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दिल्ली के स्कूलों में छात्रों को नहीं दी जाएगी कॉर्पोरल पनिशमेंट, जानिए क्यों - दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग

दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग ने गुरुवार को एक आदेश जारी किया है. इस आदेश में सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के प्रमुखों को निर्देश दिया गया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि स्कूल में छात्रों को शारीरिक दण्ड (कॉर्पोरल पनिशमेंट) न दिया जाए. साथ ही राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के द्वारा जारी गाइडलाइंस का पालन किया जाए.

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Published : Dec 29, 2022, 10:48 PM IST

नई दिल्ली: दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को गलती करने पर अब शारीरिक दण्ड नहीं दी जाएगी. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि छात्र अपनी सीमा को पार करेंगे. उन्हें अपने शिक्षक के साथ अच्छा व्यवहार करना होगा. शिक्षकों को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि स्कूल में छात्रों के बीच प्यार से पढ़ाई करने वाला माहौल बनाएं.

दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग ने गुरुवार को एक आदेश जारी किया है. इस आदेश में सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के प्रमुखों को निर्देश दिया गया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि स्कूल में छात्रों को शारीरिक दण्ड (कॉर्पोरल पनिशमेंट) न दिया जाए. साथ ही राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के द्वारा जारी गाइडलाइंस का पालन किया जाए.

राइट टू एजुकेशन एक्ट में भी कॉर्पोरल पनिशमेंट का जिक्र किया गया है. इन नियमों को लागू करना स्कूल की जिम्मेदारी है. हालांकि फिर भी कोई शिक्षक नियमों की अवहेलना करते हुए किसी छात्र को शारीरिक दण्ड देता है तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के अलावा नौकरी तक से बर्खास्त किया जा सकता है. बताते चलें कि शिक्षक द्वारा छात्र को चाटा मारना, कान खींचना कॉर्पोरल पनिशनमेंट है.

दिल्ली में जब टीचर ने फेंक दिया था बच्चा
दिल्ली के एमसीडी स्कूल में हाल में ही एक ऐसा मामला सामने आया था जब, एक शिक्षक ने एक बच्ची को स्कूल की पहली मंजिल से नीचे फेंक दिया था. जिसके बाद पुलिस ने महिला टीचर को गिरफ्तार कर लिया था. इसके बाद से अभिभावक काफी डर गए थे. बच्चों की सुरक्षा का जिम्मा स्कूल प्रबंधन पर भी है. लेकिन बच्चों के साथ मारपीट की खबरों से अभिभावक बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं.

यह भी पढ़ेंः नोएडा में घरेलू सहायिका से मारपीट करने वाली महिला अधिवक्ता गिरफ्तार, लिफ्ट में की थी पिटाई


यह भी पढ़ेंः ग्रेटर नोएडा में भी पालतू कुत्ते व बिल्ली का पंजीकरण कराना अनिवार्य, ग्रेनो प्राधिकरण की बैठक में लगी मुहर

नई दिल्ली: दिल्ली के सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले छात्रों को गलती करने पर अब शारीरिक दण्ड नहीं दी जाएगी. लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि छात्र अपनी सीमा को पार करेंगे. उन्हें अपने शिक्षक के साथ अच्छा व्यवहार करना होगा. शिक्षकों को भी यह सुनिश्चित करना होगा कि स्कूल में छात्रों के बीच प्यार से पढ़ाई करने वाला माहौल बनाएं.

दिल्ली सरकार के शिक्षा विभाग ने गुरुवार को एक आदेश जारी किया है. इस आदेश में सरकारी, सरकारी सहायता प्राप्त स्कूलों के प्रमुखों को निर्देश दिया गया है कि वे यह सुनिश्चित करें कि स्कूल में छात्रों को शारीरिक दण्ड (कॉर्पोरल पनिशमेंट) न दिया जाए. साथ ही राष्ट्रीय बाल अधिकार संरक्षण आयोग (एनसीपीसीआर) के द्वारा जारी गाइडलाइंस का पालन किया जाए.

राइट टू एजुकेशन एक्ट में भी कॉर्पोरल पनिशमेंट का जिक्र किया गया है. इन नियमों को लागू करना स्कूल की जिम्मेदारी है. हालांकि फिर भी कोई शिक्षक नियमों की अवहेलना करते हुए किसी छात्र को शारीरिक दण्ड देता है तो उसके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई के अलावा नौकरी तक से बर्खास्त किया जा सकता है. बताते चलें कि शिक्षक द्वारा छात्र को चाटा मारना, कान खींचना कॉर्पोरल पनिशनमेंट है.

दिल्ली में जब टीचर ने फेंक दिया था बच्चा
दिल्ली के एमसीडी स्कूल में हाल में ही एक ऐसा मामला सामने आया था जब, एक शिक्षक ने एक बच्ची को स्कूल की पहली मंजिल से नीचे फेंक दिया था. जिसके बाद पुलिस ने महिला टीचर को गिरफ्तार कर लिया था. इसके बाद से अभिभावक काफी डर गए थे. बच्चों की सुरक्षा का जिम्मा स्कूल प्रबंधन पर भी है. लेकिन बच्चों के साथ मारपीट की खबरों से अभिभावक बच्चों की सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं.

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