नई दिल्ली: दिल्ली हाईकोर्ट ने हज यात्रियों को बड़ी राहत देते हुए ई-हज पोर्टल ने देश में 17 पंजीकृत हज समूहों के लिए अपनी सेवाएं फिर से शुरू कर दी हैं. इनका कोटा पहले केंद्र सरकार के आदेश के अनुसार फ्रीज कर दिया गया था. अपनी सेवाओं को फिर से शुरू करने की अनुमति मांगने के लिए दिल्ली हाई कोर्ट का रुख किया था.
इससे पहले नौ जून को निर्णय देते हुए न्यायमूर्ति चंद्रधारी सिंह ने कहा था कि मुसलमानों के लिए हज सिर्फ छुट्टी नहीं, बल्कि उनके धर्म और विश्वास का अभ्यास करने का एक माध्यम है, जो एक मौलिक अधिकार है. इसलिए केंद्र सुनिश्चित करे कि टूर ऑपरेटरों की गलती से हज यात्रियों को परेशानी न हो. इसके बाद अब न्यायमूर्ति तारा वितस्ता गंजू ने भी अन्य हज समूहों के पक्ष में फैसला सुनाया, जिससे देश भर के हजारों हज यात्रियों को बड़ी राहत मिली.
फैसले के बाद अल्पसंख्यक मामलों के मंत्रालय के संयुक्त सचिव सीपीएस बख्शी ने अदालत को आश्वासन दिया था कि पोर्टल अनुशंसित बदलाव करने के बाद जल्द से जल्द हज समूहों के लिए अपनी सेवाएं फिर से शुरू करेगा. केंद्र सरकार ने पहले एक हज समूह के पंजीकरण को निलंबित कर दिया था. कुछ निजी हज आयोजकों और उनके कोटा को भी फ्रीज कर दिया, जो पहले 2023 के लिए 'समेकित सूची' में उल्लिखित था. देश भर में 1,500 से अधिक हज यात्री (केरल से 1,200 तीर्थयात्री) केंद्र सरकार के फैसले से प्रभावित हुए थे.
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हाई कोर्ट का फैसला मिलने के बाद उनके पक्ष में, विभिन्न हज समूहों के आयोजकों ने अब से सभी तीर्थयात्रियों के लिए एक सुरक्षित और आरामदायक यात्रा का आश्वासन दिया है.समूहों ने दावा किया कि उन्होंने सरकारी निर्देशों के अनुसार सुरक्षा जमा राशि गिरवी रख दी है.
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