नई दिल्ली: केंद्र सरकार की सरकारी एजेंसी नेफेड द्वारा खरीदे गए खोपरा नारियल को 'भारत नारियल तेल' के नाम से बदलने की मांग को लेकर तमिलनाडु के नारियल उत्पादक दिल्ली के जंतर-मंतर पर धरना प्रदर्शन किए. प्रदर्शनकारी नारियल खेती करने वाले किसानों ने केंद्र की मोदी सरकार से नारियल के दामों में बढ़ोतरी की मांग की.
तमिलनाडु फार्मर्स प्रोटेक्शन एसोसिएशन के बैनर तले यह प्रदर्शन किया गया है. पल्ली सामी ने बताया कि वह तमिलनाडु से यहां पर अपनी मांगों को लेकर धरना प्रदर्शन करने के लिए आए हैं. दरअसल, प्रदर्शनकारी सभी लोग नारियल की खेती करते हैं. उनके नारियल को सस्ते में व्यापारी खरीद लेते हैं और उस नारियल को महंगे दामों पर बेच देते हैं. इससे व्यापारियों को तो फायदा मिल रहा है, लेकिन किसानों को कोई फायदा नहीं हो रहा.
प्रदर्शनकारी लोगों का कहना है कि नेफेड ने किसानों से 108.60 रुपये प्रति किलो पर खोपरा नारियल खरीदा है. अकेले तमिलनाडु से एक लाख टन की खरीद हुई है. अब नेफेड नारियल को खुले बाजार में बेचने की व्यवस्था कर रहा है. इसका फायदा उठाते हुए नारियल तेल कारोबार में शामिल बड़ी कंपनियों ने एक सिंडिकेट बनाया है और 65 रुपये प्रति किलो पर बोली लगाने की योजना बनाई है.
प्रदर्शन में शामिल किसानों ने कहा कि नेफेड जिस तरह से गेहूं का आटा भारत आटा के नाम से, दाल भारत दाल के नाम से और प्याज भारत प्याज के नाम से बेचता है, उसी तरह से किसानों के हितों की रक्षा के लिए भारत नारियल तेल के नाम से नारियल तेल की बिक्री करें. उन्होंने कहा कि नेफेड खोपरा नारियल खरीद रहा है और उन्हें खोपरा के रूप में बाजार में बेच रहा है. इससे नारियल किसान बुरी तरह प्रभावित हो रहे हैं.
कर्नाटक में नेफेड द्वारा खरीदे गए खोपरा का 20 फीसदी खुले बाजार में बेचा गया था. उन्होंने बताया कि तमिलनाडु में खोपरा की कीमत 90 रुपये से घटकर 85 रुपये हो गई है. नेफेड द्वारा एक लाख टन खोपरा बेचने पर प्रति किलो खोपरा की कीमत 85 रुपये से गिरकर 50 रुपये हो जाएगी, जबकि नारियल की कीमत 12 रुपये से घटकर 5 रुपये हो जाएगी.