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ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण से किसानों को जल्द मिलेंगे आबादी के आवासीय भूखंड

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ अमनदीप डुली ने बताया कि ग्राम बार भू अर्जन के अवार्ड की तिथि (सबसे पुराने को वरीयता देते हुए) को वरीयता देते हुए चार व छह फ़ीसदी आवासीय भूखंडों के लिए किसानों की सूची तैयार की जाएगी. इससे किसानों को आवासीय भूखंड मिलने में आसानी होगी और जिस आधार पर किसानों की जमीन का अधिग्रहण हुआ है उसी आधार पर किसानों को आवासीय भूखंड मिल जाएंगे.

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Published : Feb 17, 2023, 11:03 PM IST

नई दिल्ली/ ग्रेटर नोएडा: ग्रेनो प्राधिकरण द्वारा जमीन अधिग्रहण के बदले में किसानों को मिलने वाले आवासीय भूखंड अब शीघ्र मिलेंगे. ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी ने बैठक में निर्णय लेते हुए किसानों को चार व छह फ़ीसदी आवासीय भूखंड आवंटन करने की प्रक्रिया पारदर्शी बना दी गई है. इसके द्वारा किसानों को जल्द ही भू अर्जन के अवार्ड तिथि को वरीयता देते हुए किसानों की सूची तैयार की जाएगी. इस प्रक्रिया के द्वारा किसानों को आवासीय भूखंड के लिए प्राधिकरण के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे और ना ही ज्यादा इंतजार करना पड़ेगा.

दरअसल, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण जिन किसानों की भूमि का अधिग्रहण करता है उसकी एवज में किसानों को चार व छह प्रतिशत आवासीय भूखंड प्राधिकरण की तरफ से दिए जाते हैं. लेकिन किसानों को इसके लिए प्राधिकरण के चक्कर लगाने पड़ते हैं और लंबा समय होने के बाद भी किसानों को आवासीय भूखंड नहीं मिल पाते. क्योंकि प्राधिकरण में किसानों को आवासीय भूखंड देने की प्रक्रिया का ड्रा ए अल्फाबेट के वर्ण अक्षरों के आधार पर किया जाता था. इससे जिन किसानों की भूमि का अधिग्रहण बाद में होता था और उनके नाम के अक्षर ए अल्फाबेट से शुरू होते थे उनको पहले आवासीय भूखंड मिल जाते थे और जिन किसानों के नाम अल्फाबेट में लास्ट में होते थे उनका पहले अधिग्रहण होने के बाद भी आवासीय भूखंड नहीं मिल पाते थे.

ये भी पढ़ेंः Arundhati Roy: '2024 में BJP को सत्ता से हटाने के लिए लोग बिहार की तरफ देख रहे हैं'

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ अमनदीप डुली ने बताया कि ग्राम बार भू अर्जन के अवार्ड की तिथि (सबसे पुराने को वरीयता देते हुए) को वरीयता देते हुए चार व छह फ़ीसदी आवासीय भूखंडों के लिए किसानों की सूची तैयार की जाएगी. इससे किसानों को आवासीय भूखंड मिलने में आसानी होगी और जिस आधार पर किसानों की जमीन का अधिग्रहण हुआ है उसी आधार पर किसानों को आवासीय भूखंड मिल जाएंगे. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इसके चलते भूखंडों के आकार के आधार पर छह श्रेणी बना दी गई है. यह श्रेणी 40 से 60, 61 से 120, 121 से 200, 201 से 300, 301 से 400 और 401 से 500 वर्ग मीटर भूखंडों की रखी गई है. एसीईओ ने बताया कि किसान जितना एरिया पाने का हकदार है उतने एरिया का भूखंड आवंटित किया जाएगा. जैसे अगर किसी किसान को 260 मीटर भूखंड मिलना है तो उसके लिए 200 वर्ग मीटर का एक भूखंड और 60 वर्ग मीटर का दूसरा भूखंड आवंटित किया जाएगा.

वही भूखंडों के आवंटन में किसानों के गांव के पास की जमीन को वरीयता दी जाएगी. उनके गांव के पास ही उनको 4 व 6 फ़ीसदी आवासीय भूखंड आवंटित किए जाएंगे. अगर किसी दशा में गांव के पास भूमि उपलब्ध नहीं होगी तो उन्हें नजदीकी अन्य स्थान पर आवासीय भूखंड उपलब्ध कराए जाएंगे. इसके बाद भी अगर गांव के 3 किलोमीटर की परिधि में भूखंड उपलब्ध नहीं है तो उनके प्रस्ताव को प्राधिकरण के सीईओ के सामने प्रस्तुत किया जाएगा. वहीं किसानों के एक समान भूखंड होने पर ड्रॉ के जरिए आवंटित किए जाएंगे.

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में किसानों के आवासीय भूखंड को लेकर काफी मामले अटके हुए हैं. सालों बीत जाने के बाद भी किसानों को आवासीय भूखंड उपलब्ध नहीं हुए. ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी के सामने किसानों ने इस समस्या को लेकर कई बार शिकायत की थी. जिसके बाद प्राधिकरण की सीईओ ने किसानों को जल्द आवासीय भूखंड उपलब्ध कराने के लिए प्रक्रिया में बदलाव किया है.

नई दिल्ली/ ग्रेटर नोएडा: ग्रेनो प्राधिकरण द्वारा जमीन अधिग्रहण के बदले में किसानों को मिलने वाले आवासीय भूखंड अब शीघ्र मिलेंगे. ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी ने बैठक में निर्णय लेते हुए किसानों को चार व छह फ़ीसदी आवासीय भूखंड आवंटन करने की प्रक्रिया पारदर्शी बना दी गई है. इसके द्वारा किसानों को जल्द ही भू अर्जन के अवार्ड तिथि को वरीयता देते हुए किसानों की सूची तैयार की जाएगी. इस प्रक्रिया के द्वारा किसानों को आवासीय भूखंड के लिए प्राधिकरण के चक्कर नहीं लगाने पड़ेंगे और ना ही ज्यादा इंतजार करना पड़ेगा.

दरअसल, ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण जिन किसानों की भूमि का अधिग्रहण करता है उसकी एवज में किसानों को चार व छह प्रतिशत आवासीय भूखंड प्राधिकरण की तरफ से दिए जाते हैं. लेकिन किसानों को इसके लिए प्राधिकरण के चक्कर लगाने पड़ते हैं और लंबा समय होने के बाद भी किसानों को आवासीय भूखंड नहीं मिल पाते. क्योंकि प्राधिकरण में किसानों को आवासीय भूखंड देने की प्रक्रिया का ड्रा ए अल्फाबेट के वर्ण अक्षरों के आधार पर किया जाता था. इससे जिन किसानों की भूमि का अधिग्रहण बाद में होता था और उनके नाम के अक्षर ए अल्फाबेट से शुरू होते थे उनको पहले आवासीय भूखंड मिल जाते थे और जिन किसानों के नाम अल्फाबेट में लास्ट में होते थे उनका पहले अधिग्रहण होने के बाद भी आवासीय भूखंड नहीं मिल पाते थे.

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ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण के एसीईओ अमनदीप डुली ने बताया कि ग्राम बार भू अर्जन के अवार्ड की तिथि (सबसे पुराने को वरीयता देते हुए) को वरीयता देते हुए चार व छह फ़ीसदी आवासीय भूखंडों के लिए किसानों की सूची तैयार की जाएगी. इससे किसानों को आवासीय भूखंड मिलने में आसानी होगी और जिस आधार पर किसानों की जमीन का अधिग्रहण हुआ है उसी आधार पर किसानों को आवासीय भूखंड मिल जाएंगे. इसके साथ ही उन्होंने बताया कि इसके चलते भूखंडों के आकार के आधार पर छह श्रेणी बना दी गई है. यह श्रेणी 40 से 60, 61 से 120, 121 से 200, 201 से 300, 301 से 400 और 401 से 500 वर्ग मीटर भूखंडों की रखी गई है. एसीईओ ने बताया कि किसान जितना एरिया पाने का हकदार है उतने एरिया का भूखंड आवंटित किया जाएगा. जैसे अगर किसी किसान को 260 मीटर भूखंड मिलना है तो उसके लिए 200 वर्ग मीटर का एक भूखंड और 60 वर्ग मीटर का दूसरा भूखंड आवंटित किया जाएगा.

वही भूखंडों के आवंटन में किसानों के गांव के पास की जमीन को वरीयता दी जाएगी. उनके गांव के पास ही उनको 4 व 6 फ़ीसदी आवासीय भूखंड आवंटित किए जाएंगे. अगर किसी दशा में गांव के पास भूमि उपलब्ध नहीं होगी तो उन्हें नजदीकी अन्य स्थान पर आवासीय भूखंड उपलब्ध कराए जाएंगे. इसके बाद भी अगर गांव के 3 किलोमीटर की परिधि में भूखंड उपलब्ध नहीं है तो उनके प्रस्ताव को प्राधिकरण के सीईओ के सामने प्रस्तुत किया जाएगा. वहीं किसानों के एक समान भूखंड होने पर ड्रॉ के जरिए आवंटित किए जाएंगे.

ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण में किसानों के आवासीय भूखंड को लेकर काफी मामले अटके हुए हैं. सालों बीत जाने के बाद भी किसानों को आवासीय भूखंड उपलब्ध नहीं हुए. ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की सीईओ रितु माहेश्वरी के सामने किसानों ने इस समस्या को लेकर कई बार शिकायत की थी. जिसके बाद प्राधिकरण की सीईओ ने किसानों को जल्द आवासीय भूखंड उपलब्ध कराने के लिए प्रक्रिया में बदलाव किया है.

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