नई दिल्ली: दिल्ली सरकार ने राजधानी में बढ़ते प्रदूषण स्तर को देखते हुए "रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ" अभियान की फाइल दोबारा एलजी को भेजी है. दिल्ली सरकार ने एलजी को इसे लागू करने के पक्ष में कई भी सबूत भेजे हैं. ऐसे अभियान भारत के 40 शहरों में चलाये गए हैं. इसके अलावा ऐसे अभियान चलाने वालों में अमेरिका और ब्रिटेन भी शामिल हैं. सीआरआरआई के मुताबिक़ केवल 20 फीसदी लोग लालबत्ती पर अपनी गाड़ी बंद करते हैं. इस अभियान से 80 फीसदी लोग लालबत्ती पर अपनी गाड़ी बंद कर देते हैं.
तत्काल अनुमति देने की गुहार : दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय (Delhi Environment Minister Gopal Rai) ने कहा कि प्रदूषण के बढ़ते स्तर को देखते हुए एलजी तत्काल "रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ" अभियान की अनुमति दें. देश और दुनिया में कई जगह इस तरह का अभियान चलाया गया है. प्रदूषण रोकने के लिए हर स्तर पर पहल करना हम सबकी जिम्मेदारी है.
दिल्ली के पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने सिविल लाइंस में आज अपने आवास पर महत्वपूर्ण प्रेस वार्ता की. उन्होंने कहा कि सर्दियों में दिल्ली में प्रदूषण की स्थिति बहुत ही चिंताजनक हो जाती है. ठंड के मौसम हवा की गति कम होने और ठंड बढ़ने के कारण प्रदूषण काफी बढ़ जाता है. एक अनुमान के मुताबिक 1 नवंबर से हवा की गति 4 से 8 किलोमीटर प्रति घंटा होने की संभावना है. जिससे प्रदूषण का स्तर और बढ़ने की आशंका है. इसलिए ग्रेप के तीन दिन पहले से ही दिल्ली में ग्रेप के तीसरे चरण को लागू कर दिया गया है. जिसके तहत दिल्ली में निर्माण एवं विध्वंस की गतिविधियों पर पूर्ण प्रतिबंध लगा दिया गया है.
अरविंद केजरीवाल की सरकार ने सर्दियों में प्रदूषण से निपटने के लिए 15 सूत्री कार्यक्रम बनाकर उस पर अमल कर युद्धस्तर पर प्रदूषण रोकने का प्रयास कर रही है. पराली को जलाने के लिए बायो-डिकंपोजर का प्रयोग, बायोमास बर्निंग पर रोक, एंटी डस्ट अभियान के तहत जारी दिशा-निर्देशों का पालन करवाना, पूरी दिल्ली एंटी स्मोग गन से पानी का छिड़काव इत्यादि कई काम दिल्ली सरकार कर रही है. उन्होंने कहा कि दिल्ली में वाहन प्रदूषण से निपटने के लिए दिल्ली सरकार ने “रेड लाइट ऑन, गाड़ी ऑफ” अभियान को चलाने के लिए उपराज्यपाल के पास फाइल भेजी थी, लेकिन एलजी ने इस अभियान को रोकने के लिए कुछ आपत्ति लगाकर फाइल को वापस भेज दिया. हम उनकी सभी आपत्तियों के उत्तर के साथ फाइल एजजी के पास फिर भेज रहे हैं. उनसे निवेदन किया गया है कि दिल्ली में एक इमरजेंसी सिचुएशन बन रही है. प्रदूषण को रोकने के लिए हर स्तर से प्रयास करने की जरूरत है. इसलिए वे इस अभियान को चलाने की अनुमति प्रदान करें.
ये भी पढ़ें :- दिल्ली में 1 नवंबर से बंद हो जाएंगी योग की 590 क्लासेस, LG पर सिसोदिया ने लगाया डराने का आरोप
इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा दे रही सरकार : पर्यावरण मंत्री गोपाल राय ने कहा कि दिल्ली सरकार दिल्ली में वाहन प्रदूषण को रोकने के लिए इलेक्ट्रिक व्हीकल को बढ़ावा दे रही है. वाहनों के प्रदूषण सर्टिफिकेट की गहन चेकिंग की जा रही है. साथ ही अगर हम “रेड लाईट ऑन, गाड़ी ऑफ” अभियान को भी प्रारम्भ करते हैं तो वायु प्रदूषण रोकने पर इसका काफी सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा. हमने 2020 में इस अभियान को शुरू किया था. इसका आधार देश के अलग-अलग हिस्से में किए गए अध्ययन को बनाया गया. भारत सरकार के विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्रालय के तहत, औद्योगिक अनुसंधान परिषद एवं केन्द्रीय सड़क अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों के द्वारा 2019 में एक अध्ययन किया गया था. जिसके अनुसार रेडलाइट पर गाड़ियों के इंजन बंद न होने के कारण 9 प्रतिशत अधिक प्रदूषण फैलता है. इसके साथ-साथ दिल्ली के अंदर एक और अध्ययन किया गया. दिल्ली में पीसीआरए और पेट्रोलियम संरक्षण साझेदारी के तहत भीकाजी कामा रेडलाइट पर एक अध्ययन किया गया. वहां पर बिना अभियान के जब सर्वे हुआ तो 20 प्रतिशत लोग रेडलाइट पर अपना इंजन बंद कर देते थे. जबकि 80 प्रतिशत लोग अपने वाहन का इंजन बंद नहीं करते थे. ऐसे में वहां पर प्लेकार्ड वालेंटियरर्स ने अभियान शुरू किया. अभियान के बाद जब सर्वे किया गया तो पाया गया कि 62.33 प्रतिशत लोगों ने अपनी गाड़ी का इंजन बंद करना शुरू कर दिया.
जागरूकता अभियान का पड़ा बहुत असर : मंत्री गोपाल राय ने कहा कि इस अध्ययन के दौरान यह देखा गया कि जागरूकता अभियान से पहले केवल 13.64 फीसदी कार चालकों ने वाहन के इंजन को रेड लाइट होने पर बंद किया. लेकिन जागरूकता अभियान के दौरान यह 46.45 फीसदी हो गया. इसी तरह दुपहिया वाहन 42.73 फीसदी से बढ़कर 83.72 फीसदी और तिपहिया वाहन 30.49 फीसदी से बढ़कर 81.33 फीसदी हो गए. बसों की संख्या 6.94 फीसदी से 28 फीसदी और ट्रकों की संख्या 17.54 फीसदी से 43.02 फीसदी हो गई. इस अभियान के बाद लाल बत्ती पर इंजन बंद करने वाले वाहनों की संख्या पहले की तुलना में अधिक थी. इस अभियान के समाप्त होने के बाद 33.48 प्रतिशत कार चालकों, 80.12 प्रतिशत दोपहिया, 77.66 प्रतिशत तिपहिया, 20.72 प्रतिशत बसों और 37.43 प्रतिशत ट्रकों ने अपने इंजन बंद कर दिए. गोपाल राय ने कहा कि इस प्रकार का अभियान अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर कई शहरों में भी किया गया है. लंदन में इस अभियान को “इंजन ऑफ एवरी स्टाफ” के नाम से चलाया गया. संयुक्त राज्य अमेरिका के उत्तरी केरोलीना के शहरों में भी “टर्न ऑफ योर इंजन” के नाम से इसी प्रकार का अभियान चलाया गया था. इसके साथ- साथ अमेरिका के साल्ट लेक सिटी में भी एक कैम्पेन चलाया गया. यह उन लोगों के लिए चलाया गया था जो अपनी गाड़ी का इंजन स्टार्ट रख कर चौराहों, बाजारों में अपने साथी का इंतजार करते हैं. इस अभियान के बाद 10 में से 8 लोगों ने अपने गाड़ी के इंजन को बंद करना शुरू कर दिया. शहर भर में अभियान के तहत 100 व्यस्त चौराहों पर रेड लाइट होने पर वाहन को बंद करने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए 2,500 सिविल डिफेंस वालंटियर्स को तैनात किया जाना है. इससे वाहनों के प्रदूषण को 15-20 फीसदी तक कम किया जा सकता है.
ये भी पढ़ें :- ग्रेटर नोएडा आ रहीं हैं राष्ट्रपति, बदला रहेगा नोएडा का रूट, देखें रूट चार्ट
ऐसी ही जरूरी और विश्वसनीय खबरों के लिए डाउनलोड करें ईटीवी भारत एप