नई दिल्ली: दिवाली में अब बहुत कम वक्त बाकी है, लेकिन त्योहार से पहले गाजियाबाद के नवयुग मार्केट स्थित कुम्हारों की बस्ती में काफी रौनक देखने को मिल रही है. बस्ती में जहां एक तरफ दीये सूखते हुए दिखाई दे रहे हैं, वहीं घरों के बाहर कुम्हार चाक चलाकर मिट्टी को आकार देते हुए नजर आ रहे हैं. फिलहाल कुम्हार दीये व मिट्टी से बनने वाली अन्य चीजों को बनाने में जोर-शोर से जुटे हुए हैं.
दरअसल, दिवाली का त्योहार, कुम्हारों के लिए मुनाफा कमाने का मौका होता है. इस दौरान बाजार में दीये की काफी डिमांड होती है. इसको देखते हुए कुम्हार अपने पूरे परिवार के साथ विभिन्न प्रकार के दीए बनाने में जुटे हुए हैं. गाजियाबाद की विभिन्न क्षेत्रों में इसी इलाके से दीये की सप्लाई होती. वहीं बड़ी संख्या में व्यापारी व आम लोग भी यहां खरीदारी करने के लिए पहुंचते हैं.
उम्मीद के मुताबिक बाजार नहीं: करीब 50 सालों से इस काम में शामिल हरिश्चंद्र ने बताया कि दिवाली की तैयारी लगभग चार-पांच महीने पहले ही शुरू हो जाती है. उन्होंने कहा, 'हम लोग काफी पहले से दीये बना रहे हैं, लेकिन इस बार दिवाली से पहले बाजार काफी सुस्त नजर आ रहा है. हमारे पास बड़ी संख्या में होलसेलर के साथ आम लोग भी दीये खरीदने आते थे, लेकिन इस बार संख्या कम है. वहीं धूप तेज न होने के कारण दीये सूखने में भी अधिक समय लग रहा है.'
दिनभर करती हैं काम: उनके अलावा 65 वर्षीय सावित्री ने बताया कि वह बचपन से ही यह काम कर रही हैं. आजकल वह सुबह करीब छह बजे उठती हैं और दिन ढलने के बाद भी काम करती हैं. पिछले साल के मुकाबले इस साल बाजार ठंडा है और जिस उम्मीद के साथ माल तैयार किया गया था, उसके मुकाबले बाजर में माल अभी कम उठा है. हालांकि उम्मीद है कि आने वाले दिनों में लोग बाजार में निकलेंगे.
ऐसे तैयार किए जाते हैं दीये: दीये तैयार करना काफी मुश्किल प्रक्रिया है. सबसे पहले मिट्टी को साफ किया जाता है. इसके बाद मिट्टी को आटे की तरह गूंथकर इसे चाक पर रखकर दीयों का आकार दिया जाता है. दीये तैयार होने के बाद उन्हें करीब आठ घंटे तक धूम में सुखाया जाता है. फिर से भट्टी में पकाया जाता है, जिसके बाद यह बाजार में बिकने के लिए तैयार होते हैं.
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