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कोरोना मरीजों के लिए बेड आरक्षित करने की मांग पर विचार करे दिल्ली सरकार- HC - Delhi government

सीनियर कैंसर सर्जन डॉ अंशुमन कुमार द्वारा दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को आदेश दिया है कि सरकार निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए बेड के आरक्षण की मांग पर विचार करे.

high court
दिल्ली हाईकोर्ट
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Published : Jun 3, 2020, 3:26 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वो दिल्ली के निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के बेड के आरक्षण की मांग पर विचार करे. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये हुई सुनवाई के बाद ये आदेश दिया.



बेड के आरक्षण पर जल्द फैसला करें

कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वो याचिकाकर्ता की याचिका पर जल्द ही फैसला करें. याचिका सीनियर कैंसर सर्जन डॉ अंशुमन कुमार ने दायर की थी. याचिकाकर्ता की ओर से वकील गौरव बंसल ने हाईकोर्ट से कहा था कि दिल्ली सरकार की ओर से 24 मई को जारी नोटिफिकेशन केंद्र सरकार के 28 मार्च के नोटिफिकेशन का उल्लंघन करता है. दिल्ली सरकार के नोटिफिकेशन से दिल्ली के 117 अस्पताल कोरोना के सुपर स्प्रेडर साबित होंगे.

केंद्र के नोटिफिकेशन का उल्लंघन

याचिका में कहा गया था कि 28 मार्च के केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन के मुताबिक ये जरूरी है कि कुछ और अस्पतालों को कोरोना अस्पताल घोषित किया जाए. अगर और अस्पतालों को कोरोना अस्पताल बनाना संभव नहीं हो तो उन अस्पतालों में बीस फीसदी बेड कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित किये जाए, जहां इसके लिए अलग से ब्लॉक हों। उस अस्पताल में प्रवेश और निकास के लिए अलग से गेट हों ताकि कोरोना के मरीजों का अलग से इलाज किया जा सके.



मरीज केंद्रित अस्पताल से समुदाय केंद्रित अस्पताल हों

याचिका में कहा गया था कि सामान्य स्थिति में अस्पतालों में मरीज केंद्रित व्यवस्था होती है. लेकिन कोरोना के संकट के दौरान मरीज केंद्रित व्यवस्था से समुदाय केंद्रित रुख अख्तियार करने की जरुरत है. अस्पतालों में भर्ती गैर कोरोना मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता पहले ही कम होती है. ऐसे में दिल्ली सरकार का गैर कोरोना मरीजों के साथ कोरोना मरीजों इलाज करना उनकी समस्या और बढ़ा देगा.

नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया है कि वो दिल्ली के निजी अस्पतालों में कोरोना मरीजों के बेड के आरक्षण की मांग पर विचार करे. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने वीडियो कांफ्रेसिंग के जरिये हुई सुनवाई के बाद ये आदेश दिया.



बेड के आरक्षण पर जल्द फैसला करें

कोर्ट ने दिल्ली सरकार को निर्देश दिया कि वो याचिकाकर्ता की याचिका पर जल्द ही फैसला करें. याचिका सीनियर कैंसर सर्जन डॉ अंशुमन कुमार ने दायर की थी. याचिकाकर्ता की ओर से वकील गौरव बंसल ने हाईकोर्ट से कहा था कि दिल्ली सरकार की ओर से 24 मई को जारी नोटिफिकेशन केंद्र सरकार के 28 मार्च के नोटिफिकेशन का उल्लंघन करता है. दिल्ली सरकार के नोटिफिकेशन से दिल्ली के 117 अस्पताल कोरोना के सुपर स्प्रेडर साबित होंगे.

केंद्र के नोटिफिकेशन का उल्लंघन

याचिका में कहा गया था कि 28 मार्च के केंद्र सरकार के नोटिफिकेशन के मुताबिक ये जरूरी है कि कुछ और अस्पतालों को कोरोना अस्पताल घोषित किया जाए. अगर और अस्पतालों को कोरोना अस्पताल बनाना संभव नहीं हो तो उन अस्पतालों में बीस फीसदी बेड कोरोना मरीजों के लिए आरक्षित किये जाए, जहां इसके लिए अलग से ब्लॉक हों। उस अस्पताल में प्रवेश और निकास के लिए अलग से गेट हों ताकि कोरोना के मरीजों का अलग से इलाज किया जा सके.



मरीज केंद्रित अस्पताल से समुदाय केंद्रित अस्पताल हों

याचिका में कहा गया था कि सामान्य स्थिति में अस्पतालों में मरीज केंद्रित व्यवस्था होती है. लेकिन कोरोना के संकट के दौरान मरीज केंद्रित व्यवस्था से समुदाय केंद्रित रुख अख्तियार करने की जरुरत है. अस्पतालों में भर्ती गैर कोरोना मरीजों की रोग प्रतिरोधक क्षमता पहले ही कम होती है. ऐसे में दिल्ली सरकार का गैर कोरोना मरीजों के साथ कोरोना मरीजों इलाज करना उनकी समस्या और बढ़ा देगा.

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