नई दिल्ली: हाल में आम आदमी पार्टी के कुछ पदाधिकारियों ने पार्टी छोड़कर बीजेपी का दाम थाम लिया है. बगैर चुनावी मौसम के बड़ी तादात में जिस तरह आम आदमी पार्टी का साथ छोड़ बीजेपी में ये सब शामिल हुए. ईटीवी भारत ने आम आदमी पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल हुए पदाधिकारियों से वजह टटोलने की कोशिश की तो इन पदाधिकारियों ने अपनी पार्टी छोड़ने की वजहें बताई.
AAP नेता बीजेपी खेमे में शामिल
राजधानी की सत्ता में दोबारा दमदार वापसी के बाद भी केजरीवाल सरकार और उनकी आम आदमी पार्टी के संस्थापक सदस्यों का मोहभंग हो रहा है. आठ साल पहले जनता की सेवा के लिए और अलग राजनीति करने के इरादे से जो लोग केजरीवाल के नेतृत्व में बनी आम आदमी पार्टी में शामिल हुए थे.
अब पार्टी छोड़ने वाले सभी पदाधिकारियों का आरोप है कि जनता के हित से केजरीवाल सरकार का कोई सरोकार नहीं रहा. क्योंकि उनका वास्ता सीधे आम लोगों से है. ऐसे में उन्हें सरकार की अनदेखी का गुस्सा झेलना पड़ता है, इसलिए उन्होंने पार्टी छोड़ दी और बीजेपी में शामिल हो गए.
'सपना ही रह गया स्वराज'
आम आदमी पार्टी के आरडब्ल्यूए प्रकोष्ठ के कोषाध्यक्ष विजय थरेजा, ये संस्थापक सदस्यों में शामिल थे. इन्होंने कहा कि अरविंद केजरीवाल हमेशा स्वराज की बात करते थे. अन्ना आंदोलन के बाद जब स्वराज का सपना दिखाकर राजनीतिक पार्टी बनी.
मोहल्ला सभा जिसमें सीधे आम लोगों की सहमति से विकास कर लोगों के जीवन स्तर में सुधार की बातें होनी थी. शुरुआत में तो कुछ महीने तक ये हुआ, लेकिन उसकी बात मोहल्ला सभा जैसे अपने ड्रीम प्रोजेक्ट को केजरीवाल के नेतृत्व वाली आम आदमी पार्टी ने भुला दिया.
उनका कहना है कि हम लोगों का वास्ता सीधे दिल्ली की आम जनता से हैं. वो हम से अपेक्षा करते हैं कि हम उनकी समस्या दूर करने में मदद करेंगे. लेकिन जब सरकार तक कि हम लोगों की पहुंच नहीं हो पाती, तो हम क्या करें? कोरोना महामारी के समय जब लोग इलाज के लिए भटकते थे. उनके पास आते थे. तब भी वे असहाय महसूस करते थे.
'जमीन पर केजरीवाल ने नहीं किया कोई काम'
आम आदमी पार्टी के आरडब्ल्यूए प्रकोष्ठ के अध्यक्ष अजय जैन कहते हैं कि आरडब्ल्यूए के सहयोग से पूरी दिल्ली में सीसीटीवी कैमरे लगना तय हुआ था. घरों के बाहर लाइट लगाने की बात हुई थी. मोहल्ला सभा का गठन होगा. ऐसा केजरीवाल सरकार ने तो कहा, लेकिन सभी बातें झूठ का पुलिंदा साबित हुआ. वास्तविकता में इस पर कोई काम नहीं किया गया. इसमें आरडब्ल्यूए के कार्यकर्ता हतोत्साहित हो गए.
कोरोना काल में सीएम केजरीवाल पर मुंह मोड़ने का आरोप
कोरोना जैसी वैश्विक महामारी के दौर में भी केजरीवाल सरकार ने दिल्ली वालों के लोगों से मुंह मोड़ लिया. लोग इलाज के लिए दर-दर भटक रहे थे. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह ने लोगों को सुरक्षित रखने के लिए जो महत्वपूर्ण कदम उठाए. जब दिल्ली के लोग उनके कृतज्ञ हो गए, तो उन्हें भी लगा कि वो ऐसी पार्टी में क्यों रहे जहां बात ही नहीं सुनी जाती है. फिर उन्होंने आम आदमी पार्टी छोड़कर बीजेपी में शामिल होने का फैसला लिया.
सीएम और डिप्टी सीएम के विधानसभा से टूटे आप पदाधिकारी
आरडब्लूए प्रकोष्ठ के पदाधिकारी रोबिन, रविकांत अत्री, प्रेम कुमार यादव, विपिन शर्मा, राज अत्री, जुगल किशोर, पंकज सिंह समेत तमाम पदाधिकारी जो अरविंद केजरीवाल और मनीष सिसोदिया के विधानसभा क्षेत्र में जनता के साथ सीधे जुड़ कर सरकारी मदद को व्यवस्थित करने का काम करते थे. उनका कहना है कि जनता से किए वादे सिर्फ दिखाने के लिए सीसीटीवी लगाए गए.
आज हालत ये है कि सभी जगह वो कबाड़ बन चुका है. वहां पर किसी घटना के बाद सीसीटीवी के फुटेज देखना हो तो कोई कोड नहीं है. कैमरा चलते नहीं है. ये एक उदाहरण मात्र है. सरकार की बाकी योजनाएं भी धरातल पर कम साकार हो पाई है.
बीजेपी में आने का मकसद ये है कि राष्ट्र निर्माण में पार्टी की भूमिका की जो बात और सुनते आ रहे थे वो दिखाई दे रहा है. प्रधानमंत्री के कुशल नेतृत्व से प्रभावित होकर उन्होंने बीजेपी में शामिल होने का फैसला लिया.
बता दें कि आज से नौ साल पहले रामलीला मैदान में अन्ना आंदोलन से निकली आम आदमी पार्टी ने राजनीति में आने से, स्वराज सिद्धांत पर शासन करने का फैसला लिया था. लेकिन जिस तरह बगैर चुनावी मौसम के पार्टी के पदाधिकारी ने पाला बदल रहे हैं. राष्ट्रीय पार्टी बनने का सपना देख रही आप के लिए किसी सदमे से कम नहीं.