नई दिल्ली: सनातन धर्म में संकष्टी चतुर्थी का विशेष महत्व बताया गया है. हिंदू पंचांग के अनुसार महीने में चतुर्थी दो बार आती है. मार्गशीर्ष महीने के कृष्ण पक्ष में पड़ने वाली चतुर्थी तिथि को मार्गशीर्ष संकष्टी चतुर्थी के नाम से जाना जाता है. इस बार यह गुरुवार, 30 नवंबर को पड़ रही है. स्कंद पुराण के अनुसार, अगर विद्यार्थी इस चतुर्थी का व्रत रखते हैं, तो उनकी बुद्धि तेज होती है. साथ ही करियर में भी उनकी तरक्की होती है.
यह व्रत सूर्योदय के साथ शुरू होता है और रात को भगवान गणेश और चंद्र देव की पूजा के साथ समाप्त होता है. इसके बाद चंद्रमा को अर्घ्य देकर व्रत का पारण किया जाता है. मान्यता है कि चंद्रमा की पूजा करने से मानसिक शांति की प्राप्ति होती है और चंद्र दोष भी दूर होता है.
चतुर्थी तिथि प्रारंभ: गुरुवार, 30 नवंबर, दोपहर 02:24 बजे.
चतुर्थी तिथि समाप्त: शुक्रवार, 1 दिसंबर, दोपहर 03:31 बजे.
चंद्रोदय का समय: गुरुवार, 30 नवंबर, रात 7:54 बजे.
मंत्र: मार्गशीर्ष संकष्टी चतुर्थी के दिन पूजा संध्याकाल में की जाती है. इस दिन भगवान गणेश के कुछ मंत्रों का जाप करने से भगवान अति प्रसन्न होते हैं और भक्त पर कृपा करते हैं. साथ ही आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं. इस दिन ऊं गं गणपतये नम: मंत्र का जाप करना चाहिए.
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इन बातों का रखें ध्यान-
- यदि व्रत न रहते हों, तो भी तामसिक भोजन न करें
- किसी तरह का नशा न करें
- ब्रह्मचर्य का पालन करनें
- भूलकर भी चूहों को तंग न करें
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