नई दिल्ली: दिल्ली दंगे से जुड़े एक मामले में कड़कड़डूमा कोर्ट के अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश पुलस्त्य प्रभाचाल ने दोनों पक्षों की दलील सुनने के बाद तीन आरोपी दिनेश यादव उर्फ माइकल, संदीप उर्फ मोगली और टिंकू को आरोप सिद्ध न होने के कारण बरी कर दिया है. मामले में शिकायतकर्ता अकील सैफी व इरफान थे, जिन्होंने अपनी शिकायत में कहा था कि 24 फरवरी 2020 को रात 3 से 4 बजे के बीच उनकी फर्नीचर की दुकान सैफी फेब्रिकेशन के ऊपर (जिसमें काफी कीमती लकड़ी व स्टील का समान था) दंगाइयों द्वारा लूटपाट कर आगजनी कर दी गई थी. इसकी जानकारी उन्हें एक रिश्तेदार के द्वारा प्राप्त हुई थी.
मामले में शिकायतकर्ता द्वारा पुलिस को शिकायत की गई, जिसमें दिल्ली पुलिस के इनवेस्टिगेशन ऑफिसर दिनेश कुमार ने घटनास्थल पर जाकर सभी जरूरी जांच की व तस्वीरें भी खींचकर शिकायतकर्ता के बयान भी दर्ज किए. उन्होंने बताया कि मकान की पहली मंजिल किराए पर दी हुई थी, जिसमें कारखाना संचालित किया जाता था. वहां तीन कीमती मशीनों के साथ टीवी, फ्रिज, बेड व अन्य सामान भी रखा हुआ था. अचानक भड़के दंगों के कारण पीड़ित मकान में ताला लगा कर सुरक्षित स्थान पर चले गए थे.
जब दंगे शांत हुए तो 4-5 दिन बाद उन्होंने वापस आकर देखा कि उनके मकान में लूटपाट के बाद आगजनी की हुई थी व घर के कई कीमती सामान भी गायब थे. इसके बाद इनवेस्टिगेशन ऑफिसर ने अपनी जांच के दौरान कई लोगों के बयान दर्ज किए व कई इंटरनेट वीडियो के सबूत होने के बाद दिनेश, संदीप व टिंकू नाम के तीन लोगों को गिरफ्तार किया गया था.
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मामले में अतरिक्त सत्र अदालत ने कहा कि गवाहों की गवाही से ये साबित नहीं हो रहा है कि दंगों के दौरान ये तीनों आरोपी भी उसी भीड़ का हिस्सा थे, क्योंकि जिस जगह लूटपाट व आगजनी हुई थी उस समय वहां पर कोई मौजूद नहीं था और दंगाई भीड़ के किसी भी आरोपी की पहचान नहीं हो सकी है. साथ ही आरोपियों पर आरोप सिर्फ सुनी सुनाई बातों के अनुसार नहीं लगाए जा सकते, इसलिए आरोपियों पर लगे आरोप बिल्कुल भी सिद्ध नहीं होते हैं. इस कारण तीनों आरोपियों को बरी किया जाता है.
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