नई दिल्ली: विभिन्न हाउसिंग सोसाइटियों के संगठन एसोसिएशन ऑफ होम सीकर्स इन दिल्ली (एएचएसआईडी) ने गुरुवार को पालम में बैठक की. इसके बाद इन एसोसिएशन ने दिल्ली में जल्दी से जल्दी संशोधित लैंड पूलिंग पॉलिसी लागू कराने के लिए केंद्रीय शहरी एवं विकास मंत्रालय के साथ ही प्रधानमंत्री कार्यालय में ज्ञापन भेजा है. लैंड पूलिंग पॉलिसी द्वारा विभिन्न आय वर्गों के लोगों को किफायती दामों पर मकान उपलब्ध कराने का सपना देखा गया था.
10 साल से अटकी है पॉलिसी: एएचएसआईडी के सचिव केएस कृष्णन ने बताया कि साल 2001 में दिल्ली की आबादी 1.3 करोड़ थी और दिल्ली के मास्टर प्लान 2001—2020 में साल 2021 तक राजधानी की आबादी को बढ़कर 2.5 करोड़ तक हो जाने का अनुमान लगाया गया था. दिल्ली की बढ़ने वाली आबादी के मद्देनजर ही साल 2013 में इसे बनाया गया था, लेकिन 10 साल बीत जाने के बाद भी लैंड पूलिंग पॉलिसी को अब तक धरातल पर नहीं उतारा जा सका है.
दिल्ली की लैंड पूलिंग पॉलिसी के लिए केंद्रीय शहरी मंत्रालय को मजबूत इच्छाशक्ति दिखाने की आवश्यकता है. एएचएसआईडी के ही एक अन्य सचिव वीके शर्मा ने कहा कि दिल्ली के 2021 मास्टर प्लान के जरिए लैंड पूलिंग पॉलिसी में पीपीपी यानी पब्लिक प्राइवेट पार्टिसिपेशन के जरिए मकानों का निर्माण किया जाना था, लेकिन पॉलिसी को मूर्त रूप न मिलने से अब तक निर्माण कार्य भी शुरू नहीं हो सका है.
इसके अलावा दिल्ली के 2020—2041 मास्टर प्लान को इसी साल मई तक नोटिफाई होना था, लेकिन वह प्रक्रिया भी अब तक पूरी नहीं हो सकी है. जब तक डीडीए और क्रेंदीय शहरी विकास मंत्रालय की तरफ से जब तक लैंड पूलिंग पॉलिसी को संसोधित कर लागू करने की दिशा में कोई सकारात्मक कदम नहीं उठाया जाता तब तक दिल्ली में अनधिकृत निर्माण और ऐसी ही कॉलोनियां विकसित होती रहेंगी. उन्होंने कहा कि नए मास्टर प्लान से दिल्ली के विकास की परिकल्पना बेमानी सी होगी, क्योंकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस नियोजित दिल्ली का सपना देखा है वह इस पॉलिसी की अनुपस्थिति में सफल नहीं हो सकेगी.
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ये संस्था कर रही पॉलिसी की मांग: संशोधित लैंड पूलिंग पॉलिसी की मांग करने वाली संस्था एएचएसआईडी के अंतर्गत इंडियन ऑयल कॉरपोरेशन लिमिटेड (आईओसीएल), इंजीनियर्स इंडिया लिमिटेड (ईआईएल), गैस अथॉरिटी इंडिया लिमिटेड (गेल), ऑयल ऐंड नैचुरल गैस कॉरपोरशन (ओएनजीसी), नेशनल थर्मल पावर कॉरपोरशन (एनटीपीसी) अलावा एलआईसी, डीएमआरसी, भारतीय रेल जैसे संस्थानों की सोसाइटियां शामिल हैं. इन्होंने दिल्ली के नोटिफाइड अर्बनाइज्ड जोन में अफोर्डेबल हाउसिंग का सपना साकार करने के लिए जमीन खरीदी है, लेकिन लैंड पूलिंग पॉलिसी को मंजूरी न मिल पाने की वजह से इनके मकानों का सपना फिलहाल अधर में लटका हुआ है.
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