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आम आदमी पार्टी की स्थापना को 11 साल हुए पूरे, कई बड़े उतार-चढ़ाव का किया सामना - मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल

Aam Aadmi Party completes 11 years: आम आदमी पार्टी आज अपनी स्थापना के 11 वर्ष पूरे होने का जश्न मना रही है. इस मौके पर जानिए कैसे यह पार्टी उभरकर दिल्ली की सत्ता पर काबिज हुई. पढ़ें पूरी रिपोर्ट..

Aam Aadmi Party
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 26, 2023, 1:10 PM IST

Updated : Nov 26, 2023, 2:11 PM IST

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी की स्थापना को 26 नवंबर, रविवार को 11 साल पूरे हो गए. अन्ना हजारे आंदोलन से जन्मी यह पार्टी आज दिल्ली के तख्त पर राज कर रही है, जिसकी कमान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल थामे हुए हैं. इस अवसर उन्होंने सभी कार्यकर्ताओं को 'एक्स' पर बधाई दी और कहा कि हम मजबूत इरादों के साथ आगे बढ़ते रहेंगे. समाजसेवी अन्ना हजारे के नेतृत्व में दिल्ली के रामलीला मैदान में सशक्त लोकपाल, चुनाव सुधार प्रक्रिया और किसानों की मांग को लेकर किए गए आंदोलन में अरविंद केजरीवाल मुख्य रूप से शामिल रहे थे. अरविंद केजरीवाल ने राजनीति में आकर इन्हीं मांगों पर काम करने के उद्देश्य से आम आदमी पार्टी का गठन किया था.

  • आज ही के दिन साल 2012 में देश के आम आदमी ने उठकर अपनी खुद की पार्टी ‘आम आदमी पार्टी’ की स्थापना की थी। तब से लेकर आज तक इन 11 साल में बहुत उतार-चढ़ाव आए, बहुत मुश्किलें भी आई लेकिन हम सबके जज़्बे और जुनून में कोई कमी नहीं आई है।

    एक छोटी सी पार्टी को आज जनता ने अपने प्यार और…

    — Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) November 26, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

पहले चुनाव में ही पाई विजय: 2012 में पार्टी के गठन के बाद 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें आम आदमी पार्टी ने 28 सीटों पर जीत दर्ज की और कांग्रेस के समर्थन में सरकार बनाई. इसके बाद 2015 तक 'आप' ने अपना जनाधार इतना मजबूत कर लिया कि विधानसभा में 70 में से 67 सीटों पर जीत दर्ज कर के सरकार बनाई. वहीं वर्ष 2020 में पार्टी ने विधानसभा चुनाव में 62 सीटें जीतकर सत्ता हासिल की और एक बार फिर 'आप' के किले में कोई छेद नहीं कर पाया. इतना ही नहीं, पार्टी ने गुजरात विधानसभा और पंजाब विधानसभा चुनाव में मजबूत दावेदारी पेश की. हालांकि गुजरात में तो 'आप' का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा, लेकिन पंजाब में सीएम चरणजीत सिंह चन्नी को हराकर आम आदमी पार्टी के भगवंत मान ने सरकार बनाकर पार्टी को नया विस्तार दिया.

अन्ना हजारे के साथ अरविंद केजरीवाल
अन्ना हजारे के साथ अरविंद केजरीवाल

कई करीबी छोड़ गए पार्टी: दिल्ली में जब अरविंद केजरीवाल सरकार ने फ्री बिजली, पानी समेत कई योजनाओं की शुरुआत की, तो कई करीबियों ने उनपर कुछ मुद्दों को लेकर आपत्ति जताई. मुख्यमंत्री पर अकेले फैसला लेने का आरोप लगे और उन्हें प्रशांत भूषण व योगेंद्र यादव ने सुप्रीम लीडर बताया. इसके बाद पार्टी के संस्थापक सदस्य में रहे प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, प्रोफेसर आनंद कुमार, अजीत झा जैसे नेता पार्टी से अलग हो गए.

यह भी पढ़ें- दिल्ली एनसीआर के प्रदूषण में कमी आने के बाद बेहद खराब श्रेणी AQI, जानें आपके इलाके की स्थिति

इसके कुछ समय बाद डॉ. कुमार विश्वास भी मनमुटाव के चलते पार्टी से अलग हो गए, जिन्हे कभी सीएम केजरीवाल हर मंच पर छोटा भाई बताया करते थे. इसके बाद उन्होंने भले ही खुलकर नहीं, लेकिन इसपर सांकेतिक रूप से कई मंचों पर चर्चा की. हालांकि मनीष सिसोदिया उनके साथ हमेशा रहे, जिन्होंने उप-मुख्यमंत्री की भी कुर्सी संभाली. फिलहाल वह दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में जेल में है, जिन्हें सीएम केजरीवाल आज भी गाहे-बेगाहे विभिन्न मंचों पर याद करते हुए दिख जाते हैं.

यह भी पढ़ें- किसान आंदोलन: टिकैत के आंसुओं ने भर दी थी आंदोलन में जान, एक साल से अधिक समय तक चला प्रदर्शन

नई दिल्ली: आम आदमी पार्टी की स्थापना को 26 नवंबर, रविवार को 11 साल पूरे हो गए. अन्ना हजारे आंदोलन से जन्मी यह पार्टी आज दिल्ली के तख्त पर राज कर रही है, जिसकी कमान मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल थामे हुए हैं. इस अवसर उन्होंने सभी कार्यकर्ताओं को 'एक्स' पर बधाई दी और कहा कि हम मजबूत इरादों के साथ आगे बढ़ते रहेंगे. समाजसेवी अन्ना हजारे के नेतृत्व में दिल्ली के रामलीला मैदान में सशक्त लोकपाल, चुनाव सुधार प्रक्रिया और किसानों की मांग को लेकर किए गए आंदोलन में अरविंद केजरीवाल मुख्य रूप से शामिल रहे थे. अरविंद केजरीवाल ने राजनीति में आकर इन्हीं मांगों पर काम करने के उद्देश्य से आम आदमी पार्टी का गठन किया था.

  • आज ही के दिन साल 2012 में देश के आम आदमी ने उठकर अपनी खुद की पार्टी ‘आम आदमी पार्टी’ की स्थापना की थी। तब से लेकर आज तक इन 11 साल में बहुत उतार-चढ़ाव आए, बहुत मुश्किलें भी आई लेकिन हम सबके जज़्बे और जुनून में कोई कमी नहीं आई है।

    एक छोटी सी पार्टी को आज जनता ने अपने प्यार और…

    — Arvind Kejriwal (@ArvindKejriwal) November 26, 2023 " class="align-text-top noRightClick twitterSection" data=" ">

पहले चुनाव में ही पाई विजय: 2012 में पार्टी के गठन के बाद 2013 में दिल्ली विधानसभा चुनाव हुए, जिसमें आम आदमी पार्टी ने 28 सीटों पर जीत दर्ज की और कांग्रेस के समर्थन में सरकार बनाई. इसके बाद 2015 तक 'आप' ने अपना जनाधार इतना मजबूत कर लिया कि विधानसभा में 70 में से 67 सीटों पर जीत दर्ज कर के सरकार बनाई. वहीं वर्ष 2020 में पार्टी ने विधानसभा चुनाव में 62 सीटें जीतकर सत्ता हासिल की और एक बार फिर 'आप' के किले में कोई छेद नहीं कर पाया. इतना ही नहीं, पार्टी ने गुजरात विधानसभा और पंजाब विधानसभा चुनाव में मजबूत दावेदारी पेश की. हालांकि गुजरात में तो 'आप' का प्रदर्शन कुछ खास नहीं रहा, लेकिन पंजाब में सीएम चरणजीत सिंह चन्नी को हराकर आम आदमी पार्टी के भगवंत मान ने सरकार बनाकर पार्टी को नया विस्तार दिया.

अन्ना हजारे के साथ अरविंद केजरीवाल
अन्ना हजारे के साथ अरविंद केजरीवाल

कई करीबी छोड़ गए पार्टी: दिल्ली में जब अरविंद केजरीवाल सरकार ने फ्री बिजली, पानी समेत कई योजनाओं की शुरुआत की, तो कई करीबियों ने उनपर कुछ मुद्दों को लेकर आपत्ति जताई. मुख्यमंत्री पर अकेले फैसला लेने का आरोप लगे और उन्हें प्रशांत भूषण व योगेंद्र यादव ने सुप्रीम लीडर बताया. इसके बाद पार्टी के संस्थापक सदस्य में रहे प्रशांत भूषण, योगेंद्र यादव, प्रोफेसर आनंद कुमार, अजीत झा जैसे नेता पार्टी से अलग हो गए.

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इसके कुछ समय बाद डॉ. कुमार विश्वास भी मनमुटाव के चलते पार्टी से अलग हो गए, जिन्हे कभी सीएम केजरीवाल हर मंच पर छोटा भाई बताया करते थे. इसके बाद उन्होंने भले ही खुलकर नहीं, लेकिन इसपर सांकेतिक रूप से कई मंचों पर चर्चा की. हालांकि मनीष सिसोदिया उनके साथ हमेशा रहे, जिन्होंने उप-मुख्यमंत्री की भी कुर्सी संभाली. फिलहाल वह दिल्ली शराब नीति घोटाला मामले में जेल में है, जिन्हें सीएम केजरीवाल आज भी गाहे-बेगाहे विभिन्न मंचों पर याद करते हुए दिख जाते हैं.

यह भी पढ़ें- किसान आंदोलन: टिकैत के आंसुओं ने भर दी थी आंदोलन में जान, एक साल से अधिक समय तक चला प्रदर्शन

Last Updated : Nov 26, 2023, 2:11 PM IST
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