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Delhi News: डीसीपीसीआर जनरल "चिल्ड्रन फर्स्ट- जर्नल ऑन चिल्ड्रन लाइव्स" का चौथा अंक लॉन्च

राजधानी दिल्ली में बच्चों से संबंधित मुद्दों और उनके अधिकार से जुड़े मुद्दों को लेकर जनरल "चिल्ड्रन फर्स्ट-जर्नल ऑन चिल्ड्रन लाइव्स" के चौथे अंक का विमोचन किया गया.

महिला एवं बाल विकास मंत्री आतिशी
महिला एवं बाल विकास मंत्री आतिशी
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Published : May 31, 2023, 9:34 PM IST

नई दिल्ली: महिला एवं बाल विकास मंत्री आतिशी ने बुधवार को दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) के जनरल "चिल्ड्रन फर्स्ट-जर्नल ऑन चिल्ड्रन लाइव्स" के चौथे अंक का विमोचन किया. साथ ही उन्होंने जर्नल के चाइल्ड कंट्रीब्यूटर्स को भी सम्मानित किया. जनरल के इस अंक की थीम 'बच्चों से संबंधित मुद्दों और उनके अधिकार' है. ये एक समावेशी जनरल है जो डिस्कशन, बेहतर प्रैक्टिसेज को साझा करने, रिफ्लेक्शन, आलोचना-समालोचना, पालिसी व विभिन्न बुक रिव्यू और रिसर्च पर आधारित है. इसका उद्देश्य बच्चों के अधिकारों से जुड़े मुद्दों, उनसे जुड़े पॉलिसी प्रैक्टिसेज पर फोकस करना है.

चिल्ड्रन फर्स्ट- जर्नल ऑन चिल्ड्रन लाइव्स
चिल्ड्रन फर्स्ट- जर्नल ऑन चिल्ड्रन लाइव्स" का चौथा अंक लॉन्च

यह शिक्षकों, हेल्थ प्रोफेशनल्स, सिविल सोसाइटी ऑर्गेनाइजेशन आदि को भारत में बच्चों की स्थिति पर अपने विचार और राय साझा करने के लिए मंच प्रदान करता है. जर्नल का चौथा अंक बच्चों के जीवन को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित करने के लिए विभिन्न डोमेन और कई विषयों पर फोकस करता है. यह अलग-अलग संदर्भों में बच्चों की जरूरतों और अधिकारों को संवेदनशीलता से संबोधित करने का काम भी करता है. साथ ही जर्नल अनजाने में बच्चों को लेबल करने, कानूनी प्रक्रियाओं और बच्चों से जुड़ी सामाजिक जांच और पूछताछ के दौरान संवेदनशील बातचीत और गोपनीयता जैसे मुद्दों पर भी प्रकाश डालता है.

आतिशी ने किया चौथे अंक का विमोचन
आतिशी ने किया चौथे अंक का विमोचन

लड़की की निर्मम हत्या: आतिशी ने कहा कि दिल्ली में अभी कुछ दिन पहले एक किशोर लड़की की निर्मम हत्या हुई. लोग तमाशबीन बने उसे देख रहे थे. बेशक, कानून और व्यवस्था की स्थिति एक तथ्य है, लेकिन इसने एक समाज पर अधिक गहरा सवाल खड़ा कर दिया है. आखिर गलती कहां हुई है?

आतिशी ने किया चौथे अंक का विमोचन
आतिशी ने किया चौथे अंक का विमोचन

शिक्षा की गुणवत्ता में आया सुधार: केजरीवाल सरकार के विजन को साझा करते हुए आतिशी ने कहा कि पिछले 8 वर्षों में दिल्ली सरकार ने राजधानी में हर बच्चे को समान अवसर प्रदान करने और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए प्रतिबद्धता से काम किया है. इसके लिए सरकार ने सालाना अपने बजट का सबसे बड़ा हिस्सा, 25 फीसदी शिक्षा पर खर्च कर एक मिसाल कायम की है.

उन्होंने कहा कि देश में एक आम धारणा है कि अगर कोई बच्चा अमीर परिवार में पैदा होता है, तो उसके माता-पिता महंगे स्कूल में अपने बच्चे को दाखिला दिलाने में सक्षम होते हैं. जबकि, गरीब परिवार का बच्चा महंगे स्कूल में दाखिला लेने में सक्षम नहीं होता हैं, इसलिए वह सरकारी स्कूल में दाखिला लेने को मजबूर होता है. हालांकि अब ये धारणा काफी हद तक बदली नजर आ रही है.

ये भी पढ़ें: आतिशी ने शाहाबाद डेरी हत्याकांड की पीड़िता के माता-पिता से की मुलाकात, मदद का किया वादा

स्कूलों को वर्ल्ड क्लास बनाया: आतिशी ने कहा कि केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली सरकार ने अपने स्कूलों के बुनियादी ढांचे को वर्ल्ड क्लास बनाया. इससे छात्रों में आत्मविश्वास और गर्व की भावना आई. मंत्री आतिशी ने आगे कहा कि नृशंस हत्या की हालिया घटना से पता चलता है कि हमें अपने स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को अच्छा नागरिक बनाने के लिए शिक्षा और उनके भविष्य में निवेश करने की आवश्यकता है. ढांचागत बदलाव के साथ-साथ हमें अपने पाठ्यक्रम में शैक्षणिक बदलाव लाने की भी जरूरत है. दिल्ली सरकार ने अपने स्कूलों के माध्यम से इसकी शुरुआत कर दी है.

ये भी पढ़ें: Delhi Murder Case: लगातार बयान बदल रहा साहिल, नाबालिग की हत्या में 7 किरदार का अहम रोल, जानें

नई दिल्ली: महिला एवं बाल विकास मंत्री आतिशी ने बुधवार को दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) के जनरल "चिल्ड्रन फर्स्ट-जर्नल ऑन चिल्ड्रन लाइव्स" के चौथे अंक का विमोचन किया. साथ ही उन्होंने जर्नल के चाइल्ड कंट्रीब्यूटर्स को भी सम्मानित किया. जनरल के इस अंक की थीम 'बच्चों से संबंधित मुद्दों और उनके अधिकार' है. ये एक समावेशी जनरल है जो डिस्कशन, बेहतर प्रैक्टिसेज को साझा करने, रिफ्लेक्शन, आलोचना-समालोचना, पालिसी व विभिन्न बुक रिव्यू और रिसर्च पर आधारित है. इसका उद्देश्य बच्चों के अधिकारों से जुड़े मुद्दों, उनसे जुड़े पॉलिसी प्रैक्टिसेज पर फोकस करना है.

चिल्ड्रन फर्स्ट- जर्नल ऑन चिल्ड्रन लाइव्स
चिल्ड्रन फर्स्ट- जर्नल ऑन चिल्ड्रन लाइव्स" का चौथा अंक लॉन्च

यह शिक्षकों, हेल्थ प्रोफेशनल्स, सिविल सोसाइटी ऑर्गेनाइजेशन आदि को भारत में बच्चों की स्थिति पर अपने विचार और राय साझा करने के लिए मंच प्रदान करता है. जर्नल का चौथा अंक बच्चों के जीवन को प्रभावित करने वाले महत्वपूर्ण मुद्दों को संबोधित करने के लिए विभिन्न डोमेन और कई विषयों पर फोकस करता है. यह अलग-अलग संदर्भों में बच्चों की जरूरतों और अधिकारों को संवेदनशीलता से संबोधित करने का काम भी करता है. साथ ही जर्नल अनजाने में बच्चों को लेबल करने, कानूनी प्रक्रियाओं और बच्चों से जुड़ी सामाजिक जांच और पूछताछ के दौरान संवेदनशील बातचीत और गोपनीयता जैसे मुद्दों पर भी प्रकाश डालता है.

आतिशी ने किया चौथे अंक का विमोचन
आतिशी ने किया चौथे अंक का विमोचन

लड़की की निर्मम हत्या: आतिशी ने कहा कि दिल्ली में अभी कुछ दिन पहले एक किशोर लड़की की निर्मम हत्या हुई. लोग तमाशबीन बने उसे देख रहे थे. बेशक, कानून और व्यवस्था की स्थिति एक तथ्य है, लेकिन इसने एक समाज पर अधिक गहरा सवाल खड़ा कर दिया है. आखिर गलती कहां हुई है?

आतिशी ने किया चौथे अंक का विमोचन
आतिशी ने किया चौथे अंक का विमोचन

शिक्षा की गुणवत्ता में आया सुधार: केजरीवाल सरकार के विजन को साझा करते हुए आतिशी ने कहा कि पिछले 8 वर्षों में दिल्ली सरकार ने राजधानी में हर बच्चे को समान अवसर प्रदान करने और शिक्षा की गुणवत्ता में सुधार करने के लिए प्रतिबद्धता से काम किया है. इसके लिए सरकार ने सालाना अपने बजट का सबसे बड़ा हिस्सा, 25 फीसदी शिक्षा पर खर्च कर एक मिसाल कायम की है.

उन्होंने कहा कि देश में एक आम धारणा है कि अगर कोई बच्चा अमीर परिवार में पैदा होता है, तो उसके माता-पिता महंगे स्कूल में अपने बच्चे को दाखिला दिलाने में सक्षम होते हैं. जबकि, गरीब परिवार का बच्चा महंगे स्कूल में दाखिला लेने में सक्षम नहीं होता हैं, इसलिए वह सरकारी स्कूल में दाखिला लेने को मजबूर होता है. हालांकि अब ये धारणा काफी हद तक बदली नजर आ रही है.

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स्कूलों को वर्ल्ड क्लास बनाया: आतिशी ने कहा कि केजरीवाल के नेतृत्व में दिल्ली सरकार ने अपने स्कूलों के बुनियादी ढांचे को वर्ल्ड क्लास बनाया. इससे छात्रों में आत्मविश्वास और गर्व की भावना आई. मंत्री आतिशी ने आगे कहा कि नृशंस हत्या की हालिया घटना से पता चलता है कि हमें अपने स्कूलों में पढ़ रहे बच्चों को अच्छा नागरिक बनाने के लिए शिक्षा और उनके भविष्य में निवेश करने की आवश्यकता है. ढांचागत बदलाव के साथ-साथ हमें अपने पाठ्यक्रम में शैक्षणिक बदलाव लाने की भी जरूरत है. दिल्ली सरकार ने अपने स्कूलों के माध्यम से इसकी शुरुआत कर दी है.

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