नई दिल्ली: शारदीय नवरात्रों की शुरुआत 17 अक्टूबर से हुई थी. वहीं अष्टमी और नवमी को लेकर भक्त इस साल असमंजस की स्थिति में हैं, लेकिन हिंदू पंचांग के अनुसार महाअष्टमी 24 अक्टूबर और महानवमी 25 अक्टूबर को पड़ रही है. वहीं महा नवमी और दशमी दोनों की तिथि एक साथ लग रही है. ऐसे में दक्षिणी दिल्ली स्थित सिद्धपीठ कालकाजी मंदिर में नवरात्र के आखिरी दिन मां कालका के दर्शन के लिए भक्तों की भारी भीड़ मंदिर में उमड़ी.
तैनात किए गए सुरक्षाकर्मी और वॉलिंटियर
महानवमी के मौके पर ईटीवी भारत की टीम सिद्ध पीठ कालकाजी मंदिर के भवन में पहुंची और मौके का जायजा लिया. मौजूदा हालात को देखते हुए भवन के भीतर भीड़ न लगे, इसके लिए सुरक्षा कर्मी और वालंटियर तैनात किए गए हैं. यहां आने वाले भक्तों को निर्देश दिए जा रहे हैं कि वे तुरंत दर्शन करें और आगे बढ़ते रहें. हालांकि हर साल की तरह इस बार भवन के भीतर भीड़ कम ही देखने को मिली. हर साल इन दिनों में स्थिति इस प्रकार हो जाती थी कि लोगों के लिए पैर रखने तक की जगह नहीं होती थी.
कोरोना गाइडलाइन का किया जा रहा पालन
भवन में मौजूद मुख्य पुजारी सुनील ने कहा कि व्यवस्था बनाने की पूरी कोशिश की जा रही है. नवरात्र के शुरुआत से ही भवन के भीतर और बाहर सुरक्षाकर्मी और वॉलिंटियर तैनात किए गए हैं और प्रवेश के लिए केवल एक द्वार खोला गया है, जहां लाइन में लगाकर सोशल डिस्टेंस का पालन करवाते हुए ही भक्तों को प्रवेश दिया जा रहा है. इसके अलावा किसी को भी भवन या परिसर में रुकने की अनुमति नहीं है, केवल दर्शन की अनुमति दी गई है. किसी भी प्रकार का कोई प्रसाद, फूल, माला, चुन्नी स्वीकार नहीं किए जा रहे हैं.
नवमी मां सिद्धिदात्री की होती है उपासना
मंदिर के महंत सुरेंद्रनाथ अवधूत ने बताया कि अंतिम नवरात्रा आज के दिन मां सिद्धिदात्री की पूजा होती है. नवरात्र के 9 दिन मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की आराधना की जाती है, तो पूरे नवरात्रे जो सिद्धि की जाती है. उसके फलस्वरुप आज अंतिम नवरात्र पर सिद्धीदात्री की उपासना होती है.