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मोदी की सुनामी में जमानत तक नहीं बचा पाए दिल्ली के ये सियासी दिग्गज

AAP के तीन उम्मीदवार चांदनी चौक से पंकज गुप्ता, नई दिल्ली से बृजेश गोयल और नॉर्थ ईस्ट दिल्ली सीट से दिलीप पांडेय की जमानत जब्त हुई है तो वहीं कांग्रेस के दक्षिणी दिल्ली उम्मीदवार बॉक्सर विजेंदर सिंह भी अपनी जमानत नहीं बचा सके.

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Published : May 24, 2019, 2:00 PM IST

Updated : May 24, 2019, 6:25 PM IST

AAP के तीन, कांग्रेस के विजेंदर सिंह की जमानत जब्त

नई दिल्ली: राजधानी की सातों लोकसभा सीटों पर चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प रहा. 2014 के नतीजों को दोहराते हुए बीजेपी ने 2019 में दिल्ली की सातों सीटों पर जीत हासिल की. हैरान करने वाली बात ये है कि इस चुनाव में कई ऐसे सियासी दिग्गज हैं जो अपनी जमानत तक नहीं बचा सके.

निरंजन मिश्रा, संवाददाता दिल्ली

शुरुआत पूर्वी दिल्ली से करें तो पूर्वी दिल्ली में आम आदमी पार्टी उम्मीदवार आतिशी को जीत का प्रबल दावेदार माना जा रहा था, लेकिन वो तीसरे नंबर पर खिसक गईं और जमानत जब्त होने के पैमाने से महज कुछ ही वोट हासिल कर पाई.

पंकज गुप्ता

वहीं आम आदमी पार्टी के तीन अन्य उम्मीदवार आतिशी की तरह भाग्यशाली नहीं रहे. 7 उम्मीदवारों में से आम आदमी पार्टी के सबसे बड़े चेहरे राष्ट्रीय सचिव पंकज गुप्ता चांदनी चौक से मैदान में थे. जमानत बचाने के लिए पंकज गुप्ता को 2,60,378 वोट चाहिए थे, लेकिन उन्हें महज 1,44,551 वोट ही मिले.

दिलीप पांडेय

उत्तर पूर्वी दिल्ली से आम आदमी पार्टी उम्मीदवार दिलीप पांडेय पार्टी का पूर्वांचली चेहरा माने जाते हैं. दिलीप पांडेय दिल्ली प्रदेश संयोजक भी रह चुके हैं. इस लिहाज से उनकी लड़ाई में भी आम आदमी पार्टी की प्रतिष्ठा दांव पर थी. लेकिन दिलीप पांडेय मात्र 13.1 फीसदी वोट पा सके और जमानत गंवा बैठे.

बृजेश गोयल

नई दिल्ली लोकसभा सीट पर मुकाबला आम आदमी पार्टी के आलाकमान केजरीवाल के लिए नाक का सवाल था. क्योंकि इस लोकसभा क्षेत्र में उनका विधानसभा क्षेत्र भी पड़ता है. लेकिन आम आदमी पार्टी को सबसे बुरी हार यहीं देखनी पड़ी और यहां भी पार्टी जमानत नहीं बचा सकी. नई दिल्ली से जीत हासिल करने वाली मीनाक्षी लेखी को 5,04,201 वोट मिले, जबकि आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार बृजेश गोयल 1,50,342 पर ही सिमट गए.

बॉक्सर विजेंदर सिंह की भी जमानत जब्त
जमानत नहीं बचा सकने वालों में केवल आम आदमी पार्टी के नेता ही नहीं हैं, इसमें कांग्रेस का भी चेहरा शामिल है और वह भी कांग्रेस का स्टारडम वाला चेहरा.

दक्षिणी दिल्ली से उम्मीदवार उतारने में कांग्रेस को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी और अंत में पार्टी ने बॉक्सर विजेंदर को मैदान में उतारा. लेकिन कांग्रेस का सियासी पंच नहीं चल पाया.दक्षिणी दिल्ली में विजेंदर सिंह को महज 1,64,613 वोट मिले और यहां से जीत हासिल करने वाले रमेश बिधूड़ी को 6,87,014 वोट मिले.

हर बार चुनावों में कोई जीतता है, कोई हारता है तो किसी की जमानत जब्त होती है. लेकिन हार के बाद क्या क्या सबक लेते हैं. वो ज्यादा अहम है.

नई दिल्ली: राजधानी की सातों लोकसभा सीटों पर चुनावी मुकाबला बेहद दिलचस्प रहा. 2014 के नतीजों को दोहराते हुए बीजेपी ने 2019 में दिल्ली की सातों सीटों पर जीत हासिल की. हैरान करने वाली बात ये है कि इस चुनाव में कई ऐसे सियासी दिग्गज हैं जो अपनी जमानत तक नहीं बचा सके.

निरंजन मिश्रा, संवाददाता दिल्ली

शुरुआत पूर्वी दिल्ली से करें तो पूर्वी दिल्ली में आम आदमी पार्टी उम्मीदवार आतिशी को जीत का प्रबल दावेदार माना जा रहा था, लेकिन वो तीसरे नंबर पर खिसक गईं और जमानत जब्त होने के पैमाने से महज कुछ ही वोट हासिल कर पाई.

पंकज गुप्ता

वहीं आम आदमी पार्टी के तीन अन्य उम्मीदवार आतिशी की तरह भाग्यशाली नहीं रहे. 7 उम्मीदवारों में से आम आदमी पार्टी के सबसे बड़े चेहरे राष्ट्रीय सचिव पंकज गुप्ता चांदनी चौक से मैदान में थे. जमानत बचाने के लिए पंकज गुप्ता को 2,60,378 वोट चाहिए थे, लेकिन उन्हें महज 1,44,551 वोट ही मिले.

दिलीप पांडेय

उत्तर पूर्वी दिल्ली से आम आदमी पार्टी उम्मीदवार दिलीप पांडेय पार्टी का पूर्वांचली चेहरा माने जाते हैं. दिलीप पांडेय दिल्ली प्रदेश संयोजक भी रह चुके हैं. इस लिहाज से उनकी लड़ाई में भी आम आदमी पार्टी की प्रतिष्ठा दांव पर थी. लेकिन दिलीप पांडेय मात्र 13.1 फीसदी वोट पा सके और जमानत गंवा बैठे.

बृजेश गोयल

नई दिल्ली लोकसभा सीट पर मुकाबला आम आदमी पार्टी के आलाकमान केजरीवाल के लिए नाक का सवाल था. क्योंकि इस लोकसभा क्षेत्र में उनका विधानसभा क्षेत्र भी पड़ता है. लेकिन आम आदमी पार्टी को सबसे बुरी हार यहीं देखनी पड़ी और यहां भी पार्टी जमानत नहीं बचा सकी. नई दिल्ली से जीत हासिल करने वाली मीनाक्षी लेखी को 5,04,201 वोट मिले, जबकि आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार बृजेश गोयल 1,50,342 पर ही सिमट गए.

बॉक्सर विजेंदर सिंह की भी जमानत जब्त
जमानत नहीं बचा सकने वालों में केवल आम आदमी पार्टी के नेता ही नहीं हैं, इसमें कांग्रेस का भी चेहरा शामिल है और वह भी कांग्रेस का स्टारडम वाला चेहरा.

दक्षिणी दिल्ली से उम्मीदवार उतारने में कांग्रेस को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी और अंत में पार्टी ने बॉक्सर विजेंदर को मैदान में उतारा. लेकिन कांग्रेस का सियासी पंच नहीं चल पाया.दक्षिणी दिल्ली में विजेंदर सिंह को महज 1,64,613 वोट मिले और यहां से जीत हासिल करने वाले रमेश बिधूड़ी को 6,87,014 वोट मिले.

हर बार चुनावों में कोई जीतता है, कोई हारता है तो किसी की जमानत जब्त होती है. लेकिन हार के बाद क्या क्या सबक लेते हैं. वो ज्यादा अहम है.

Intro:दिल्ली की 7 सीटों पर चुनाव जीतना दिलचस्प रहा, नतीजे उतने ही हैरान करने वाले सामने आए. आसान लगने वाली जीत हार में बदल गई, सामान्य जीत की संभावना ने ऐतिहासिक रूप ले लिया वहीं दिग्गज दिखने वाले नेता भी जमानत नहीं बचा सके.





Body:दिल्ली: पूर्वी दिल्ली में आम आदमी पार्टी उम्मीदवार आतिशी को जीत का प्रबल दावेदार माना जा रहा था, लेकिन वो तीसरे नंबर पर खिसक गईं और जमानत जब्त होने के पैमाने से महज फीसदी ज्यादा वोट ही प्राप्त कर सकीं. लेकिन आम आदमी पार्टी के तीन अन्य उम्मीदवार आतिशी की तरह भाग्यशाली नहीं रहे. 7 उम्मीदवारों में से आम आदमी पार्टी के सबसे बड़े चेहरे राष्ट्रीय सचिव पंकज गुप्ता चांदनी चौक से मैदान में थे. जमानत बचाने के लिए पंकज गुप्ता को 2,60,378 वोट चाहिए थे, लेकिन वे प्राप्त कर सके महज 1,44,551.

इसी तरह, उत्तर पूर्वी दिल्ली से आम आदमी पार्टी उम्मीदवार दिलीप पांडेय पार्टी के पूर्वांचली चीजें माने जाते हैं. दिलीप पांडेय दिल्ली प्रदेश संयोजक भी रह चुके हैं. इस लिहाज से उनकी लड़ाई में भी आम आदमी पार्टी की प्रतिष्ठा दांव पर थी. लेकिन दिलीप पांडेय मात्र 13.1 फीसदी वोट पा सके और जमानत गंवा दिया.

नई दिल्ली लोकसभा में तो आम आदमी पार्टी आलाकमान केजरीवाल के लिए ही नाक का सवाल था, क्योंकि इसी लोकसभा क्षेत्र में उनका विधानसभा क्षेत्र भी पड़ता है. लेकिन आम आदमी पार्टी को सबसे बुरी हार यही देखनी पड़ी और यहां भी पार्टी जमानत नहीं बचा सकी. नई दिल्ली से जीत हासिल करने वाली मीनाक्षी लेखी को 5,04,201 वोट मिले, जबकि आम आदमी पार्टी उम्मीदवार बृजेश गोयल 1,50,342 पर ही सिमट गए.

जमानत नहीं बचा सकने वालों में केवल आम आदमी पार्टी के नेता ही नहीं हैं. इसमें कांग्रेस का भी चेहरा शामिल है और वह भी कांग्रेस का स्टारडम वाला चेहरा. दक्षिणी दिल्ली से उम्मीदवार उतारने में कांग्रेस को काफी मशक्कत करनी पड़ी थी और अंत में पार्टी ने बॉक्सर विजेंद्र को मैदान में उतारा. लेकिन उस समय पता नहीं था कि कांग्रेस पार्टी जिसे सियासी पंच मान रही है, वह इस तरह पंचर हो जाएगा. दक्षिणी दिल्ली में विजेंद्र सिंह को मात्र 1,64,613 वोट मिले और यहां से जीत हासिल करने वाले रमेश बिधूड़ी को मिले 6,87,014 वोटों के आगे विजेंद्र बुरी तरह पस्त हो गए और वे भी जमानत नहीं बचा सके.



Conclusion:हालांकि सियासी मैदान में हारना या जमानत नहीं बचा पाना किसी के लिए भी उतना बुरा नहीं है, लेकिन एक सबक तो है ही और देखने वाली बात होगी कि ये नेता इस हार से किस तरह का सबक लेते हैं.
Last Updated : May 24, 2019, 6:25 PM IST
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