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Chaitra Navratri 2023: छठे दिन करें मां कात्यायनी की पूजा, ये है पूजा विधि, मंत्र और आरती की संपूर्ण जानकारी

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Published : Mar 26, 2023, 5:38 PM IST

चैत्र नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी की पूजा की जाती है. सोमवार 27 मार्च को छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा है. ऋषि कात्यायन की पुत्री होने कारण मां को कात्यायनी कहा जाता है. मां कात्यायनी ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं. मां कात्यायनी की पूजा करने से लड़कियों को योग्य वर की प्राप्ति होती है.

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नई दिल्लीः 22 मार्च से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो गई है. चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. चैत्र नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी को समर्पित है. सोमवार 27 मार्च को चैत्र नवरात्री का छठा दिन है. ऋषि कात्यायन की पुत्री होने कारण मां को कात्यायनी कहा जाता है. मां कात्यायनी ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं.

मां कात्यायनी की आराधना करने से शादी विवाह में आ रही बाधाएं समाप्त होती हैं. सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है. शत्रुओं का भय समाप्त होता है. मान्यता है कि मां कात्यायनी की पूजा करने से मां प्रसन्न होती हैं. विशेषकर लड़कियों को पूजा करने से योग्य वर की प्राप्ति होती है.

० पूजा विधि: नवरात्रि के छठे दिन सुबह जल्दी उठे और स्नान के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहने. पूजा के स्थान को साफ करें और गंगाजल डालकर शुद्ध करें. चौकी पर मां कात्यायनी की प्रतिमा स्थापित करें. पूजा के स्थान को सजाएं. फिर मां कात्यायनी के व्रत का संकल्प लें और ध्यान करें. मां कात्यायनी को प्रसन्न करने के लिए गुड़हल या लाल रंग का फूल चढ़ाएं. पूजा में लाल रंग के कपड़े पहनें. लाल रंग के कपड़े पहनकर मां कात्यायनी की पूजा करना काफी शुभ माना गया है. मां को शहद का भोग लगाएं क्योंकि मां को शहद अति प्रिय है.

० मां का स्वरूप: मां कात्यायनी की चार भुजाएं हैं. मां कात्यायनी सिंह पर सवारी करती हैं. मां कात्यायनी का स्वरूप चमकीला और तेजमयी है. दाईं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभय मुद्रा में जबकि नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में रहता है. मां कात्यायनी के बाई तरफ उपर वाले हाथ में तलवार धारण किए हुए हैं, जबकि नीचे वाले हाथ में कमल का फूल है.

० मां कात्यायनी मंत्र
मंत्र - 'ॐ ह्रीं नम:।।'
चन्द्रहासोज्जवलकराशाईलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।।

० मां कात्यायनी की आरती

जय जय अम्बे जय कात्यानी

जय जगमाता जग की महारानी
बैजनाथ स्थान तुम्हारा
वहा वरदाती नाम पुकारा
कई नाम है कई धाम है
यह स्थान भी तो सुखधाम है
हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी
कही योगेश्वरी महिमा न्यारी
हर जगह उत्सव होते रहते
हर मंदिर में भगत है कहते
कत्यानी रक्षक काया की
ग्रंथि काटे मोह माया की
झूठे मोह से छुडाने वाली
अपना नाम जपाने वाली
ब्रेह्स्पतिवार को पूजा करिए
ध्यान कात्यानी का धरिये
हर संकट को दूर करेगी
भंडारे भरपूर करेगी
जो भी मां को 'चमन' पुकारे
कात्यानी सब कष्ट निवारे.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ईटीवी भारत इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

ये भी पढ़ेंः Chaitra Navratri 2023: पांचवें दिन करें मां स्कंदमाता की पूजा, ये रही पूजा विधि, मंत्र और आरती की संपूर्ण जानकारी

नई दिल्लीः 22 मार्च से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो गई है. चैत्र नवरात्रि के नौ दिनों में मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है. चैत्र नवरात्रि के छठे दिन मां कात्यायनी को समर्पित है. सोमवार 27 मार्च को चैत्र नवरात्री का छठा दिन है. ऋषि कात्यायन की पुत्री होने कारण मां को कात्यायनी कहा जाता है. मां कात्यायनी ब्रजमंडल की अधिष्ठात्री देवी हैं.

मां कात्यायनी की आराधना करने से शादी विवाह में आ रही बाधाएं समाप्त होती हैं. सकारात्मक ऊर्जा की प्राप्ति होती है. शत्रुओं का भय समाप्त होता है. मान्यता है कि मां कात्यायनी की पूजा करने से मां प्रसन्न होती हैं. विशेषकर लड़कियों को पूजा करने से योग्य वर की प्राप्ति होती है.

० पूजा विधि: नवरात्रि के छठे दिन सुबह जल्दी उठे और स्नान के बाद साफ-सुथरे कपड़े पहने. पूजा के स्थान को साफ करें और गंगाजल डालकर शुद्ध करें. चौकी पर मां कात्यायनी की प्रतिमा स्थापित करें. पूजा के स्थान को सजाएं. फिर मां कात्यायनी के व्रत का संकल्प लें और ध्यान करें. मां कात्यायनी को प्रसन्न करने के लिए गुड़हल या लाल रंग का फूल चढ़ाएं. पूजा में लाल रंग के कपड़े पहनें. लाल रंग के कपड़े पहनकर मां कात्यायनी की पूजा करना काफी शुभ माना गया है. मां को शहद का भोग लगाएं क्योंकि मां को शहद अति प्रिय है.

० मां का स्वरूप: मां कात्यायनी की चार भुजाएं हैं. मां कात्यायनी सिंह पर सवारी करती हैं. मां कात्यायनी का स्वरूप चमकीला और तेजमयी है. दाईं तरफ का ऊपर वाला हाथ अभय मुद्रा में जबकि नीचे वाला हाथ वर मुद्रा में रहता है. मां कात्यायनी के बाई तरफ उपर वाले हाथ में तलवार धारण किए हुए हैं, जबकि नीचे वाले हाथ में कमल का फूल है.

० मां कात्यायनी मंत्र
मंत्र - 'ॐ ह्रीं नम:।।'
चन्द्रहासोज्जवलकराशाईलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद्देवी दानवघातिनी।।

० मां कात्यायनी की आरती

जय जय अम्बे जय कात्यानी

जय जगमाता जग की महारानी
बैजनाथ स्थान तुम्हारा
वहा वरदाती नाम पुकारा
कई नाम है कई धाम है
यह स्थान भी तो सुखधाम है
हर मंदिर में ज्योत तुम्हारी
कही योगेश्वरी महिमा न्यारी
हर जगह उत्सव होते रहते
हर मंदिर में भगत है कहते
कत्यानी रक्षक काया की
ग्रंथि काटे मोह माया की
झूठे मोह से छुडाने वाली
अपना नाम जपाने वाली
ब्रेह्स्पतिवार को पूजा करिए
ध्यान कात्यानी का धरिये
हर संकट को दूर करेगी
भंडारे भरपूर करेगी
जो भी मां को 'चमन' पुकारे
कात्यानी सब कष्ट निवारे.

(Disclaimer: यहां दी गई जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. ईटीवी भारत इसकी पुष्टि नहीं करता है.)

ये भी पढ़ेंः Chaitra Navratri 2023: पांचवें दिन करें मां स्कंदमाता की पूजा, ये रही पूजा विधि, मंत्र और आरती की संपूर्ण जानकारी

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