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पारदर्शिता परफॉर्मेंस के लिये एम्स में नई पहल, हर मरीज पर होने वाले खर्चों का रखा जाएगा हिसाब

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Published : Dec 31, 2022, 2:31 PM IST

देश की सबसे बड़े अस्पताल एम्स (AIIMS Hospital Delhi) में नए साल के मौके पर कुछ बदलाव होने जा रहा है. दरअसल, एम्स में पारदर्शिता लाने के लिए अब मरीजों पर होने वाले खर्चों का रिकॉर्ड रखा जाएगा. इसके लिए एम्स के डायरेक्टर प्रो. एम श्रीनिवास ने एक सर्कुलर जारी किया है. सर्कुलर के अनुसार, एम्स के हर विभाग में इलाज कराने वाले मरीजों पर होने वाले खर्चों का विधिवत रिकॉर्ड रखा जाएगा.

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एम्स में नई पहल

नई दिल्ली : देश की सबसे बड़े अस्पताल एम्स में पारदर्शिता लाने के लिए डायरेक्टर प्रो. एम श्रीनिवास ने कई पहलुओं पर काम शुरू किया है. एम्स भारत सरकार का सबसे बड़ा अस्पताल है और स्वास्थ्य मंत्री इसके अध्यक्ष हैं. इसके संचालन के लिए प्रतिवर्ष एक निश्चित बजट प्राप्त होता है. खर्चों का रिकॉर्ड रखने के लिए एम्स के डायरेक्टर प्रो. एम श्रीनिवास ने एक सर्कुलर जारी किया है, जिसके मुताबिक एम्स के हर विभाग में इलाज कराने वाले मरीजों पर होने वाले खर्चों का विधिवत रिकॉर्ड रखा जाएगा.

नए साल में इस सरकारी अस्पताल में मुफ्त इलाज कराने आने वाले मरीजों के खर्चों का हिसाब-किताब रखा जाएगा. अस्पताल के खर्चे के विवरण को रिकॉर्ड के रूप में रखने के लिए ऐसी पहल एम्स में की गई है. आयुष्मान भारत से अस्पताल में इलाज की सुविधा प्राप्त करने वाले मरीज और सामान्य मरीज दोनों के बिल के रिकार्ड बनाया जाएगा. आयुष्मान भारत योजना के तहत इन मरीजों के बिल का नियम के अनुसार रिइम्बर्श किया जाएगा और इसके साथ ही उन मरीजों का भी बिल तैयार किया जाएगा जिनके पास आयुष्मान भारत कार्ड नहीं है. इसका उद्देश्य अस्पताल में प्रतिवर्ष प्राप्त बजट के खर्चों का विवरण जानना है. बजट का कितना प्रतिशत हिस्सा किस विभाग पर खर्च होता है, इसकी सही रिकॉर्ड प्राप्त किया जाएगा.

प्रोफेसर एम. शनिवास ने स्पष्ट किया है कि एम्स में आयुष्मान भारत कार्ड से इलाज कराने जो मरीज आते हैं उनके खर्चे का पूरा ब्यौरा रखा जाता है और इसका एक बिल भारत सरकार को भेजा जाता है, जिसे सरकार की ओर से रिइम्बर्श किया जाता है. लेकिन जिन मरीजों के पास आयुष्मान कार्ड नहीं है और जिन्हें एम्स में मुफ्त सुविधाएं मिलती हैं इसका कोई हिसाब किताब नहीं होता. इसीलिए यह तय किया गया है कि एम्स में इलाज कराने आने वाले हर मरीजों का एक डेटाबेस तैयार होगा, जिसमें उन पर होने वाले खर्चों का भी हिसाब किताब रखा जाएगा.

इससे यह स्पष्ट होगा कि किस विभाग में कितने मरीजों पर कितना खर्च हुआ. इसमें हर वार्ड से लेकर डे केयर मरीजों के ऊपर भी यह नियम लागू होगा. इससे यह भी पता चलेगा कि किस विभाग का परफॉर्मेंस कैसा है. साथ ही यह भी पता चलेगा कि किन बीमारियों के इलाज पर भारत सरकार की तरफ से कितना खर्चा किया गया है. इस पहल से एम्स के प्रोक्योरमेंट डिपार्टमेंट में पारदर्शिता आएगी और भ्रष्टाचार दूर होगा.

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एम्स के डॉक्टर बताते हैं कि एम्स में जो मुफ्त सुविधाएं उपलब्ध हैं जैसे दवाइयां और इंप्लांट्स को लेकर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होता है. इस पर नकेल कसने के लिए ही ऐसी पहल की गई है. अब एम्स के हर विभाग में इलाज के लिए आने वाले मरीजों के ऊपर जितना खर्च होता है उसका हिसाब-किताब रखा जाएगा और फिर साल के अंत में यह देखा जाएगा कि किस विभाग में अस्पताल को दिए गए बजट का कितना पैसा खर्च हुआ. इससे इलाज की पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और भ्रष्टाचार नहीं होगा. दिल्ली एम्स में प्रतिदिन करीब 12 हज़ार मरीज ईलाज कराने के लिए पहुंचते हैं.

ये भी पढ़ें : उपहार में मिले आभूषण पत्नी की निजी संपत्ति बिना अनुमति नहीं ले सकता पति: हाई कोर्ट

नई दिल्ली : देश की सबसे बड़े अस्पताल एम्स में पारदर्शिता लाने के लिए डायरेक्टर प्रो. एम श्रीनिवास ने कई पहलुओं पर काम शुरू किया है. एम्स भारत सरकार का सबसे बड़ा अस्पताल है और स्वास्थ्य मंत्री इसके अध्यक्ष हैं. इसके संचालन के लिए प्रतिवर्ष एक निश्चित बजट प्राप्त होता है. खर्चों का रिकॉर्ड रखने के लिए एम्स के डायरेक्टर प्रो. एम श्रीनिवास ने एक सर्कुलर जारी किया है, जिसके मुताबिक एम्स के हर विभाग में इलाज कराने वाले मरीजों पर होने वाले खर्चों का विधिवत रिकॉर्ड रखा जाएगा.

नए साल में इस सरकारी अस्पताल में मुफ्त इलाज कराने आने वाले मरीजों के खर्चों का हिसाब-किताब रखा जाएगा. अस्पताल के खर्चे के विवरण को रिकॉर्ड के रूप में रखने के लिए ऐसी पहल एम्स में की गई है. आयुष्मान भारत से अस्पताल में इलाज की सुविधा प्राप्त करने वाले मरीज और सामान्य मरीज दोनों के बिल के रिकार्ड बनाया जाएगा. आयुष्मान भारत योजना के तहत इन मरीजों के बिल का नियम के अनुसार रिइम्बर्श किया जाएगा और इसके साथ ही उन मरीजों का भी बिल तैयार किया जाएगा जिनके पास आयुष्मान भारत कार्ड नहीं है. इसका उद्देश्य अस्पताल में प्रतिवर्ष प्राप्त बजट के खर्चों का विवरण जानना है. बजट का कितना प्रतिशत हिस्सा किस विभाग पर खर्च होता है, इसकी सही रिकॉर्ड प्राप्त किया जाएगा.

प्रोफेसर एम. शनिवास ने स्पष्ट किया है कि एम्स में आयुष्मान भारत कार्ड से इलाज कराने जो मरीज आते हैं उनके खर्चे का पूरा ब्यौरा रखा जाता है और इसका एक बिल भारत सरकार को भेजा जाता है, जिसे सरकार की ओर से रिइम्बर्श किया जाता है. लेकिन जिन मरीजों के पास आयुष्मान कार्ड नहीं है और जिन्हें एम्स में मुफ्त सुविधाएं मिलती हैं इसका कोई हिसाब किताब नहीं होता. इसीलिए यह तय किया गया है कि एम्स में इलाज कराने आने वाले हर मरीजों का एक डेटाबेस तैयार होगा, जिसमें उन पर होने वाले खर्चों का भी हिसाब किताब रखा जाएगा.

इससे यह स्पष्ट होगा कि किस विभाग में कितने मरीजों पर कितना खर्च हुआ. इसमें हर वार्ड से लेकर डे केयर मरीजों के ऊपर भी यह नियम लागू होगा. इससे यह भी पता चलेगा कि किस विभाग का परफॉर्मेंस कैसा है. साथ ही यह भी पता चलेगा कि किन बीमारियों के इलाज पर भारत सरकार की तरफ से कितना खर्चा किया गया है. इस पहल से एम्स के प्रोक्योरमेंट डिपार्टमेंट में पारदर्शिता आएगी और भ्रष्टाचार दूर होगा.

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एम्स के डॉक्टर बताते हैं कि एम्स में जो मुफ्त सुविधाएं उपलब्ध हैं जैसे दवाइयां और इंप्लांट्स को लेकर बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार होता है. इस पर नकेल कसने के लिए ही ऐसी पहल की गई है. अब एम्स के हर विभाग में इलाज के लिए आने वाले मरीजों के ऊपर जितना खर्च होता है उसका हिसाब-किताब रखा जाएगा और फिर साल के अंत में यह देखा जाएगा कि किस विभाग में अस्पताल को दिए गए बजट का कितना पैसा खर्च हुआ. इससे इलाज की पूरी प्रक्रिया में पारदर्शिता आएगी और भ्रष्टाचार नहीं होगा. दिल्ली एम्स में प्रतिदिन करीब 12 हज़ार मरीज ईलाज कराने के लिए पहुंचते हैं.

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