नई दिल्ली: नगर निगम पर भ्रष्टाचार का आरोप लगाकर हमलावर होती आम आदमी पार्टी को मंगलवार को दिल्ली प्रदेश भाजपा ने आंकड़ों के हवाले से जवाब दिया. इसके साथ ही रोज-रोज भाजपा से सवाल पूछने वाली पार्टी और दिल्ली सरकार से ही भाजपा ने सवाल कर डाला.
दिल्ली सरकार ने 25 प्रतिशत फंड भी नहीं दिया
दिल्ली बीजेपी के प्रवक्ता प्रवीण शंकर कपूर ने एक बार फिर से आम आदमी पार्टी को नगर निगमों और नगर पालिकाओं की व्यवस्थाओं का पाठ पठते हुए बताया कि देश की संघीय व्यवस्था मुताबिक नगर निगमों एवं पालिकाओं को राज्य सरकार एकत्र करों में से वार्षिक फंड़ देती हैं. इसका बजट प्रावधान होता है और सम्पत्ति पंजीकरण शुल्क जैसे अनेक कर हैं. जिन्हें राज्य सरकार निगमों के नाम पर एकत्र करती हैं.
वहीं व्यवस्था दिल्ली पर भी लागू है पर राजनीतिक द्वेष के चलते गत 6 सालों से दिल्ली सरकार न तो दिल्ली नगर निगमों को उनका बजट में आबंटित पूरा फंड़ देती है और न ही तय समय पर देती है. इस सबका नतीजा है कि दिल्ली सरकार को तीनों नगर निगमों का 31 मार्च 2020 तक का लगभग 18,000 करोड़ रूपये बकाया तो देना ही है. वर्तमान 2020-21 साल का आधा वित्त वर्ष बीतने का बाद भी अभी 25 प्रतिशत फंड़ भी नहीं दिया है.
दिल्ली सरकार से पूछे दो सवाल
कपूर का कहना है कि आंकड़े कभी झूठ नहीं बोलते. वित्त वर्ष 2020-21 में तीनों नगर निगमों को आज तक मिले पैसों के आंकड़े दिल्ली की अरविंद केजरीवाल सरकार के द्वेष की पोल खोलते हैं.
उन्होंने दिल्ली सरकार के वित्त मंत्री मनीष सिसोदिया को पत्र लिख कर पूछा है कि आखिर क्यों सरकार एक ओर तो नगर निगमों को उनका बजट फंड़ नहीं दे रही. वहीं दूसरी ओर अपने राजनीतिक प्रवक्ताओं से नगर निगमों पर फंड़ भ्रष्टाचार के मनगढ़त आरोप लगवा रही है? इसके साथ ही उन्होंने तीनो नगर निगमों बजट स्वीकृत पैसा और जारी पैसे के आंकड़े भी जारी किए हैं.