नई दिल्ली: राउज एवेन्यू कोर्ट ने कथित शराब घोटाले से संबंधित मनी लॉन्ड्रिंग मामले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) द्वारा दायर दो चार्जशीट पर सोमवार को संज्ञान लिया. दोनों चार्जशीट में अरुण रामचंद्र पिल्लई, राजेश जोशी, अमनदीप ढल, गौतम मल्होत्रा, राघव मगुन्टा और संबंधित कंपनियों के नाम शामिल हैं. विशेष सीबीआई जज एमके नागपाल ने सोमवार को चार्जशीट (अभियोजन शिकायत) का संज्ञान लिया और 10 मई को सबको पेश करने का निर्देश दिया.
ईडी की ओर से अधिवक्ता जोहैब हुसैन और नवीन कुमार मट्टा पेश हुए. ईडी ने कहा कि इन आरोपियों के खिलाफ मनी लॉन्ड्रिंग के अपराध के आरोप को स्थापित करने के लिए रिकॉर्ड में पर्याप्त सबूत हैं. इससे पहले पहली पूरक चार्जशीट में 12 अभियुक्तों विजय नायर, शरथ रेड्डी, बिनॉय बाबू, अभिषेक बोइनपल्ली, अमित अरोड़ा और सात अन्य के नाम शामिल थे. ईडी ने समीर महेंद्रू और उनकी संबंधित फर्मों के खिलाफ मामले में पहली चार्जशीट दायर की थी.
ED की चार्जशीट में सिसोदिया का नाम नहींः ईडी ने अभी तक दिल्ली के पूर्व उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया के खिलाफ चार्जशीट दायर नहीं की है, जिन्हें नौ मार्च 2023 को गिरफ्तार किया गया था. सिसोदिया के खिलाफ 25 अप्रैल को सीबीआई ने चार्जशीट दाखिल की है. इनमें पंजाब के कारोबारी गौतम मल्होत्रा शिरोम अकाली दल (एसएडी) के पूर्व विधायक और शराब कारोबारी दीप मल्होत्रा के बेटे हैं. राघव मगुंटा वाईएसआर कांग्रेस पार्टी के सदस्य ओंगोल मगुंटा श्रीनिवासुलु रेड्डी के बेटे हैं और राजेश जोशी रथ प्रोडक्शन मीडिया प्राइवेट लिमिटेड के मालिक हैं.
जोशी ने 2022 के गोवा विधानसभा चुनावों के दौरान आम आदमी पार्टी (आप) का प्रचार अभियान चलाया था. ईडी के मामले में व्यवसायी अमनदीप सिंह ढल को एक मार्च को और हैदराबाद के व्यवसायी अरुण रामचंद्र पिल्लई को छह मार्च 2023 को गिरफ्तार किया गया था. ईडी के अनुसार, अमनदीप सिंह ढल ने अन्य व्यक्तियों के साथ मिलकर साजिश रची है. वह सक्रिय रूप से नीति के निर्माण में शामिल है और एएपी को कमबैक की सुविधा देता है. दक्षिण समूह द्वारा विभिन्न माध्यमों से इसकी प्रतिपूर्ति करता है.
यह भी लगा है आरोपः हैदराबाद के एक व्यवसायी अरुण रामचंद्र पिल्लई को ईडी ने इंडोस्पिरिट कंपनी के प्रबंध निदेशक समीर महेंद्रू से रिश्वत लेने और इसे अन्य आरोपियों को सौंपने के आरोप में गिरफ्तार किया था. ईडी और सीबीआई ने आरोप लगाया था कि आबकारी नीति को संशोधित करते समय अनियमितता की गई थी. लाइसेंस धारकों को अनुचित लाभ दिया गया था. लाइसेंस शुल्क माफ या कम किया गया था और सक्षम प्राधिकारी की मंजूरी के बिना एल-1 लाइसेंस बढ़ाया गया था. लाभार्थियों ने अवैध लाभ को आरोपी अधिकारियों को भेज दिया और पकड़े जाने से बचने के लिए अपने खाते की पासबुकों में गलत प्रविष्टियां कीं.