नई दिल्ली/गाजियाबादः हर वर्ष 14 जून को विश्व रक्तदाता दिवस (World Blood Donor Day) मनाया जाता है. विश्व रक्तदाता दिवस मनाने का उद्देश्य लोगों को रक्तदान करने के प्रति जागरूक करना है, जिससे कि लोग रक्तदान करें. बड़ी संख्या में लोग रक्तदान करेंगे तो ब्लड बैंक में पर्याप्त मात्रा में खून उपलब्ध रहेगा. साथ ही खून की कमी के कारण किसी को अपनी जिंदगी नहीं गवानी पड़ेगी. रक्तदान को लेकर समाज में कई प्रकार की गलत धारणाएं फैली हुई हैं. कई लोग मानते हैं कि रक्तदान करने से शरीर में कमजोरी आती है और बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है. हालांकि ऐसा बिल्कुल भी नहीं है.
० ये हैं रक्तदान करने के फायदे:
- कैंसर का खतरा: खून में मौजूद आयरन की मात्रा अधिक होने से ब्लड कैंसर का खतरा बढ़ जाता है. रक्तदान करने से खून में मौजूद आयरन लेवल समान्य रहता है, जिससे कि ब्लड कैंसर का खतरा काफी हद तक कम हो जाता है.
- रक्तदान से बढ़ती है इम्यूनिटी पावर: रक्तदान करने से नए रेड ब्लड सेल्स बनते हैं. नए रेड ब्लड सेल्स में प्रतिरोधक क्षमता काफी अधिक होती है, जो कि कई प्रकार की बीमारियों से लड़ने में मदद करती है. कुल मिलाकर रक्तदान से इम्यूनिटी पावर बूस्ट होती है.
- कम होगा हार्ट अटैक का खतरा: सरल भाषा में कहें तो समय-समय पर रक्तदान करने से उनका गाढ़ापन कम होता है, जिससे कि हार्ट को खून को शरीर में पंप करने में ज्यादा मशक्कत नहीं करनी पड़ती. इससे हार्ट अटैक और ब्रेन अटैक की संभावना काफी कम हो जाती है. आईसाइट अच्छी रहती है.
- नहीं होती कमजोरी: आमतौर पर देखने को मिलता है कि लोग रक्तदान करने से कतराते हैं. उनको ऐसा लगता है कि रक्तदान करने से शरीर में कमजोरी आएगी, जिससे कि प्रतिरोधक क्षमता शरीर की कम होगी, लेकिन ऐसा बिल्कुल भी नहीं है. रक्तदान करने के बाद आमतौर पर रक्तदाता को जूस फ्रूट्स आदि उपलब्ध कराए जाते हैं.
० ये है थीम: विश्व रक्तदाता दिवस 2023 की थीम है, 'रक्त दो, प्लाज्मा दो, जीवन साझा करो, अक्सर साझा करो'. (Give blood, Give plasma, Share life, Share often)
० विश्व रक्तदाता दिवस का इतिहास: विश्व रक्तदाता दिवस (World Blood Donor Day) ए. बी, और ओ ब्लड ग्रुप (AB and O Blood Group) व्यवस्था के खोज करने वाले महान जीव विज्ञानी और चिकित्सक कार्ल लैंडस्टीनर (Karl Landsteiner) के जन्मदिन को समर्पित है. कार्ल लैंडस्टीनर का जन्म 14 जून 1868 को आस्ट्रिया में हुआ था. 1930 में कार्ल लैंडस्टीनर को ब्लड ग्रुप्स का पता लगाने के लिए नोबल पुरस्कार से भी नवाजा गया था.