पटना: बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार (CM Nitish Kumar) ने रविवार को खुलासा किया कि उन्होंने दो लोगों- जेडीयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह (JDU Leader Lalan Singh) और कैबिनेट मंत्री बिजेंद्र यादव (JDU Leader Bijendra Yadav) की सलाह पर बीजेपी से गठबंधन तोड़ा (Broken alliance with bjp on advice two leaders). बता दें कि इन दोनों नेताओं को नीतीश कुमार के काफी करीबी माना जाता है और शुरू से दोनों जेडीयू में है.
यह भी पढ़ें: BJP के 'मीडिया मैनेजमेंट' पर नीतीश का तंज- 'वो कहते हैं कि इसी को छापो.. तो लिखना पड़ता है'
'2 लोगों की सलाह पर बीजेपी से गठबंधन तोड़ा': नीतीश कुमार ने गांधी मैदान के श्रीकृष्ण मेमोरियल हॉल में पार्टी के ओपन सत्र के दूसरे दिन जेडीयू कार्यकर्ताओं की सभा को संबोधित करते हुए कहा, "एनडीए में रहते हुए जब चीजें गलत हुईं तो ललन सिंह और बिजेंद्र यादव ने मुझे गठबंधन तोड़ने का सुझाव दिया. हमने पूरे देश से अपने पार्टी कार्यकर्ताओं से सुझाव लिए और उन्होंने सुझाव दिया कि मैं बीजेपी से गठबंधन तोड़कर सरकार बनाने के लिए सात दलों के गठबंधन के साथ जाऊं."
"अब हमारे पास बिहार में सात दलों की सरकार है और हम संयुक्त रूप से राज्य का विकास करेंगे. ललन सिंह पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष हैं और मैं आप सभी से उनका समर्थन करने के लिए कहता हूं. कुढ़नी उपचुनाव में अपने उम्मीदवार की हार के तुरंत बाद नीतीश कुमार का बयान आया, और बयान का समय महागठबंधन के दृष्टिकोण से राजद और अन्य दलों के लिए महत्वपूर्ण है." - नीतीश कुमार, मुख्यमंत्री
बीजेपी से संवाद का द्वार खोलना चाहते हैं?: बता दें कि कुढ़नी उपचुनाव में 7 दलों का समर्थन होने के बावजूद जेडीयू प्रत्याशी की हार हुई. राजनीतिक पंडित मानते हैं कि बिहार में महागठबंधन की सरकार बनने के तीन महीने बाद नीतीश कुमार ने ऐसा बयान क्यों दिया. चर्चा है कि नीतीश कुमार बिहार में एनडीए को तोड़ने के लिए ललन सिंह और बिजेंद्र यादव को जिम्मेदार ठहराकर बीजेपी से संवाद का द्वार खोलना चाहते हैं.
यह भी पढ़ें: 'देश मांगे नीतीश' का कैलेंडर जारी, 2024 में दिल्ली की गद्दी पर बैठेंगे नीतीश, JDU का एजेंडा सेट
महागठबंधन ने तीन उपचुनाव लड़े और दो हार गए: बिहार में नई सरकार बनने के बाद महागठबंधन ने तीन उपचुनाव लड़े और दो हार गए, नीतीश कुमार इस प्रदर्शन से खुश नहीं हैं. नीतीश कुमार के नेतृत्व वाली सरकार को भी अपराध की बढ़ती घटनाओं की आलोचना का सामना करना पड़ रहा है और वह शायद नहीं चाहते कि उनकी सरकार को बिहार में जंगल राज की वापसी का टैग मिले.