नई दिल्ली: देश में स्पाइन स्पाइन यानी रीढ़ की हड्डी के रोगियों की संख्या में बढ़ोत्तरी हो रही है. यह एक ऐसा रोग है, जिसका समय पर इलाज नहीं किया गया तो आदमी को बिस्तर पर लेटा देता है. हालांकि, सरकार के पास इनके मरीजों के आंकड़े नहीं है और न ही केस स्टडी है. इस कारण स्वास्थ्य व्यवस्था चुनौतियों का सामना कर रहा है. लोगों को इस तरह के रोग से बचने के लिए क्या करना चाहिए? क्या नहीं करना चाहिए? इस सभी बिंदुओं पर ETV भारत ने दिल्ली में आयोजित जागरुकता कार्यक्रम में शामिल होने आए एसोसिएशन ऑफ स्पाइन सर्जन्स ऑफ इंडिया (एएसएसआई) के अध्यक्ष डॉ. सौम्यजीत बसु से बातचीत की है. डॉ. बसु से स्पाइन संबंधी समस्याओं को लेकर किस तरह की जागरुकता, सावधानियां और अन्य प्रयास करने की जरूरत है, इसको लेकर बातचीत की. पढ़ें...
सवालः देश में स्पाइन (रीढ़) संबंधी समस्याओं बारे में लोगों को जागरूक करने की जरूरत क्यों है?
जवाबः देश में ही नहीं पूरे विश्व में स्पाइन संबंधी बीमारियों के मरीज बड़ी संख्या में हैं. स्पाइन में एक बार गंभीर चोट लगने के बाद मरीज को पुनर्वास की जरूरत पड़ती है. व्यक्ति बिस्तर पर आ जाता है और उसे फिर जीरो से शुरुआत करनी पड़ती है. इसको ठीक होने में भी समय लगता है. इसलिए रीढ़ संबंधी समस्याओं व बीमारियों के बारे में जागरुकता जरूरी है.
सवालः देश में स्पाइन हेल्थ के बारे में लोगों को बड़े स्तर जागरूक करने के लिए क्या करने की जरूरत है?
जवाबः स्पाइन हेल्थ के लिए सरकार को एक राष्ट्रीय कार्यक्रम चलाने की जरूरत है, जिससे हमारे पास एक अच्छा डेटा आ जाए. अभी हमारे पास स्पाइन संबंधी बीमारी को लेकर कोई डेटा नहीं है.
सवालः आम तौर पर लोगों को स्पाइन से जुड़ी कौन-कौन सी बीमारियां होती हैं?
जवाबः आम जनता को बैक पेन, स्पाइनल कॉर्ड इंजरी और स्पाइन टीवी के बारे में जानकारी नहीं है. इसलिए जागरुकता बहुत जरूरी है.
सवालः बैक पेन की समस्या आजकल आम हो गई है. किस तरह का बैक पेन हो तो डॉक्टर को दिखाना चाहिए?
जवाबः अगर बैक पेन इतना ज्यादा है कि आप एक सप्ताह तक अपने टॉयलेट तक नहीं जा पा रहे हो तो ऐसी स्थिति में स्पेशलिस्ट डॉक्टर को दिखाने की जरूरत है.
सवालः स्पाइन में गंभीर चोट किन परिस्थितियों में लगती है और किस हद तक स्थिति गंभीर हो सकती है?
जवाबः सड़क दुर्घटना और पेड़ से पीठ के बल गिरने से अगर स्पाइन में गंभीर फ्रैक्चर होता है, जिसके बाद आदमी पूरी तरह पैरालाइज होकर बिस्तर पर आ जाता है. ऐसे व्यक्ति का इलाज करने में काफी समय लगता है. उसके बाद धीरे-धीरे फिर से उस व्यक्ति को मुख्यधारा में लाने के लिए काफी संघर्ष करना पड़ता है.
सवालः देश या दुनिया में हर साल में कितने लोग स्पाइन संबंधी बीमारियों से जूझते हैं?
जवाबः इस तरह का कोई डाटा तो अभी हमारे पास नहीं है, क्योंकि देश में स्पाइन संबंधी बीमारियों के मरीजों की अभी तक रजिस्ट्री शुरू नहीं हुई है. इसलिए हम जल्दी सरकार को इस संबंध में एक रजिस्ट्री शुरू करने का भी प्रस्ताव देंगे, जिससे साइन के मरीजों का एक डेटा तैयार हो और इसके आधार पर आगे भी इलाज में मदद मिलती रहे.
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