नई दिल्ली: नवरात्र पर्व के दौरान भारी मात्रा में पूजा सामग्री यमुना नदी में डाले जाते हैं. इतना ही नहीं, घरों में चलने वाली दैनिक पूजा की सामग्री के अवशेष भी यमुना नदी में डाले जाते हैं. इस कारण यमुना नदी दिनोंदिन दूषित होती जा रही है. हालांकि पूजा सामग्री यमुना नदी में न डाली जाए इसको लेकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (ईस्ट दिल्ली ब्रांच) एवं धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल, ने कदम बढ़ाया हैं.
डॉक्टरों ने मिलकर पूजा सामग्री व मूर्ति को एकत्रित करके आस्था पूर्वक विसर्जन की विधि को निस्तारित करने का काम शुरू किया हैं. इसके लिए नई दिल्ली के युधिष्ठिर सेतु, गीता कॉलोनी पुल, ITO पुल, DND पुल वालंटियर को तैनात किया गया है, जो यमुना नदी में डालने के लिए पहुंचे लोगों से पूजा सामग्री व मूर्ति को एकत्रित कर रहें हैं. ताकि उसे वैज्ञानिक तरीके से डीकंपोज किया जा सके.
दिल्ली के धर्मशिला नारायणा सुपरस्पेशियलिटी हॉस्पिटल के सीओओ नवीन शर्मा ने बताया कि हमारा उद्देश्य धार्मिक मान्यताओं के साथ पर्यावरण की रक्षा करना भी है. खासकर दिल्ली जैसे महानगर में विसर्जन के बाद से मूर्तियां ठीक से निस्तारित नहीं हो पातीं, जिस कारण बाद में गंदगी फैलती है और कई प्रकार की बीमारियां फैलने का भी खतरा रहता है.
इंडियन मेडिकल एसोसिएशन (ईस्ट दिल्ली ब्रांच) के डॉक्टर ग्लाडमिन त्यागी ने बताया की खंडित मूर्तियों और पूजा सामग्री नदियों में प्रवाहित करने से नदिया प्रदूषित होती हैं, जो ना केवल जलीय जीव के लिए हानिकारक हैं बल्कि ये पानी इंसानों के स्वास्थ्य के लिए भी नुकसानदायक हैं.