नई दिल्ली/गाजियाबाद: हिंदू पंचांग के अनुसार इस समय आषाढ़ मास चल रहा है. इस मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी तिथि को विनायक चतुर्थी के रूप में मनाया जाता है. इस बार यह गुरुवार 22 जून को मनाया जाएगा. मान्यता है कि इस दिन भगवान गणेश का व्रत पूजन करने से जीवन में सुख, शांति, ज्ञान, धन और ऐश्वर्या की प्राप्ति होती है. साथ ही बिगड़े काम बनने के साथ सभी संकटों से छुटकारा मिलता है.
पूजन विधि: आषाढ़ विनायक चतुर्थी के दिन प्रात: काल स्नान के बाद साफ कपड़े पहनें. स्नान के समय गंगाजल युक्त पानी का इस्तेमाल करें. फिर मंदिर की सफाई कर के भगवान गणेश को चंदन का टीका लगाएं और पुष्प एवं दूर्वा (दूब) चढ़ाकर मोदक या लड्डू का भोग लगाएं. इसके बाद दीपक जलाकर पूजन करें और ॐ गणेशाय नमः या ॐ गं गणपतये नम: मंत्र का जाप करें. अंत में भगवान गणेश की आरती करें.
आषाढ़ विनायक चतुर्थी का शुभ मुहूर्त-
- आषाढ़ विनायक चतुर्थी तिथि का प्रारंभ 21 जून (बुधवार), दोपहर 3 बजकर 9 मिनट से होगा.
- आषाढ़ विनायक चतुर्थी तिथि का समापन 22 जून (गुरुवार), शाम 5 बजकर 7 मिनट पर होगा.
- गणेश पूजन का समय: सुबह 10 बजकर 59 मिनट से दोपहर 1 बजकर 47 मिनट तक.
इन बातों का रखें ख्याल
- भगवान गणेश की खंडित प्रतिमा या फिर फटी गली फोटो का पूजन न करें.
- मंदिर में भगवान गणेश की दो मूर्तियों का एक साथ पूजन न करें और न ही मंदिर में एक साथ दो मूर्तियां रखें.
- विनायक चतुर्थी पर तामसिक भोजन का सेवन न करें. मांस, प्याज और लहसुन का सेवन न करें.
- किसी भी तरह के नशे जैसे शराब, गुटखा, सिगरेट आदि से दूर रहें.
- पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मकर संक्रांति, अमावस्या, चतुर्दशी, पूर्णिमा और एकादशी तिथि के दिन संबंध नहीं बनाने चाहिए. इस दिन ऐसा करना पाप माना गया है.
- हिंदू धर्म प्रत्येक व्यक्ति का सम्मान और उससे प्रेम से व्यवहार करना सिखाता है. विनायक चतुर्थी पर यह विशेष ख्याल रखें कि किसी से गलत वाणी का प्रयोग न करें, न ही किसी पर गुस्सा करें. साथ ही अपशब्द का प्रयोग करने से भी बचें.
- आषाढ़ विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश की सवारी यानी चूहों को भूलकर भी परेशान न करें.
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