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FBU घोटाले पर बर्बाद हुए सरकारी फंड की रिकवरी भी अरविंद केजरीवाल से हो : वीरेन्द्र सचदेवा

दिल्ली में मेयर चुनाव को लेकर जारी विवाद के बीच AAP-BJP में तनातनी का नया एपिसोड शुरू हो गया है. फीडबैक यूनिट का मामला सामने आने के बीद, बीजेपी ने केजरीवाल सरकार पर जासूसी का आरोप लगाया है. CBI ने दिल्ली सरकार की फीडबैक यूनिट पर मनीष सिसोदिया के खिलाफ केस दर्ज करने की अनुमति उपराज्यपाल से मांगी है.

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भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा
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Published : Feb 8, 2023, 1:26 PM IST

नई दिल्ली: सीबीआई ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और अन्य के खिलाफ फीडबैक यूनिट के मामले में मुकदमा दर्ज करने के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल से अनुमति मांगी है. अब इस मामले को लेकर भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने अरविंद केजरीवाल पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार 2015 में अपनी स्थापना से अराजकता से काम करती रही है और राजनीतिक विरोधियों के प्रति दूष भाव से काम करती है, उनके दमन में विश्वास करती है. इसी उद्देश्य से 1 फरवरी 2016 को केजरीवाल सरकार ने फीडबैक यूनिट (FBU) की स्थापना राजनीतिक विरोधियों, केन्द्रीय मंत्रियों, सांसदों, उपराज्यपाल कार्यालय, मीडिया हाउसों, प्रमुख व्यापारियों ही नहीं माननीय न्यायाधीशों तक पर नजर रखने के लिए की थी. उन्होंने मांग की हैं कि विज्ञापन घोटाले की ही तरह फीडबैक यूनिट घोटाले पर बर्बाद हुए सरकारी फंड की रिकवरी अरविंद केजरीवाल से व्यक्तिगत तौर पर हो.

सचदेवा ने कहा की अपनी अराजक परिपाटी के चलते केजरीवाल सरकार ने फीडबैक यूनिट की स्थापना बिना कैबिनेट की स्वीकृति के आधार पर कर दी. इसमें बिहार पुलिस से लाए गए 17 पुलिस एवं अन्य कर्मी रखे गये. इनका मुखिया एक सेवानिवृत्त सीआईएसएफ का डीआईजी को बनाया गया, जिनसे वरिष्ठ एक दर्जन अधिकारी एसीबी एवं सतर्कता विभाग में उपलब्ध थे. इस फीडबैक यूनिट को एक करोड़ रुपये का स्थापना फंड दिया गया और इसको सीक्रेट सर्विस फंड का नाम दिया गया जो अपने आप में हैरान करने वाला है. आखिर केजरीवाल को किसकी जांच करवानी थी, जिसके लिए गुप्त फंड बनाया गया. इस फंड से करोड़ों रुपये प्राइवेट जांच ऐजेंसियों को दिया गया, साथ ही मुखबिर खड़े करने के लिए भी रुपये दिया गया.

ये भी पढ़ें : सिसोदिया पर केस दर्ज करने के लिए CBI ने LG से मांगी अनुमति, AAP सरकार पर जासूसी का आरोप

उन्होंने कहा कि शुरू से ही दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग ने इस पर आपत्ति की थी, पर सितंबर 2016 में जब अश्वनी कुमार सतर्कता निदेशक बने तो उन्होंने एफबीयू से काम का लेखा जोखा मांगा, पर वह अपने काम की कोई रिपोर्ट नहीं दे पाई. इससे पहले 5 अगस्त 2016 में दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश आया था कि दिल्ली के सभी मामलों में उपराज्यपाल सर्वोच्च होंगे, तब केजरीवाल सरकार को FBU स्थापना की फाइल तत्कालीन उपराज्यपाल नजीब जंग को भेजनी पड़ी. LG ने सतर्कता विभाग के रहते ऐसी नई संस्था बनाने पर आपत्ति करते हुऐ न सिर्फ फाइल रिजेक्ट कर दी, बल्कि सीबीआई जांच के भी आदेश दिए.

सचदेवा ने कहा कि एफबीयू मामले में सीबीआई ने उपराज्यपाल से सरकार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति मांगी है और दिल्ली भाजपा उपराज्यपाल से अविलंब इस संदर्भ में सीबीआई को प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति देने का निवेदन करती है. उन्होंने कहा कि आज दिल्ली की जनता केजरीवाल सरकार से इस एफबीयू स्थापना को लेकर कुछ सवाल पूछना चाहती है और केजरीवाल सरकार इसका जवाबदेह है.

फीडबैक यूनिट को लेकर बीजेपी के सवाल

  • ए.सी.बी. एवं सतर्कता विभाग के होते हुऐ भी आखिर केजरीवाल सरकार ने सेवानिवृत्त लोगों को लेकर एफबीयू की स्थापना क्यों की थी ?
  • एफ.बी.यू. स्थापना के पीछे केजरीवाल सरकार का क्या मकसद था, यदि मकसद साफ होता तो सरकार स्थापना के समय उद्देश्य भी बताती ?
  • हमारे हिसाब से FBU का मकसद राजनीतिक विरोधियों पर नजर रखना था जैसा CBI रिपोर्ट से भी साफ है कि इनकी 60% रिपोर्ट केवल राजनीतिक थीं ?
  • CBI जांच में सामने आया कि एफबीयू ने केजरीवाल सरकार को लगभग 700 रिपोर्ट दीं, मुख्यमंत्री बतायें उन पर क्या कारवाई हुई ?

नई दिल्ली: सीबीआई ने दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया और अन्य के खिलाफ फीडबैक यूनिट के मामले में मुकदमा दर्ज करने के लिए दिल्ली के उपराज्यपाल से अनुमति मांगी है. अब इस मामले को लेकर भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष वीरेन्द्र सचदेवा ने अरविंद केजरीवाल पर हमला बोला है. उन्होंने कहा कि दिल्ली सरकार 2015 में अपनी स्थापना से अराजकता से काम करती रही है और राजनीतिक विरोधियों के प्रति दूष भाव से काम करती है, उनके दमन में विश्वास करती है. इसी उद्देश्य से 1 फरवरी 2016 को केजरीवाल सरकार ने फीडबैक यूनिट (FBU) की स्थापना राजनीतिक विरोधियों, केन्द्रीय मंत्रियों, सांसदों, उपराज्यपाल कार्यालय, मीडिया हाउसों, प्रमुख व्यापारियों ही नहीं माननीय न्यायाधीशों तक पर नजर रखने के लिए की थी. उन्होंने मांग की हैं कि विज्ञापन घोटाले की ही तरह फीडबैक यूनिट घोटाले पर बर्बाद हुए सरकारी फंड की रिकवरी अरविंद केजरीवाल से व्यक्तिगत तौर पर हो.

सचदेवा ने कहा की अपनी अराजक परिपाटी के चलते केजरीवाल सरकार ने फीडबैक यूनिट की स्थापना बिना कैबिनेट की स्वीकृति के आधार पर कर दी. इसमें बिहार पुलिस से लाए गए 17 पुलिस एवं अन्य कर्मी रखे गये. इनका मुखिया एक सेवानिवृत्त सीआईएसएफ का डीआईजी को बनाया गया, जिनसे वरिष्ठ एक दर्जन अधिकारी एसीबी एवं सतर्कता विभाग में उपलब्ध थे. इस फीडबैक यूनिट को एक करोड़ रुपये का स्थापना फंड दिया गया और इसको सीक्रेट सर्विस फंड का नाम दिया गया जो अपने आप में हैरान करने वाला है. आखिर केजरीवाल को किसकी जांच करवानी थी, जिसके लिए गुप्त फंड बनाया गया. इस फंड से करोड़ों रुपये प्राइवेट जांच ऐजेंसियों को दिया गया, साथ ही मुखबिर खड़े करने के लिए भी रुपये दिया गया.

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उन्होंने कहा कि शुरू से ही दिल्ली सरकार के सतर्कता विभाग ने इस पर आपत्ति की थी, पर सितंबर 2016 में जब अश्वनी कुमार सतर्कता निदेशक बने तो उन्होंने एफबीयू से काम का लेखा जोखा मांगा, पर वह अपने काम की कोई रिपोर्ट नहीं दे पाई. इससे पहले 5 अगस्त 2016 में दिल्ली हाईकोर्ट का आदेश आया था कि दिल्ली के सभी मामलों में उपराज्यपाल सर्वोच्च होंगे, तब केजरीवाल सरकार को FBU स्थापना की फाइल तत्कालीन उपराज्यपाल नजीब जंग को भेजनी पड़ी. LG ने सतर्कता विभाग के रहते ऐसी नई संस्था बनाने पर आपत्ति करते हुऐ न सिर्फ फाइल रिजेक्ट कर दी, बल्कि सीबीआई जांच के भी आदेश दिए.

सचदेवा ने कहा कि एफबीयू मामले में सीबीआई ने उपराज्यपाल से सरकार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति मांगी है और दिल्ली भाजपा उपराज्यपाल से अविलंब इस संदर्भ में सीबीआई को प्राथमिकी दर्ज करने की अनुमति देने का निवेदन करती है. उन्होंने कहा कि आज दिल्ली की जनता केजरीवाल सरकार से इस एफबीयू स्थापना को लेकर कुछ सवाल पूछना चाहती है और केजरीवाल सरकार इसका जवाबदेह है.

फीडबैक यूनिट को लेकर बीजेपी के सवाल

  • ए.सी.बी. एवं सतर्कता विभाग के होते हुऐ भी आखिर केजरीवाल सरकार ने सेवानिवृत्त लोगों को लेकर एफबीयू की स्थापना क्यों की थी ?
  • एफ.बी.यू. स्थापना के पीछे केजरीवाल सरकार का क्या मकसद था, यदि मकसद साफ होता तो सरकार स्थापना के समय उद्देश्य भी बताती ?
  • हमारे हिसाब से FBU का मकसद राजनीतिक विरोधियों पर नजर रखना था जैसा CBI रिपोर्ट से भी साफ है कि इनकी 60% रिपोर्ट केवल राजनीतिक थीं ?
  • CBI जांच में सामने आया कि एफबीयू ने केजरीवाल सरकार को लगभग 700 रिपोर्ट दीं, मुख्यमंत्री बतायें उन पर क्या कारवाई हुई ?
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