नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली में लोगों को बसों के ब्रेकडाउन से राहत दिलाने की तैयारी की जा रही है. बसों के बार बार ब्रेकडाउन होने की समस्या को देखते हुए परिवहन मंत्री कैलाश गहलोत ने कहा है कि जो बसें पूरी तरह से फिट नहीं हैं उन्हें रूट पर नहीं उतर जाएगा. उन्होंने कहा कि बसों को रोड पर तभी उतारा जाए मैकेनिक जब उनकी चेकिंग पूरी तरह से कर लें और वह आश्वस्त हो जाए की बस सड़क पर चलने के लिए फिट है. दरअसल दिल्ली परिवहन निगम की ज्यादातर बसों की आयु पूरी होने वाली है. ये सभी बसें कॉमनवेल्थ गेम से पहले खरीदी गई थी जिनकी उम्र 15 साल पूरी होने वाली है.
इसलिए उठाया गया है कदम
अभी डीटीसी के पास 3992 बसें हैं जिनमें 488 इलेक्ट्रिक हैं. पुरानी सीएनजी बसों के साथ नई इलेक्ट्रिक बसें भी रास्ते में चलते चलते रुक जा रही हैं. रोजाना करीब एक दर्जन इलेक्ट्रिक बसों का ब्रेकडाउन हो रहा है. एक बार चार्ज होने पर इलेक्ट्रिक बसों की 104 किलोमीटर चलने की क्षमता होती है लेकिन यह उससे पहले ही बैटरी खत्म हो जाने के कारण रुक जाती है. दिल्ली में डीटीसी के चार जोन ईस्ट, वेस्ट, साउथ और नॉर्थ जॉन में कुल 40 डिपो हैं जहां से इन बसों का मेंटेनेंस होता है. परिवहन मंत्री के इस कदम से लोगों को राहत की उम्मीद जगी है.
रोजाना होते हैं 100 से ज्यादा ब्रेकडाउन
दिल्ली परिवहन निगम के बेड़े में शामिल 3500 बसें कॉमनवेल्थ गेम्स के मद्देनजर वर्ष 2008-09 में खरीदी गई थी. इनमें एसी और नॉन एसी दोनों तरह की बसें शामिल हैं. अगले वर्ष उनकी आयु पूरी हो रही है. लेकिन इनमें से बहुत सारी बसें अभी से खराब हो रही हैं और सड़क पर चलते हुए बार बार उनका ब्रेकडाउन हो जाता है. डीटीसी के सभी रूटों पर रोजाना औसतन 100 बसों का ब्रेकडाउन होता है. इसकी वजह से सड़कों पर जाम भी लगता है और यातायात पुलिस को ट्रैफिक मैनेज करने में काफी परेशानी होती है. इस बारे में डीटीसी का पक्ष जानने के लिए डीटीसी की एमडी शिल्पा शिंदे को कॉल किया जाए उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया.
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