नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने दिल्ली हिंसा मामले में चिकित्सा सुविधा और पीड़ितों को पुनर्वास उपलब्ध कराने की मांग करने वाली याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली पुलिस को नोटिस जारी किया है. चीफ जस्टिस डीएन पटेल की अध्यक्षता वाली बेंच ने तीन हफ्ते में जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है. कोर्ट इस मामले पर 30 अप्रैल को सुनवाई करेगा.
चिकित्सा और पुनर्वास के लिए आदेश देने की मांग
याचिका में मांग की गई है कि चिकित्सा सुविधा उपलब्ध कराने और पुनर्वास को लेकर कोर्ट आदेश दे. याचिका में कोर्ट के पिछले 26 फरवरी के आदेश को लागू करने की मांग की गई है. 26 फरवरी को जस्टिस मुरलीधर की अध्यक्षता वाली बेंच ने दिल्ली सरकार और दिल्ली पुलिस के लिए दिशा निर्देश जारी किए थे.
हाईकोर्ट ने जारी किए थे दिशा निर्देश
हाईकोर्ट ने कहा था कि दंगों में विस्थापित लोगों के लिए शरण की व्यवस्था होनी चाहिए. इन शेल्टर होम में पानी, कंबल, सेनिटेशन, बुनियादी सुविधाएं होनी चाहिए. जो लोग अभी शेल्टर में रह रहे हैं उन लोगों को हटाने की ज़रूरत नहीं है. हाईकोर्ट ने निर्देश दिया था कि सभी डिस्ट्रिक्ट लीगल सर्विस अथॉरिटी के दफ्तर में 24 घंटे हेल्प डेस्क की व्यवस्था होनी चाहिए. कोर्ट ने वकील जुबेदा बेगम को एमिक्स क्युरी नियुक्त किया है. कोई भी पीड़ित सहायता के लिए उनसे संपर्क कर सकता है. हाईकोर्ट ने सभी अस्पतालों और दिल्ली लीगल सर्विसेज अथॉरिटी के सभी हेल्पलाइन नंबर को सभी मीडिया में उचित पब्लिसिटी देने का निर्देश दिया. हाईकोर्ट ने दिल्ली पुलिस को निर्देश दिया था कि वो मृतकों के अंतिम संस्कार के दौरान पुख्ता सुरक्षा व्यवस्था करे.
बहुत कुछ किया जाना बाकी है
आज सुनवाई के दौरान दिल्ली पुलिस की ओर से वकील राहुल मेहरा ने कहा कि अभी बहुत किया जाना बाकी है. मदद के लिए जितने फोन आ रहे हैं उतने के लिए हेल्पलाईन नंबर की संख्या पर्याप्त नहीं है. राहुल मेहरा ने दिल्ली लीगल सर्विसेज ऑथोरिटी का हेल्प डेस्क स्थापित करने की मांग की और मांग की कि एसडीएम प्रभावित इलाकों में जाएं. आज जब कोर्ट ने पुलिस के काम के बारे में पूछा तो उन्होंने कहा कि पुलिस ने कल अफवाह रोकने में काफी अच्छा काम किया है. अधिकांश रिलीफ कैंप केवल समुदाय विशेष की ओर से चलाया जा रहा है.
आज सुनवाई के दौरान एमिकस क्युरी जुबैदा बेगम उपस्थित थीं. राहुल मेहरा ने कहा कि जुबैदा बेगम को पूरी दिल्ली के लिए अधिकार दिए जाएं. उन्होंने जुबैदा बेगम के काम की सराहना करते हुए कहा कि वे प्रशासन से अच्छा समन्यव कर रही हैं. सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ता की ओर से वकील सुरुर मांदर ने कहा कि अधिकांश रिलीफ कैंप केवल समुदाय विशेष की ओर से चलाया जा रहा है. आखिर कब तक कोई समुदाय विशेष रिलीफ कैंप चला पाएगा. उन्होंने मांग की कि पुनर्वास का काम सरकार अपने हाथ में ले और ज्यादा रिलीफ कैंप स्थापित किए जाएं.