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जिला अदालत ने गौतम बुद्ध नगर के सबसे पुराने फौजदारी मामले का किया निस्तारण

गौतम बुद्ध नगर जिला अदालत ने जिले के सबसे पुराने फौजदारी वाद निस्तारण किया है. यह मुकदमा वर्ष 1984 से लंबित था, जिसका सोमवार को निस्तारण किया गया.

District Court disposes off oldest criminal case
District Court disposes off oldest criminal case
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Published : Aug 14, 2023, 9:37 PM IST

नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: न्यायालय सिविल जज सीडी/एफटीसी (फास्ट ट्रैक कोर्ट) गौतम बुद्ध नगर में विचाराधीन सबसे पुराने फौजदारी वाद का सोमवार को निस्तारण किया गया. मुकदमा अपराध संख्या 265/1984 के अंतर्गत आईपीसी धारा 394 के तहत राज्य सरकार बनाम दौजीराम से संबंधित मामले का निस्तारण गौतम बुद्ध नगर फास्ट ट्रैक कोर्ट के पीठासीन अधिकारी प्रदीप कुमार कुशवाहा ने न्यूनतम आर्थिक दंड के आधार पर किया.

दरअसल, यह मामला आरोपी दौजीराम के विरुद्ध दर्ज किया गया था, जो मूल रूप से जनपद आजमगढ़ का रहने वाला है. यह मुकदमा 1984 से लंबित चल रहा था. 1998 में आरोपी दौजीराम न्यायालय में गैर हाजिर रहा, जिसके बाद न्यायालय द्वारा 2022 में आरोपी दौजीराम के विरुद्ध गैर जमानती वारंट जारी किया गया. इस पर आरोपी की जमानत उसके दो भतीजे मोनू कश्यप व भीम कश्यप द्वारा कराई गई थी.

उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा प्राप्त निर्देशों के अनुपालन में जनपद गौतम बुध नगर न्यायाधीश अवनीश कुमार सक्सेना द्वारा प्रत्येक माह न्यायिक अधिकारियों की बैठक में सबसे पुरानी पत्रावलियों के निस्तारण के लिए निर्देशित किया गया. इसमें निर्देशों के अनुपालन में वर्तमान में पीठासीन अधिकारी प्रदीप कुमार कुशवाहा द्वारा सभी पुराने पत्रावलियों का संज्ञान गंभीरता से लिया गया.

न्यायालय द्वारा 19 जुलाई को आरोपी दौजीराम के विरुद्ध उन्हें एनबीडब्ल्यू एवं जमानत के विरुद्ध नोटिस जारी किए गए, जिस पर संबंधित पुलिस अधिकारियों द्वारा न्यायालय को अवगत कराया गया कि आरोपी दौजीराम अत्यधिक वृद्ध है और चलने फिरने में असमर्थ है. इसके साथ ही दोनों जमानत के द्वारा न्यायालय के पीठासीन अधिकारी के समक्ष उपस्थित होकर उक्त कथन का समर्थन किया गया. इस पर पीठासीन अधिकारी प्रदीप कुमार कुशवाहा द्वारा जमानतियों को मुकदमे की गंभीरता के बारे में बताते हुए आरोपी दौजीराम को न्यायालय में उपस्थित होने व मुकदमे निस्तारण के समझाया गया.

यह भी पढ़ें-Delhi High Court: एमसीडी, डीडीए, पीडब्ल्यूडी को वृक्षारोपण पर कार्रवाई रिपोर्ट दाखिल करने का निर्देश दिया

इस पर दोनों जमानतियों मोनू कश्यप व भीम कुमार द्वारा आरोपी दौजीराम को सोमवार को जिला न्यायालय परिसर में उपस्थित कराया गया. आरोपी दौजीराम न्यायालय में उपस्थित होने में असमर्थ था. पीठासीन अधिकारी प्रदीप कुमार कुशवाहा सहानुभूति पूर्वक विचार रखते हुए आरोपी दौजीराम के पास गए, जिसपर दौजीराम ने जुर्म कबूल करते हुए न्यायालय से माफी मांगी. इसके बाद आरोपी दौजीराम की शारीरिक, आर्थिक स्थिति को देखते हुए न्यूनतम अर्थदंड से दंडित करते हुए जनपद गौतम बुद्ध नगर के सबसे पुराने फौजदारी मामले का निस्तारण किया गया.

यह भी पढ़ें-BCI ने क्षेत्रीय भाषाओं में CLAT परीक्षा आयोजित करने की HC में दायर याचिका का समर्थन किया

नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: न्यायालय सिविल जज सीडी/एफटीसी (फास्ट ट्रैक कोर्ट) गौतम बुद्ध नगर में विचाराधीन सबसे पुराने फौजदारी वाद का सोमवार को निस्तारण किया गया. मुकदमा अपराध संख्या 265/1984 के अंतर्गत आईपीसी धारा 394 के तहत राज्य सरकार बनाम दौजीराम से संबंधित मामले का निस्तारण गौतम बुद्ध नगर फास्ट ट्रैक कोर्ट के पीठासीन अधिकारी प्रदीप कुमार कुशवाहा ने न्यूनतम आर्थिक दंड के आधार पर किया.

दरअसल, यह मामला आरोपी दौजीराम के विरुद्ध दर्ज किया गया था, जो मूल रूप से जनपद आजमगढ़ का रहने वाला है. यह मुकदमा 1984 से लंबित चल रहा था. 1998 में आरोपी दौजीराम न्यायालय में गैर हाजिर रहा, जिसके बाद न्यायालय द्वारा 2022 में आरोपी दौजीराम के विरुद्ध गैर जमानती वारंट जारी किया गया. इस पर आरोपी की जमानत उसके दो भतीजे मोनू कश्यप व भीम कश्यप द्वारा कराई गई थी.

उच्च न्यायालय इलाहाबाद द्वारा प्राप्त निर्देशों के अनुपालन में जनपद गौतम बुध नगर न्यायाधीश अवनीश कुमार सक्सेना द्वारा प्रत्येक माह न्यायिक अधिकारियों की बैठक में सबसे पुरानी पत्रावलियों के निस्तारण के लिए निर्देशित किया गया. इसमें निर्देशों के अनुपालन में वर्तमान में पीठासीन अधिकारी प्रदीप कुमार कुशवाहा द्वारा सभी पुराने पत्रावलियों का संज्ञान गंभीरता से लिया गया.

न्यायालय द्वारा 19 जुलाई को आरोपी दौजीराम के विरुद्ध उन्हें एनबीडब्ल्यू एवं जमानत के विरुद्ध नोटिस जारी किए गए, जिस पर संबंधित पुलिस अधिकारियों द्वारा न्यायालय को अवगत कराया गया कि आरोपी दौजीराम अत्यधिक वृद्ध है और चलने फिरने में असमर्थ है. इसके साथ ही दोनों जमानत के द्वारा न्यायालय के पीठासीन अधिकारी के समक्ष उपस्थित होकर उक्त कथन का समर्थन किया गया. इस पर पीठासीन अधिकारी प्रदीप कुमार कुशवाहा द्वारा जमानतियों को मुकदमे की गंभीरता के बारे में बताते हुए आरोपी दौजीराम को न्यायालय में उपस्थित होने व मुकदमे निस्तारण के समझाया गया.

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इस पर दोनों जमानतियों मोनू कश्यप व भीम कुमार द्वारा आरोपी दौजीराम को सोमवार को जिला न्यायालय परिसर में उपस्थित कराया गया. आरोपी दौजीराम न्यायालय में उपस्थित होने में असमर्थ था. पीठासीन अधिकारी प्रदीप कुमार कुशवाहा सहानुभूति पूर्वक विचार रखते हुए आरोपी दौजीराम के पास गए, जिसपर दौजीराम ने जुर्म कबूल करते हुए न्यायालय से माफी मांगी. इसके बाद आरोपी दौजीराम की शारीरिक, आर्थिक स्थिति को देखते हुए न्यूनतम अर्थदंड से दंडित करते हुए जनपद गौतम बुद्ध नगर के सबसे पुराने फौजदारी मामले का निस्तारण किया गया.

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