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9 हजार से अधिक दिव्यांग बच्चों के जीवन को दी नई उड़ान, जानें कौन हैं डॉ. राकेश जिन्हें CM योगी करेंगे सम्मानित

हमारे समाज में आज भी दिव्यांगों को मुख्यधारा में आने के लिए संघर्ष करना पड़ रहा है. वहीं दिव्यांग बच्चों की बात करें तो इनके काम करने वाले लोगों का प्रतिशत धीरे-धीरे बढ़ रहा है, लेकिन अभी भी यह काफी नहीं है. ऐसी स्थिति में उम्मीद की अलख जगाई है गाजियाबाद के डॉक्टर राकेश कुमार ने जिन्हें दिव्यांग बच्चों को मुख्यधारा में लाने के प्रयास के लिए सम्मानित भी किया जाने वाला है. आइए जानते हैं उनके बारे में..

Dr Rakesh Kumar to be honored
Dr Rakesh Kumar to be honored
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By ETV Bharat Delhi Team

Published : Nov 30, 2023, 2:04 PM IST

नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिव्यांगों का जीवन आम लोगों के जीवन के मुकाबले काफी अलग होता है. उनके संघर्ष को पूरा समझ पाना किसी आम आदमी के लिए थोड़ा मुश्किल होता है. लेकिन गाजियाबाद के बेसिक शिक्षा विभाग में तैनात डॉ. राकेश कुमार बीते 28 सालों से दिव्यांग बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं, जो काफी हद तक सफल भी रहा है. उनके इस कार्य के लिए उन्हें लखनऊ सर्वश्रेष्ठ कर्मचारी राज्य स्तरीय सम्मान दिया जाएगा. वे उत्तर प्रदेश द्वारा इस सम्मान से सम्मानित होने एकमात्र कर्मचारी होंगे.

राकेश ने करीब 28 साल पहले द वेलफेयर ऑफ मेंटली रिटार्डेड संस्था में बतौर सोशल वर्कर काम किया. इसके बाद करीब छह सालों तक बेसिक शिक्षा विभाग गाजियाबाद में जिला समन्वयक (समेकित शिक्षा) का पदभार संभाला. अब तर वे करीब नो हजार से अधिक दिव्यांग बच्चों को नई दिशा देकर उनका जीवन संवार चुके हैं.

ऐसा लाए मुख्यधारा में: उन्होंने बताया कि वह छह से 14 साल तक के दिव्यांग बच्चों के लिए सरकार संचालित विभिन्न योजनाओं को क्रियान्वित करने की भूमिका निभा रहे हैं. वे दिव्यांग बच्चों के लिए मेडिकल असेसमेंट कैंप, मेजरमेंट एंड डिस्ट्रीब्यूशन कैंप, गंभीर दिव्यांग बच्चों के लिए आवासीय कैंप के आयोजन समेत दिव्यांगों के लिए म्यूजिक, खेलकूद और कंप्यूटर आदि का प्रशिक्षण देने का काम कर रहे हैं. इन सभी कैंप में शामिल होने वाले बच्चे अब जिंदगी में काफी बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं. इनमें से बड़ी संख्या में बच्चे अब सरकारी संस्थानों समेत निजी कंपनियों में भी काम कर रहे हैं.

दी जा रही ये सुविधाएं: इसके साथ राकेश कुमार टाटा स्टील, एचसीएल समेत आदि निजी कंपनियों के साथ समन्वय स्थापित कर सीएसआर (कोर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) फंड के माध्यम से समय-समय पर दिव्यांग बच्चों के लिए कंप्यूटर लैब, खेल सामग्री आदि की व्यवस्था कराते हैं. डॉ. राकेश बताते हैं दिव्यांग बालिकाओं के लिए स्टाइपेंड और अति गंभीर दिव्यांग बच्चों के लिए एस्कॉर्ट अलाउंस दिए जाने की भी व्यवस्था है.

वहीं अति गंभीर दिव्यांग बच्चे, जो स्कूल तक नहीं पहुंच पाते हैं, उन्हें स्पेशल एजुकेटर के माध्यम से होम बेस्ड एजुकेशन दिलवाई जा रही है. साथ ही इन बच्चों को ये सारी चीजें सीखने से संबंधित सामग्रियां घर पर प्रदान कराई जाती हैं. फिलहाल लो विजन और पूर्ण दृष्टि अक्षम बच्चों को उनके शिक्षण सामग्री से संबंधित किट प्रदान की जा रही है. साथ ही पैरेंट काउंसलिंग के माध्यम से दिव्यांग बच्चों के परिजनों को ट्रेनिंग भी दी जाती है.

यह भी पढ़ें- आंगनबाड़ी केंद्रों में प्ले स्कूल की तर्ज पर बनाए जा रहे लर्निंग लैब, खिलौने और पेंटिंग्स के माध्यम से सीख रहे बच्चे

दिव्यांग बच्चों के जीवन को नई रफ्तार: उन्होंने आगे बताया कि सरकारी नौकरी ज्वाइन करने से पहले ही तय कर लिया था की दिव्यांग लोगों के लिए काम करना है. ईश्वर की कृपा थी कि मुझे नौकरी भी इसी क्षेत्र में मिली. मैं अपने आप को बहुत भाग्यशाली मानता हूं कि ईश्वर ने इस काम के लिए मुझे चुना है. सरकार की योजनाओं के माध्यम से दिव्यांगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए दैनिक क्रियाओं से लेकर शिक्षा तक जोर दिया जा रहा है. जब हमारे काम को उच्च स्तर पर सराहा जाता है तो बहुत खुशी होती है. प्रदेश सरकार द्वारा इस पुरस्कार के लिए मुझे चुना गया है. मैं बहुत खुश हूं और मेरा प्रयास है कि सरकार की योजनाएं जो दिव्यांग बच्चों के लिए हैं, उन्हें शत प्रतिशत दिव्यांगों तक पहुंचा कर उनके जीवन को नई रफ्तार दी जा सके.

यह भी पढ़ें- Delhi IIT Graduate Startup: युवाओं को स्वावलंबी और स्वरोजगारमुखी बनाने के लिए आईआईटी ग्रेजुएट ने की शुरू की नई स्टार्ट अप

नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिव्यांगों का जीवन आम लोगों के जीवन के मुकाबले काफी अलग होता है. उनके संघर्ष को पूरा समझ पाना किसी आम आदमी के लिए थोड़ा मुश्किल होता है. लेकिन गाजियाबाद के बेसिक शिक्षा विभाग में तैनात डॉ. राकेश कुमार बीते 28 सालों से दिव्यांग बच्चों को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास कर रहे हैं, जो काफी हद तक सफल भी रहा है. उनके इस कार्य के लिए उन्हें लखनऊ सर्वश्रेष्ठ कर्मचारी राज्य स्तरीय सम्मान दिया जाएगा. वे उत्तर प्रदेश द्वारा इस सम्मान से सम्मानित होने एकमात्र कर्मचारी होंगे.

राकेश ने करीब 28 साल पहले द वेलफेयर ऑफ मेंटली रिटार्डेड संस्था में बतौर सोशल वर्कर काम किया. इसके बाद करीब छह सालों तक बेसिक शिक्षा विभाग गाजियाबाद में जिला समन्वयक (समेकित शिक्षा) का पदभार संभाला. अब तर वे करीब नो हजार से अधिक दिव्यांग बच्चों को नई दिशा देकर उनका जीवन संवार चुके हैं.

ऐसा लाए मुख्यधारा में: उन्होंने बताया कि वह छह से 14 साल तक के दिव्यांग बच्चों के लिए सरकार संचालित विभिन्न योजनाओं को क्रियान्वित करने की भूमिका निभा रहे हैं. वे दिव्यांग बच्चों के लिए मेडिकल असेसमेंट कैंप, मेजरमेंट एंड डिस्ट्रीब्यूशन कैंप, गंभीर दिव्यांग बच्चों के लिए आवासीय कैंप के आयोजन समेत दिव्यांगों के लिए म्यूजिक, खेलकूद और कंप्यूटर आदि का प्रशिक्षण देने का काम कर रहे हैं. इन सभी कैंप में शामिल होने वाले बच्चे अब जिंदगी में काफी बेहतर प्रदर्शन कर रहे हैं. इनमें से बड़ी संख्या में बच्चे अब सरकारी संस्थानों समेत निजी कंपनियों में भी काम कर रहे हैं.

दी जा रही ये सुविधाएं: इसके साथ राकेश कुमार टाटा स्टील, एचसीएल समेत आदि निजी कंपनियों के साथ समन्वय स्थापित कर सीएसआर (कोर्पोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) फंड के माध्यम से समय-समय पर दिव्यांग बच्चों के लिए कंप्यूटर लैब, खेल सामग्री आदि की व्यवस्था कराते हैं. डॉ. राकेश बताते हैं दिव्यांग बालिकाओं के लिए स्टाइपेंड और अति गंभीर दिव्यांग बच्चों के लिए एस्कॉर्ट अलाउंस दिए जाने की भी व्यवस्था है.

वहीं अति गंभीर दिव्यांग बच्चे, जो स्कूल तक नहीं पहुंच पाते हैं, उन्हें स्पेशल एजुकेटर के माध्यम से होम बेस्ड एजुकेशन दिलवाई जा रही है. साथ ही इन बच्चों को ये सारी चीजें सीखने से संबंधित सामग्रियां घर पर प्रदान कराई जाती हैं. फिलहाल लो विजन और पूर्ण दृष्टि अक्षम बच्चों को उनके शिक्षण सामग्री से संबंधित किट प्रदान की जा रही है. साथ ही पैरेंट काउंसलिंग के माध्यम से दिव्यांग बच्चों के परिजनों को ट्रेनिंग भी दी जाती है.

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दिव्यांग बच्चों के जीवन को नई रफ्तार: उन्होंने आगे बताया कि सरकारी नौकरी ज्वाइन करने से पहले ही तय कर लिया था की दिव्यांग लोगों के लिए काम करना है. ईश्वर की कृपा थी कि मुझे नौकरी भी इसी क्षेत्र में मिली. मैं अपने आप को बहुत भाग्यशाली मानता हूं कि ईश्वर ने इस काम के लिए मुझे चुना है. सरकार की योजनाओं के माध्यम से दिव्यांगों के जीवन को बेहतर बनाने के लिए दैनिक क्रियाओं से लेकर शिक्षा तक जोर दिया जा रहा है. जब हमारे काम को उच्च स्तर पर सराहा जाता है तो बहुत खुशी होती है. प्रदेश सरकार द्वारा इस पुरस्कार के लिए मुझे चुना गया है. मैं बहुत खुश हूं और मेरा प्रयास है कि सरकार की योजनाएं जो दिव्यांग बच्चों के लिए हैं, उन्हें शत प्रतिशत दिव्यांगों तक पहुंचा कर उनके जीवन को नई रफ्तार दी जा सके.

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