नई दिल्ली: पूर्वी दिल्ली नगर निगम में इन दिनों भाजपा के पार्षदों और विधायकों के बीच सब कुछ ठीक नहीं चल रहा. स्थानीय विधायकों और पार्षदों के बीच बढ़ती तनातनी भारतीय जनता पार्टी के लिए आगामी नगर निगम चुनाव में परेशानी का सबब बन सकती है. पार्टी की ओर से विधायकों और पार्षदों के बीच सुलह कराने की भी कोशिश की गई, लेकिन नतीजा सिफर रहा.
गौरतलब है कि पिछले दिनों भाजपा के तीन विधायक मोहन सिंह बिष्ट, ओम प्रकाश शर्मा और अनिल बाजपेई अपने निगम क्षेत्र की समस्याओं को लेकर पूर्वी दिल्ली नगर निगम के आयुक्त विकास आनंद से मिलने पहुंचे थे. नगर निगम आयुक्त से मिलने के बाद तीनों विधायक बिना अपने निगम के नेताओं से मिले ही वापस चले गए, जबकि पूर्वी दिल्ली नगर निगम के सभी बड़े पदों पर भाजपा के नेता आसीन हैं.
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निगम से जुड़े सूत्रों का कहना है कि भाजपा के पूर्वी और उत्तर-पूर्वी दिल्ली के कई विधायक अपने पार्षदों से नाराज हैं. निगम के वर्तमान पदाधिकारियों से भी वह नाखुश चल रहे हैं. इसका एक उदाहरण तब देखने कोमिला था, जब कुछ दिनों पहले गांधीनगर विधानसभा के रघुवर पुरा वार्ड से महापौर श्याम सुंदर अग्रवाल ने पदभार संभाला. इस दौरान भाजपा स्थानीय विधायक अनिल बाजपेई नहीं आए थे, लेकिन शाहदरा उत्तरी जोन के चेयरमैन चुने जाने के बाद हिमांशी पांडे से मिलने अनिल बाजपाई खुद जोन कार्यालय पहुंचे थे.
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भाजपा विधायक अनिल बाजपेई और मेयर श्याम सुंदर अग्रवाल का मामला दिल्ली प्रदेश कार्यालय तक पहुंच गया था, लेकिन अनिल बाजपाई खुद को सही साबित करने में सफल रहे थे. कुछ दिनों पहले इसी मामले में विधायक अनिल बाजपाई का एक ऑडियो भी वायरल हुआ था, जिसमें वह यह कहते हुए सुने जा रहे थे कि अपने आपको ईमानदार साबित करने का मतलब यह नहीं है कि हम किसी गरीब आदमी के निर्माणाधीन मकान को गिरा दे. अनिल बाजपेई प्रदेश कार्यालय में भी यह शिकायत कर चुके हैं कि उनके ही पार्षद उन्हें नीचा दिखाने के लिए काम कर रहे हैं.