नई दिल्ली/नोएडा: मूल रूप से पीलीभीत के रहने वाले और कृषि शिक्षा और अनुसंधान से जुड़े, विश्वस्तरीय कृषि इंस्टीट्यूशन के संस्थापक, वाइस चांसलर रानी लक्ष्मीबाई सेंट्रल यूनिवर्सिटी झांसी के पद पर कार्यरत रहे प्रोफेसर अरविंद कुमार को पद्मश्री अवार्ड से सम्मानित किया गया है. प्रोफेसर अरविंद कुमार ने ईटीवी भारत से एक्सक्लूसिव बातचीत में बताया कि 48 वर्ष के अपने कार्यकाल में वह कृषि शिक्षा क्षेत्र में नई नई पॉलिसीज और शोध से जुड़े रहे. कृषक आज के समय में सरसों और तिलहन का उत्पादन कैसे बढ़ाएं और इस फसल से उन्हें किस तरह लाभ होगा इसको लेकर भी शोध किया है.
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प्रोफेसर अरविंद कुमार को पूर्व में उत्तर प्रदेश रत्न और दिल्ली रत्न के साथ ही अन्य कई राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय सम्मान से सम्मानित किया जा चुका है. उन्होंने कहा कि पद्म श्री अवार्ड मेरे और देश के गौरव की बात है. मैं लगभग 48 वर्षों से कृषि से जुड़ा हुआ हूं. मेरी शुरुआती शिक्षा-दीक्षा ग्रामीण परिवेश में हुई. उसके पश्चात मैंने एमएससी और पीएचडी एग्रोनॉमी में किया. तत्पश्चात में पंतनगर विश्वविद्यालय में लगभग 27 वर्ष तक अपनी सेवाएं दीं, जहां प्रशिक्षण, अनुसंधान और प्रसार शिक्षा कार्यक्रमों से जुड़ा रहा. इसके बाद निदेशक राष्ट्रीय सरसों अनुसंधान निदेशालय, भरतपुर में मैंने लगभग 8 वर्षों के दौरान सरसों की कई किस्मों पर शोध किया. जिसमें 8 उन्नत सरसों पर शोध किया जिससे उनके उत्पादन में काफी बढ़ोतरी हुई. मैंने विश्वविद्यालय में विशेष रूप से जल संचय के क्षेत्र में कई शोध किया है, जिससे कि वाटर हार्वेस्टिंग हो सके.
आज भारत सरकार छोटे-छोटे किसानों के लाभ के लिए फार्मर प्रोड्यूसर ऑर्गेनाइजेशन बनाने के साथ ही उनके लिए अनेक योजनाएं बना रही है. एक लाख करोड़ से ज्यादा का ग्रीन इंफ्रास्ट्रक्चर बनाया गया है और इस फंड के साथ ही साथ अन्य कई एग्रीकल्चर शोध किये जा रहे हैं, जो किसानों के लिए निश्चित रूप से लाभप्रद होगा.
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