नई दिल्लीः राजधानी के झरोदा कलां में कृषि विज्ञान केंद्र उजवा के वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों के द्वारा ऑर्गेनिक फार्मिंग (जैविक खेती) को लेकर एक दिन का कार्यशाला का आयोजन किया गया. इस कार्यशाला में सीआरपीएफ के जवानों को कैमिकल वाली भोजन सामग्री के नुकसान की जानकारी दी गई. इसके साथ ही यह बताया गया कि उससे बचने के लिए जैविक खेती को कैसे बढ़ाया जा सकता है, जो लोगों के स्वास्थ्य के लिहाज से अति आवश्यक है.
कमांडेंट विनय कुमार तिवारी ने बताया कि विशेषज्ञों ने जानकारी दी कि जो लोग आज के दौर में खान-पान और दिनचर्या का पूरा ध्यान भी रखते हैं, बावजूद उसके स्वास्थ्य से जुड़ी समस्या से परेशान हो रहे हैं. क्योंकि खाने की अधिकतम चीजों में केमिकल की मात्रा बढ़ती जा रही है. इसी वजह से जैविक खेती का महत्व और बढ़ गया है. अप्रैल 2023 में नॉर्थ ब्लॉक स्थित गृह मंत्रालय में हुई सभी केंद्रीय बलों की बैठक में सभी बलों के जवानों के भोजन में 25 परसेंट ऐसे भोजन को उपलब्ध करवाने पर जोड़ दिया गया, जो जैविक खेती से उत्पाद किया गया हो.
उसी को देखते हुए केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल के मुख्यालय से विभिन्न निर्देश पारित किए गए और सरकार के द्वारा जारी मिशन लाइफ (हर जीवन स्वस्थ जीवन) हेतु केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल ने संकल्प लिया. उसी कड़ी में कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिकों द्वारा जैविक खेती पर आयोजित वर्कशॉप एक पहल है. इससे एक तरफ सीआरपीएफ कर्मियों और उनके परिवारों के स्वास्थ्य के लिए लाभप्रद सिद्ध होगा. वहीं दूसरी तरफ जब जवान सेवानिवृत्त होंगे तो उनके परिवार हेतु स्वरोजगार का एक अच्छा विकल्प भी हो सकता है. इस दौरान सीआरपीएफ के ऑफिसर संजीव कुमार, ललित कुमार, राजेश कुमार भी उपस्थित थे.
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