा ने कहा कि एफआईआर में उनके मुवक्किल का नाम तक नहीं लिया गया है. ये केस झूठे तरीके से दर्ज किया गया है. दिल्ली दंगों के मामले में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच अब तक करीब सौ चार्जशीट दाखिल कर चुकी है. आमतौर पर यूएपीए के तहत 90 दिनों में चार्जशीट दाखिल किए जाते हैं. यूएपीए के मामले में अंतिम रिपोर्ट 180 दिन के अंदर भी दाखिल किए जा सकते हैं. इसके बाद यूएपीए के आरोपी जमानत के हकदार हो सकते हैं.

नई दिल्ली: उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुई हिंसा की साजिश रचने के मामले में ट्रायल कोर्ट की ओर से चार्जशीट दाखिल करने के लिए दो महीने का समय देने की मांग के मामले पर दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार के वकील राहुल मेहरा को स्टेटस रिपोर्ट दायर करने की मंजूरी दे दी है. मेहरा ने केंद्र के वकील की ओर से स्टेटस रिपोर्ट दायर किए जाने का विरोध किया था.

स्टेटस रिपोर्ट दायर करने की अनुमति वकील राहुल मेहरा को मिली

राहुल मेहरा दिल्ली पुलिस का प्रतिनिधित्व करेंगे


दिल्ली हाईकोर्ट ने साफ किया कि वह इस विवाद पर कोई टिप्पणी नहीं कर रहा है कि मामले में केंद्र सरकार के वकील को उपराज्यपाल ने रिपोर्ट दायर करने के लिए वैधानिक रूप से अधिकृत किया है या नहीं. जस्टिस सुरेश कैत ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया कि वो राहुल मेहरा को कोर्ट में पैरवी करने के लिए निर्देश दें. चार्जशीट दाखिल करने के लिए दो महीने का और समय देने को कांग्रेस की पूर्व पार्षद इशरत जहां ने चुनौती दी है. इशरत जहां की याचिका का विरोध करते हुए दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने कहा है कि चार्जशीट दाखिल करने के लिए समय बढ़ाने के लिए उचित कारण हैं.

ट्रायल कोर्ट का फैसला गलत


दिल्ली पुलिस ने इशरत जहां की याचिका जुर्माने के साथ खारिज करने की मांग की है. दिल्ली पुलिस ने कहा है कि चार्जशीट बढ़ाने के पीछे वैध कारण है. पिछले 24 जून को हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया था. इशरत जहां की ओर से वकील ललित वालेचा और मनु शर्मा ने पटियाला हाउस कोर्ट के उस आदेश पर रोक लगाने की मांग की, जिसमें हिंसा की साजिश रचने के मामले में चार्जशीट दाखिल करने के लिए दो महीने का और समय दिया गया है. उन्होंने कहा कि ट्रायल कोर्ट का फैसला गलत है. यह जनतांत्रिक और मौलिक अधिकारों का उल्लंघन है. त्वरित और निष्पक्ष न्याय पाना न्याय प्रणाली का मौलिक गुण है.

समय बढ़ाने की मांग न्यायसंगत नहीं


याचिका में कहा गया है कि पटियाला हाउस कोर्ट के एडिशनल सेशंस जज धर्मेंद्र राणा ने पिछले 17 जून को स्पेशल सेल की अर्जी पर ये आदेश दिया था. याचिका में कहा गया है कि दिल्ली पुलिस ने कानून का दुरुपयोग किया है. चार्जशीट दाखिल करने के लिए समय बढ़ाने की मांग करना न्यायसंगत नहीं है. याचिका में इशरत जहां के खिलाफ अतिरिक्त धाराएं लगाने पर सवाल उठाया गया है क्योंकि वह सिर्फ शांतिपूर्ण प्रदर्शन की पक्षधर थी.

यूएपीए के तहत एफआईआर दर्ज


स्पेशल सेल ने दिल्ली हिंसा के मामले में साजिश रचने के आरोप में यूएपीए के तहत एफआईआर दर्ज की है. स्पेशल सेल ने जिन लोगों के खिलाफ यूएपीए के तहत एफआईआर दर्ज की है, उनमें इशरत जहां, खालिद सैफी, सफूरा जरगर, गुलफिशा फातिमा, नताशा नरवाल, देवांगन कलीता और ताहिर हुसैन के नाम प्रमुख हैं. ये सभी आरोपी फिलहाल जेल में बंद हैं. स्पेशल सेल ने एफआईआर में जेएनयू के पूर्व छात्र उमर खालिद का भी नाम लिया है, लेकिन अभी तक उसे गिरफ्तार नहीं किया गया है. स्पेशल सेल के मुताबिक उमर खालिद ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के भारत आगमन के पहले अन्य आरोपियों के साथ दिल्ली में दंगों की साजिश रची थी.

मुख्य साजिशकर्ता अभी गिरफ्तार नहीं


स्पेशल सेल ने ट्रायल कोर्ट से चार्जशीट दाखिल करने के लिए 17 सितंबर तक का समय देने की मांग की थी. स्पेशल सेल ने कहा था कि लॉकडाउन की वजह से जांच पूरी नहीं हो सकी है. कोर्ट ने इस बात पर गौर किया कि इस केस से संबंधित कॉल डिटेल रिकॉर्ड और ई-मेल का परीक्षण किया जाना बाकी है. इस मामले के मुख्य साजिशकर्ताओं को अभी गिरफ्तार किया जाना बाकी है. उनकी पहचान कर उन्हें गिरफ्तार करने की कोशिशें की जा रही हैं. लॉकडाउन की वजह से एक आरोपी खालिद सैफी के मोबाइल फोन का डाटा रिकवर नहीं किया जा सका है. इसके अलावा अभी दिल्ली सरकार के अभियोजन विभाग से अभियोजन के लिए अनुमति लेना बाकी है.


दिल्ली पुलिस के पास कोई साक्ष्य नहीं


स्पेशल सेल की अर्जी का आरोपियों के वकील ने विरोध करते हुए कहा था कि उनके मुवक्किलों को फर्जी तरीके से फंसाया गया है. दिल्ली पुलिस के पास इसके कोई साक्ष्य नहीं है. यही वजह है कि वे चार्जशीट दाखिल करने के लिए समय देने की मांग कर रहे हैं. एक आरोपी गुलफिशा फातिमा की ओर से वकील महमूद प्राचा ने कहा कि एफआईआर में उनके मुवक्किल का नाम तक नहीं लिया गया है. ये केस झूठे तरीके से दर्ज किया गया है. दिल्ली दंगों के मामले में दिल्ली पुलिस की क्राइम ब्रांच अब तक करीब सौ चार्जशीट दाखिल कर चुकी है. आमतौर पर यूएपीए के तहत 90 दिनों में चार्जशीट दाखिल किए जाते हैं. यूएपीए के मामले में अंतिम रिपोर्ट 180 दिन के अंदर भी दाखिल किए जा सकते हैं. इसके बाद यूएपीए के आरोपी जमानत के हकदार हो सकते हैं.

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