नई दिल्ली/गाजियाबाद: हिंदू धर्म में अधिकमास (पुरुषोत्तम मास) में पड़ने वाली अमावस्या का विशेष महत्व है. यह अमावस्या तीन साल में एक बार आती है. इस बार अमावस्या 16 अगस्त, बुधवार को पड़ रही है. धार्मिक मान्यताओं के अनुसार, अमावस्या तिथि पर पितृ पृथ्वी पर आते हैं और अपनी अगली पीढ़ी के लोगों द्वारा किए गए पिंडदान और तर्पण से प्रसन्न होकर आशीर्वाद देते हैं.
ज्योतिषाचार्य शिव कुमार शर्मा ने बताया कि अधिकमास अमावस्या के दिन यह मास समाप्त हो जाता है. इसके बाद श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की शुरुआत होगी. इस अमावस्या को श्राद्ध अमावस्या भी कहा जाता है. इस दिन पितरों के लिए किए गए पूजा पाठ, दान आदि करने का कई गुना फल मिलता है.
अधिकमास अमावस्या की तिथि एवं शुभ मुहूर्त-
- अधिकमास अमावस्या तिथि 15 अगस्त (मंगलवार) दोपहर 12:42 से शुरू होगी
- यह तिथि 16 अगस्त (बुधवार) दोपहर 3:07 मिनट पर समाप्त होगी
- उदया तिथि के अनुसार अधिकमास अमावस्या 16 अगस्त को मनाई जाएगी
पूजन विधि: अधिकमास अमावस्या के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर किसी पवित्र नदी में स्नान करें. यदि ऐसा करना संभव न हो तो घर में नहाने के पानी में गंगाजल डालकर स्नान कर लें. इसके बाद भगवान सूर्यदेव को तांबे या चांदी के पात्र से जल अर्पित करें. फिर भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा करें और अपने सामर्थ्य के अनुसार वस्त्र, अनाज, फल आदि किसी ब्राह्मण को दान दे दें. इस दिन पितरों का तर्पण करना चाहिए, ताकि पितरों का आशीर्वाद और देवी-देवताओं की विशेष कृपा प्राप्त हो सके.
इन बातों का रखें ख्याल-
- अधिकमास अमावस्या के दिन बाल, नाखून आदि न काटें.
- मान्यताओं के अनुसार अमावस्या, चतुर्दशी, पूर्णिमा और एकादशी तिथि के दिन संबंध नहीं बनाने चाहिए.
- किसी नए काम की शुरुआत न करें. कहा जाता है कि इस दिन काम की शुरुआत करने पर सफलता नहीं मिलती.
Disclaimer: यह खबर धार्मिक मान्यताओं और जानकारी पर आधारित है. किसी भी जानकारी को अमल में लाने से पहले संबंधित विशेषज्ञ से सलाह जरूर लें.
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