नई दिल्ली: दिल्ली की सत्ता पर 'बिजली बिल हाफ, पानी बिल माफ' का वादा कर काबिज हुई आम आदमी पार्टी ने जब कार्यभार संभाला तो एजेंडे में सबसे ऊपर शिक्षा को रखा. दूसरे पायदान पर स्वास्थ्य को. केजरीवाल सरकार ने पूर्व की सरकारों से करीब दोगुना अधिक बजट शिक्षा के लिए रखा. दिल्ली के कुल बजट का 24 से 25 फीसद बजट इस सरकार ने प्रत्येक वर्ष शिक्षा के मद में आवंटन किया. इसे किस तरह उपयोग करना है, इसकी रूपरेखा दिल्ली के शिक्षा मंत्री होने के नाते मनीष सिसोदिया ने तैयार की थी.
स्कूलों में बुनियादी सुविधाओं से लेकर पढ़ने-पढ़ाने के स्तर को बढ़ाने की दिशा में उसने काम करना शुरू किया, जिसे आज आम आदमी पार्टी अपने सरकार की एक बड़ी उपलब्धि के तौर पर बता रही है. शिक्षा मंत्री इस समय शराब घोटाले के आरोप में सीबीआई के रिमांड पर हैं तो ऐसे में विपक्ष के नेता मुखर होकर बोल रहे हैं कि शिक्षा ने जिन्हें उठाया, उन्हें शराब ने डूबो दिया. यह बात आम आदमी पार्टी सरकार क्यों नहीं मानती?
दिल्ली में आम आदमी पार्टी सरकार द्वारा नई शराब नीति लागू करने के साथ ही इसमें ढेरों अनियमितता की शिकायत पहले बीजेपी ने फिर कांग्रेस के नेताओं ने उपराज्यपाल से की थी. आरोप लगाया कि मनीष सिसोदिया ने जानबूझकर ऐसी आबकारी नीति बनाई, जिससे शराब विक्रेताओं को फायदा हो. उन्होंने आरोप लगाया कि शराब विक्रेताओं ने आम आदमी पार्टी को पैसे दिए हैं और इसकी रूपरेखा तभी बननी शुरू हो गई, जब वर्ष 2020 में अरविंद केजरीवाल प्रचंड बहुमत के साथ तीसरी बार सरकार में आए थे.
![गिरफ्तारी के बाद AAP ने जारी किया पोस्टर.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/del-ndl-01-manish-sisodia-spl-vis-7201354_28022023132657_2802f_1677571017_869.jpg)
जिस दिन विदेश में बजा डंका, उसके अगले दिन CBI छापाः यह एक संयोग है कि 16 अगस्त 2022 को अरविंद केजरीवाल ने न्यूयॉर्क टाइम्स में प्रकाशित एक लेख को ट्वीट करते हुए कहा था कि दिल्ली ने भारत को गौरवान्वित किया है. अमेरिका के सबसे बड़े अखबार के फ्रंट पेज पर दिल्ली का शिक्षा मॉडल छपा है. इसके बाद आम आदमी पार्टी सरकार ने जब जश्न मनाना शुरू ही किया था कि अगले ही दिन 17 अगस्त 2022 को सीबीआई ने उपराज्यपाल से मिली स्वीकृति के बाद शराब घोटाले में एफआईआर दर्ज की और इसमें मनीष सिसोदिया को आरोपी नंबर एक बनाया. दो दिन बाद यानी 19 अगस्त 2022 को पहली बार शराब घोटाले की जांच के लिए सीबीआई ने मनीष सिसोदिया के मथुरा रोड स्थित सरकारी निवास पर छापा मारा और यह सिलसिला फिर चलता रहा.
सचिवालय से लेकर मनीष सिसोदिया के बैंक लॉकर और उनके पैतृक निवास पर सर्च करने के बाद सीबीआई ने 26 फरवरी को सिसोदिया को जब पूछताछ के लिए बुलाया तो उन्हें जांच में सहयोग नहीं करने पर गिरफ्तार कर लिया है. आम आदमी पार्टी के सांसद संजय सिंह, मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी पर खुलकर कहते हैं कि लाखों बच्चों का भविष्य बनाने वाले सिसोदिया को जेल में डाला जा रहा है, लेकिन लाखों करोड़ों रुपये का घोटाला करने वाले प्रधानमंत्री का मित्र अडानी है उस पर कोई कार्रवाई नहीं होती है यह दुर्भाग्यपूर्ण है.
![CM केजरीवाल ने साधा निशाना.](https://etvbharatimages.akamaized.net/etvbharat/prod-images/del-ndl-01-manish-sisodia-spl-vis-7201354_28022023132657_2802f_1677571017_584.jpg)
जांच में दूध का दूध, पानी का पानी होगाः वहीं, बीजेपी सांसद मनोज तिवारी कहते हैं कि शिक्षा मंत्री मनीष सिसोदिया हैं तो उन्हें यह नहीं भूलना चाहिए कि वह दिल्ली सरकार के आबकारी विभाग के मंत्री भी हैं. उनके संज्ञान में शराब नीति बनाई गई और इसमें करोड़ों का घोटाला हुआ है. सीबीआई जांच कर रही है तो इसमें आप पार्टी और उनके नेताओं को क्यों परेशानी हो रही है. वे सहयोग करें अगर जांच एजेंसी गलत है तो वह भी दूध का दूध और शराब का शराब हो जाएगा. वह कहते हैं कि आम आदमी पार्टी के नेता बार-बार कहते हैं कि शिक्षा मंत्री को पकड़ लिया. क्योंकि उन्हें शराब मंत्री कहने में शर्म आ रही है. शराब मंत्री के मामले को शिक्षा से जोड़कर मुद्दे से भटकाने की नाकाम कोशिश आम आदमी पार्टी कर रही है. उन्होंने कहा कि जो भ्रष्टाचार करता है वह प्रदर्शन नहीं करता बल्कि कोर्ट में अपनी बेगुनाही साबित करता है.
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पॉलिसी सही थी तो वापस क्यों ली?: दिल्ली बीजेपी के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेंद्र सचदेवा कहते हैं कि पूरी आम आदमी पार्टी मनीष सिसोदिया को शिक्षा का अग्रदूत बताती है पर दिल्ली का बच्चा-बच्चा और उनके अभिभावक शर्मसार है कि दिल्ली का शिक्षा मंत्री शराब घोटाले करके आज सीबीआई की हिरासत में है. अरविंद केजरीवाल को दिल्ली वालों को बताना होगा कि शराब पॉलिसी अगर सही थी तो वापस क्यों ली, थोक शराब कारोबारियों का कमीशन क्यों बढ़ाया, शराब कारोबारियों के टैक्स भुगतान माफ क्यों किए. दिल्ली सरकार में नंबर दो के मंत्री मनीष सिसोदिया के पास सरकार के 33 विभागों में से 18 विभाग है. लेकिन मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने ही उन्हें शिक्षा मंत्री के तौर पर प्रोजेक्ट किया और आज सिसोदिया शराब घोटाले में हिरासत में हैं.
बेकसूर हैं तो बरी होंगे, कोर्ट तय करेगाः इस संबंध में राजनीतिक विशेषज्ञ अतुल सिंघल कहते हैं कि, आपने शिक्षा में अच्छा काम किया इसलिए आपको भ्रष्टाचार से राहत मिल जाएगी. यह ना तो नैतिक रूप से सही है और ना ही कानूनी रूप से. किसी भी व्यक्ति के चरित्र में कुछ अच्छाइयां होती है तो कुछ बुराइयां समान रूप से विद्यमान रहती हैं. अनपढ़ और गरीब व्यक्ति ही ईमानदार हो सकता है वैसे ही पढ़ा लिखा और पैसे वाला व्यक्ति बेईमान भी हो सकता है. यह देश संविधान के हिसाब से चलता है. आम आदमी पार्टी ने अब सर्वोच्च न्यायालय का रुख किया है. यदि मनीष सिसोदिया बेकसूर होंगे तो अदालत से बरी हो जाएंगे. यदि उन्होंने भ्रष्टाचार किया होगा तो शिक्षा में कितना भी अच्छा काम क्यों ना किया हो सजा से नहीं बच सकते. आप मेहनती हैं, होशियार हैं या समझदार हैं तो इसका मतलब यह कतई नहीं कि आप को भ्रष्टाचार करने की छूट मिल गई.
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