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बैंक ऑफ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान में उर्दू भाषा के चार उपन्यास शामिल

बैंक ऑफ बड़ौदा ने बैंक ऑफ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान पुरस्कार-2023 के लिए चयनित 12 रचनाओं की सूची की घोषणा की है. वार्ड जीतने वाली पुस्तक के मूल लेखक तथा उसके हिंदी अनुवादक को क्रमशः 21 लाख रुपये और 15 लाख रुपये की राशि दी जाएगी.

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बैंक ऑफ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान
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Published : Jun 1, 2023, 10:21 PM IST

बैंक ऑफ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान

नई दिल्ली: भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के अग्रणी बैंकों में से एक, बैंक ऑफ बड़ौदा ने बैंक ऑफ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान पुरस्कार-2023 के लिए चयनित 12 रचनाओं की सूची की घोषणा की है. पुरस्कार के पहले संस्करण के लिए नामांकित 12 उपन्यासों की लॉन्गलिस्ट में उर्दू भाषा के चार उपन्यास शामिल किए गए हैं. विभिन्न भारतीय भाषाओं की साहित्यिक रचनाओं को सम्मानित करने तथा उन्हें प्रोत्साहन देने के साथ-साथ अनुवाद के माध्यम से हिंदी पाठकों को सर्वश्रेष्ठ भारतीय साहित्य उपलब्ध कराने के प्रयासों को मान्यता देने के लिए इस पुरस्कार की शुरुआत की गई है. ताकि उपन्यासों के प्रति लोगों की दिलचस्पी को व्यापक बनाया जा सके और पाठकों के एक बड़े समूह के लिए सुलभ बनाया जा सके.

बैंक ऑफ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान अवार्ड रचना के मूल लेखक तथा पुस्तक के हिंदी अनुवादक दोनों को दिया जाएगा. अवार्ड जीतने वाली पुस्तक के मूल लेखक तथा उसके हिंदी अनुवादक को क्रमशः 21 लाख रुपए और 15 लाख रुपए की राशि प्रदान की जाएगी. इसके अलावा, 5 सर्वश्रेष्ठ चयनित पुस्तकों के लेखकों तथा उनके हिंदी अनुवादकों को भी 3 लाख रुपये और 2 लाख रुपये दिए जाएंगे.

बैंक ऑफ बड़ौदा के कार्यपालक निदेशक ललित त्यागी ने कहा कि साहित्यिक विरासत के मामले में हमारा देश काफी समृद्ध रहा है और अलग-अलग भाषाओं का संगम हमारी संस्कृति का आधार रहा है. इसलिए बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा बैंक ऑफ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान की घोषणा से सभी भाषाओं को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन मिलेगा. यदि हम राष्ट्रभाषा की बात करें, तो इसका तात्पर्य देश की सभी प्रमुख भाषाओं से है. मैं पूरी तरह आश्वस्त हूँ कि आने वाले समय में यह सम्मान साहित्य के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि साबित होगा.

दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में मूल रचनाओं के लेखक मोहसिन खान, सिद्दीक आलम और खालिद जावेद के साथ-साथ संबंधित रचनाओं के अनुवादकों यानी अर्जुमंद आरा, रिजवानुल हक तथा जमान तारिक ने एक पैनल चर्चा में भाग लिया. सभी लेखकों ने भारतीय साहित्य के मौजूदा परिदृश्य और पूरे भारत की साहित्यिक बिरादरी के लिए राष्ट्रभाषा सम्मान की अहमियत पर चर्चा की.

मोहसिन खान की "अल्लाह मियां का कारखाना" बेहद रोचक कृति है, जिसमें दिल को छू लेने वाली कहानी को स्पष्ट और बड़े मनमोहक तरीके से प्रस्तुत किया गया है. इस उपन्यास का हिंदी, मराठी, सिंधी, कश्मीरी और फारसी भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है. सिद्दीक आलम की "चीनी कोठी" एक रचनात्मक कहानी है, जिसमें मनुष्य के अपने अस्तित्व से संघर्ष तथा अपनी जड़ों की ओर वापस लौटने की तमन्ना को बयां किया गया है. इसकी कहानी बताती है कि व्यक्ति किस तरह अपने भीतर के उथल-पुथल, उत्तेजना, संदेह, मायूसी तथा सामाजिक जीवन और प्रकृति के विरोधाभासों से तालमेल बिठाता है और उन पर क़ाबू पाता है. खालिद जावेद के दो उपन्यास 'एक खंजर पानी में' और 'नेमत खाना' भी चयनित पुस्तकों की सूची में शामिल है.

ये भी पढ़ें : दिल्ली के जनपथ मार्केट पहुंचे फिल्ली सितारे, सारा अली खान और विक्की कौशल ने रेहड़ी-पटरी वालों से की शॉपिंग

बैंक ऑफ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान

नई दिल्ली: भारत में सार्वजनिक क्षेत्र के अग्रणी बैंकों में से एक, बैंक ऑफ बड़ौदा ने बैंक ऑफ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान पुरस्कार-2023 के लिए चयनित 12 रचनाओं की सूची की घोषणा की है. पुरस्कार के पहले संस्करण के लिए नामांकित 12 उपन्यासों की लॉन्गलिस्ट में उर्दू भाषा के चार उपन्यास शामिल किए गए हैं. विभिन्न भारतीय भाषाओं की साहित्यिक रचनाओं को सम्मानित करने तथा उन्हें प्रोत्साहन देने के साथ-साथ अनुवाद के माध्यम से हिंदी पाठकों को सर्वश्रेष्ठ भारतीय साहित्य उपलब्ध कराने के प्रयासों को मान्यता देने के लिए इस पुरस्कार की शुरुआत की गई है. ताकि उपन्यासों के प्रति लोगों की दिलचस्पी को व्यापक बनाया जा सके और पाठकों के एक बड़े समूह के लिए सुलभ बनाया जा सके.

बैंक ऑफ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान अवार्ड रचना के मूल लेखक तथा पुस्तक के हिंदी अनुवादक दोनों को दिया जाएगा. अवार्ड जीतने वाली पुस्तक के मूल लेखक तथा उसके हिंदी अनुवादक को क्रमशः 21 लाख रुपए और 15 लाख रुपए की राशि प्रदान की जाएगी. इसके अलावा, 5 सर्वश्रेष्ठ चयनित पुस्तकों के लेखकों तथा उनके हिंदी अनुवादकों को भी 3 लाख रुपये और 2 लाख रुपये दिए जाएंगे.

बैंक ऑफ बड़ौदा के कार्यपालक निदेशक ललित त्यागी ने कहा कि साहित्यिक विरासत के मामले में हमारा देश काफी समृद्ध रहा है और अलग-अलग भाषाओं का संगम हमारी संस्कृति का आधार रहा है. इसलिए बैंक ऑफ बड़ौदा द्वारा बैंक ऑफ बड़ौदा राष्ट्रभाषा सम्मान की घोषणा से सभी भाषाओं को बड़े पैमाने पर प्रोत्साहन मिलेगा. यदि हम राष्ट्रभाषा की बात करें, तो इसका तात्पर्य देश की सभी प्रमुख भाषाओं से है. मैं पूरी तरह आश्वस्त हूँ कि आने वाले समय में यह सम्मान साहित्य के क्षेत्र में एक बड़ी उपलब्धि साबित होगा.

दिल्ली में आयोजित कार्यक्रम में मूल रचनाओं के लेखक मोहसिन खान, सिद्दीक आलम और खालिद जावेद के साथ-साथ संबंधित रचनाओं के अनुवादकों यानी अर्जुमंद आरा, रिजवानुल हक तथा जमान तारिक ने एक पैनल चर्चा में भाग लिया. सभी लेखकों ने भारतीय साहित्य के मौजूदा परिदृश्य और पूरे भारत की साहित्यिक बिरादरी के लिए राष्ट्रभाषा सम्मान की अहमियत पर चर्चा की.

मोहसिन खान की "अल्लाह मियां का कारखाना" बेहद रोचक कृति है, जिसमें दिल को छू लेने वाली कहानी को स्पष्ट और बड़े मनमोहक तरीके से प्रस्तुत किया गया है. इस उपन्यास का हिंदी, मराठी, सिंधी, कश्मीरी और फारसी भाषाओं में अनुवाद किया जा चुका है. सिद्दीक आलम की "चीनी कोठी" एक रचनात्मक कहानी है, जिसमें मनुष्य के अपने अस्तित्व से संघर्ष तथा अपनी जड़ों की ओर वापस लौटने की तमन्ना को बयां किया गया है. इसकी कहानी बताती है कि व्यक्ति किस तरह अपने भीतर के उथल-पुथल, उत्तेजना, संदेह, मायूसी तथा सामाजिक जीवन और प्रकृति के विरोधाभासों से तालमेल बिठाता है और उन पर क़ाबू पाता है. खालिद जावेद के दो उपन्यास 'एक खंजर पानी में' और 'नेमत खाना' भी चयनित पुस्तकों की सूची में शामिल है.

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