नई दिल्ली: राजधानी में कड़कड़डूमा कोर्ट ने शुक्रवार को 2020 में हुए दंगों के एक मामले में चार आरोपियों को दोषमुक्त (Court acquits 4 accused in Delhi riots case) करार दिया. अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रमाचला ने संदेह का लाभ देते हुए आरोपी मो. शाहनवाज, मो. शोएब, शाहरुख और राशिद पर भारतीय दंड संहिता, 1860 की धारा 143, 147, 148, 149, 454, 435 और 436 के तहत लगाए गए सभी आरोपों से मुक्त कर दिया. न्यायाधीश ने कहा कि एक कॉन्स्टेबल (अभियोजन गवाह) की एकमात्र गवाही, जिसने कहा था कि उसने आरोपियों को भीड़ में देखा था, भीड़ में उनकी उपस्थिति का अनुमान लगाने के लिए पर्याप्त नहीं हो सकता, जिसने कथित तौर पर करावल नगर निवासी रविशंकर को एक दुकान और एक व्यक्ति के वाहन को आग लगा दी थी. वर्तमान मामले में, पीडब्लू 9 (कॉन्स्टेबल) ने कहा कि दुकान ए-53 में घटना आधी रात के बाद हुई, हालांकि पीडब्लू 7 (हेड कॉन्स्टेबल) ने लगभग 2 बजे के समय का उल्लेख किया. इन दोनों गवाहों की गवाही में उस जगह पर इकट्ठे हुए लोगों की संख्या को लेकर काफी अंतर है.
अपनी शिकायत में पीड़ित रविशंकर ने आरोप लगाया था कि 26 फरवरी 2020 को उसने अपनी दुकान का शटर और उसके अंदर रखा सामान जली हुई हालत में पाया. उन्होंने यह भी आरोप लगाया कि कोल्ड ड्रिंक की आपूर्ति के लिए उनका वाहन भी जली हुई स्थिति में पाया गया था. इस मामले के दो प्राथमिक गवाह एक कॉन्स्टेबल और एक हेड कॉन्स्टेबल थे, जिन्होंने कहा था कि चमन पार्क, जौहरीपुर शिव विहार रोड के पास एक भीड़ इकट्ठी हुई थी और तोड़फोड़ और आगजनी की गई थी. कोर्ट ने कहा कि सबसे महत्वपूर्ण सवाल यह है कि क्या आरोपी उस भीड़ का हिस्सा थे. हेड कॉन्स्टेबल की गवाही पर आते हुए अदालत ने कहा कि, हालांकि उसने कॉन्स्टेबल के साथ ड्यूटी पर होने की कसम खाई थी, लेकिन वह अदालत के सामने सभी आरोपियों की नहीं पहचान कर सका. न्यायाधीश ने दर्ज किया कि एक ही गवाह का दूसरे मामले में परीक्षण किया गया था और उसमें उसने कहा कि वह लंबे समय तक दिमागी तौर पर चूकने के कारण किसी भी 'दंगाई' की पहचान नहीं कर सका.
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पीडब्लू 7 (हेड कॉन्स्टेबल) ने उसके बाद दलील दी कि वह मेमोरी लॉस से पीड़ित था और उसी के लिए दवा भी ले रहा था. उसने स्वीकार किया यह सुझाव है कि स्मृति हानि के कारण वह चार दंगाइयों की सही पहचान करने में असमर्थ था. इस प्रकार, पीडब्लू 7 (हेड कॉन्स्टेबल) ने किन्हीं कारणों से दंगाइयों की पहचान नहीं की, यह निश्चित है कि इस मामले में उसके द्वारा अभियुक्तों में से एक की पहचान भी सही नहीं मानी जा सकती है. अन्य शेष गवाह पीडब्लू 9 (कॉन्स्टेबल) के बारे में, अदालत ने कहा कि वह आरोपी व्यक्तियों की पहचान साबित करने वाला एकमात्र गवाह है. बचाव पक्ष ने उन्हें प्लांटेड और पढ़ा-लिखा गवाह बताया. न्यायाधीश ने कहा कि उन्होंने केवल इतना कहा कि वह भीड़ के कुछ सदस्यों को जानते हैं, लेकिन आरोपी व्यक्तियों के किसी भी खुले कार्य के बारे में नहीं बताया. इसके बाद कोर्ट ने कहा कि आरोपी मोहम्मद शाहनवाज उर्फ शानू, मोहम्मद शोएब उर्फ छुटवा, शाहरुख और राशिद उर्फ राजा को इस मामले में उनके खिलाफ लगाए गए सभी आरोपों से बरी किया जाता है.' अभियुक्तों का प्रतिनिधित्व अधिवक्ता सलीम मलिक और जेड बाबर चौहान ने किया. पुलिस की ओर से लोक अभियोजक नितिन राय शर्मा ने पैरवी की.
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