नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडाः ग्रेनो वेस्ट में अपने घर का सपना लेकर यहां रहने आए लोगों ने जीवन भर की जमा पूंजी लगाकर घर खरीदा. इसके बावजूद किसी को अभी तक घर नहीं मिला, तो किसी को घर की रजिस्ट्री अभी तक नहीं मिल सकी है. पिछले एक दशक से अपने घर और घर की रजिस्ट्री को लेकर लोगों को लड़ाई लड़नी पड़ रही है. रविवार को भी घरों की रजिस्ट्री की मांग को लेकर बड़ी संख्या में 20 सोसाइटियों के रेजिडेंट्स ने शहर के एक मूर्ति गोल चक्कर के पास बिल्डरों और प्राधिकरण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया. (Residents of 20 societies protest against builder and authority in Noida)
इन लोगों का कहना है कि साल दर साल हमें बिल्डर और प्राधिकरण के झूठे आश्वासन दिए हैं. झूठे आश्वासनों में ही एक और साल गुजरने वाला है, लेकिन नए साल 2023 में भी एक ही बड़ा सवाल सामने खड़ा हुआ है. लोग बिल्डर और प्राधिकरण से एक ही सवाल पूछ रहे हैं कि हमें कब अपने घर पर कानूनी अधिकार मिलेगा?
फ्लैट खरीदारों के हितों के लिए संघर्ष करने वाली संस्था नेफोवा के अध्यक्ष अभिषेक कुमार के अनुसार दिल्ली-एनसीआर में अपने घर की आस लिए लोग नोएडा और ग्रेटर नोएडा आए. यहीं पर रोजगार होने के चलते लोगों ने ग्रेटर नोएडा वेस्ट में कर्ज लेकर अपने सपनों का घर खरीदा. जीवन भर की जमा पूंजी लगाकर घर खरीदने वालों को एक दशक से भी अधिक का समय बीत जाने के बावजूद किसी को घर तो किसी को घर की रजिस्ट्री अभी तक नहीं मिल सकी है.
लोगों को बिल्डर और प्राधिकरण की चौखट पर गुहार लगानी पड़ रही है. फ्लैट खरीदार बिल्डर और प्राधिकरण के बीच पिस रहे हैं. लोगों ने कोर्ट में भी अपने अधिकारों के लिए लंबी कानूनी लड़ाई लड़ी है. लड़ाई सुप्रीम कोर्ट तक भी पहुंची चुकी है. कोर्ट का फैसला भी आ चुका है. इसके बावजूद लोग अभी भी अपने घरों में बिना मालिकाना हक के रह रहे हैं.
रविवार को बिल्डर और प्राधिकरण के खिलाफ विरोध प्रदर्शन के लिए हाथों में बैनर और पोस्टर लेकर बड़ी संख्या में 20 सोसायटी के रेजिडेंट्स के प्रभावित परिवारों के पुरुष और महिला ग्रेटर नोएडा वेस्ट स्थित एक मूर्ति गोल चक्कर पर एकत्रित हुए. लोग बिल्डर और प्राधिकरण के खिलाफ नारेबाजी कर रहे थे. प्रदर्शनकारी अपने घर और घर की रजिस्ट्री की मांग कर रहे थे. इस दौरान दीपांकर, दीपक गुप्ता, मिहिर, राज, डी के सिन्हा, संजीव, अजय, दिनकर पांडे, ज्योति और राकेश यादव आदि लोग उपस्थित थे.
दरअसल, दिल्ली एनसीआर में रोजगार और कारोबार की तलाश में आए देश के विभिन्न हिस्सों के लोगों ने यहीं पर बसने का फैसला किया. ग्रेटर नोएडा वेस्ट को अपने लिए बेहतर विकल्प समझा. लाखाें लोगों ने साल 2009 से यहां पर विभिन्न बिल्डरों के प्रोजेक्टस में अपने सपनों के घर को खरीदा.
लोगों का विचार था कि अपना घर होगा तो मकान का किराया बच जाएगा, लेकिन साल 2022 भी समाप्त होने वाला है. कई लोगों को न तो अपना घर ही मिल सका है. वहीं उन्हें बैंक की ईएमआई भी जमा करनी पड़ रही है, जिसको घर मिल भी गया है, तो घर की रजिस्ट्री अभी उनके नाम पर नहीं है.