नई दिल्ली : दिल्ली सरकार में मंत्री सौरभ भारद्वाज ने आज प्रेस कॉन्फ्रेंस कर केंद्र सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा कि मार्च के महीने में संसद और अलग राज्यों की विधानसभा में बजट रखा जाता है. इस पर चर्चा होती है. बजट प्रजातंत्र का पर्व है. हिन्दुस्तान के 75 साल के प्रजातांत्रिक इतिहास में या पूरी दुनिया के इतिहास में ऐसा हुआ हो कि किसी राज्य सरकार का बजट निर्धारित तारीख पर आना हो, और वित्त मंत्री बजट पेश करने करने के लिए तैयार हो, तब केंद्र सरकार बजट रोक दे. हम जी-20 में अलग-अलग देशों से लोगों को बुला रहे हैं. वो अखबार देखते होंगे, तो क्या सोचते होंगे ?
सौरभ भारद्वाज ने कहा कि एलएनजेपी अस्पताल में स्ट्रेचर खींचने वाला सोच रहा होगा कि केंद्र, दिल्ली सरकार का बजट रोक रही है. स्कूल में पढ़ाने वाले शिक्षक क्या सोचेंगे? प्रधानमंत्री को इस पर बयान देना चाहिए. दिल्ली के वित्त मंत्री ने कहा कि हमारा बजट 10 मार्च को तैयार कर गृह मंत्रालय के पास भेज दिया गया था. वहां से कुछ सवाल लगाकर 17 मार्च को मुख्य सचिव नरेश कुमार को भेजा गया. जिसे सीएम या वित्त मंत्री को नहीं भेजा. 20 मार्च को शाम 6 बजे खबर आई कि दिल्ली का बजट केंद्र सरकार ने रोक दिया है. तब मुख्य सचिव शाम 6 बजे वित्त मंत्री को कहते हैं कि केंद्र सरकार की तरफ से रुकावट आई है. आखिर, क्यों मुख्य सचिव ने केंद्र सरकार की चिट्ठी छिपा कर रखी है. ये काम कोई मुख्य सचिव कैसे कर सकता है. मुख्य सचिव और वित्त सचिव घर में बैठ कर सरकार के खिलाफ षडयंत्र रच रहे हैं. यह सब केंद्र के इशारे पर हो रहा है.
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सौरभ भारद्वाज ने कहा कि यह देशद्रोह है कि आप एक छोटे से राज्य के खिलाफ षडयंत्र रच रहे हैं. दिल्ली के दो करोड़ लोगों के साथ षडयंत्र हो रहा है. प्रधानमंत्री की भी दिल्ली के प्रति जिम्मेदारी है. केंद्र और एलजी क्यों चुप बैठे हैं? ये कैसी संवैधानिक व्यवस्था है कि एक राज्य का बजट सीक्रेट डॉक्यूमेंट होता है. वह सदन के पटल पर रखने से पहले किसी को नहीं दिखाया जाता है. छोटी सी छोटी बात लीक न हो, इसकी पूरी तैयारी होती है. वह केंद्र सरकार के बाबू के पास क्यों जाएगा? क्या केंद्र सरकार के बाबू दिल्ली की चुनी सरकार से ऊपर हैं? क्या वो बताएंगे कि क्या सही है और क्या गलत है? ये किसी भी प्रजातांत्रिक देश में ठीक नहीं है.
उन्होंने कहा कि झूठ कहा जा रहा है कि कैपिटल एक्सपेंडिचर कम है और विज्ञापन का बजट ज्यादा है. 20 हजार करोड़ रुपये से ज्यादा कैपिटल एक्सपेंडिचर है. वहीं विज्ञापन का बजट करीब 500 करोड़ रुपये है, जो पिछले साल भी था. साथ ही कहा कि बीजेपी मैदान में आए. पूरी दिल्ली घूम लें. दिल्ली के अखबार निकाल लें. यूपी के योगी, हरियाणा के खट्टर, उत्तराखंड के धामी, मध्य प्रदेश के शिवराज के पोस्टर और विज्ञापन हैं. गुरुग्राम में हर खंबे पर विज्ञापन है.
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