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जिला उपभोक्ता फोरम ने सुनाई ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की सीईओ को एक महीने कारावास की सजा

ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण की सीईओ को जिला उपभोक्ता फोरम ने एक महीने के कारावास (one month imprisonment to CEO) की सजा सुनाई है. यह सजा, 18 साल पुराने एक भूखंड आवंटन मामले में सुनाई गई है.

one month imprisonment to CEO
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Published : Jan 8, 2023, 8:19 AM IST

नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: जिला उपभोक्ता फोरम ने ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को एक महीने के कारावास की (one month imprisonment to CEO) सजा सुनाई है. साथ ही उनकी गिरफ्तारी का आदेश भी जारी किया गया है. गौतमबुद्ध नगर की पुलिस कमिश्नर को सीईओ की गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी किया गया है. यह आदेश, 18 वर्षों से चल रहे एक भूखंड के आवंटन और ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के बीच चल रहे मुकदमे में जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष अनिल कुमार पुंडीर और सदस्य दयाशंकर पांडे ने पूरे मामले की सुनवाई करते हुए शनिवार को आदेश सुनाया.

दरअसल, महेश मित्रा नाम के व्यक्ति को 2001 में प्राधिकरण में भूखंड आवंटन के लिए किए गए आवेदन पर भूखंड का आवंटन नहीं किया गया था. इसपर व्यक्ति ने वर्ष 2005 में एक मुकदमा जिला उपभोक्ता फोरम में दायर किया था. इस मुकदमे पर 18 दिसंबर 2006 को जिला फोरम ने फैसला सुनाते हुए ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण को आदेश दिया था कि महेश मित्रा को उनकी आवश्यकता के अनुसार 1,000 वर्ग मीटर से 2,500 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल का भूखंड आवंटित किया जाए, जिस पर प्राधिकरण के नियम और शर्तें लागू रहेंगी. इसके अलावा प्राधिकरण को यह भी आदेश दिया गया था कि मुकदमें का खर्च भी उन्हें ही वहन करना होगा.

जिला उपभोक्ता फोरम के आदेश के खिलाफ ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील दायर की. अपील पर 21 दिसंबर 2010 को राज्य आयोग ने फैसला सुनाया कि महेश मित्रा की ओर से प्राधिकरण में जमा किए गए 20,000 की पंजीकरण राशि वापस लौटाई जाएगी. यह धनराशि 6 जनवरी 2001 को जमा की गई थी. उस दिन से लेकर भुगतान की तारीख तक 6 प्रतिशत ब्याज भी चुकाना होगा. राज्य आयोग के इस फैसले से ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण को बड़ी राहत मिल गई. हालांकि बात यहीं खत्म नहीं हुई. महेश मित्रा ने राज्य आयोग के इस आदेश के खिलाफ राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया. पूरे मामले को सुनने के बाद आयोग ने 30 मई 2014 को अपना फैसला सुनाया. आयोग ने कहा कि महेश मित्रा का पक्ष सही है और राज्य आयोग का फैसला गलत है. साथ ही यह भी कहा कि, जिला उपभोक्ता फोरम ने जो फैसला सुनाया था, वही सही है.

लेकिन राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के फैसले पर ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने अमल नहीं किया. इसपर महेश मित्रा ने एक बार फिर जिला उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया. जिला फोरम ने कई बार ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण को राष्ट्रीय आयोग के फैसले का अनुपालन करने के लिए आदेश दिए. अंतत: 14 जुलाई 2017 को जिला फोरम ने ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के बैंक खाते कुर्क कर लिए. इस एक्शन के खिलाफ प्राधिकरण ने राज्य आयोग में अपील दायर की, जिसके बाद आयोग ने जिला फोरम के आदेश को रद्द कर दिया. वहीं जिला फोरम ने 18 अगस्त 2017 को प्राधिकरण के सीईओ को व्यक्तिगत रूप से फोरम के सामने हाजिर होने का आदेश दिया. इस आदेश के खिलाफ भी प्राधिकरण ने राज्य आयोग से निरस्तीकरण आदेश हासिल कर लिया.

यह भी पढ़ें-राजू पार्क में अवैध रूप से रह रहे पांच नाइजीरियाई नागरिक गिरफ्तार

इसके बाद 7 जनवरी को जिला उपभोक्ता फोरम ने 7 जनवरी को पारित आदेश में कहा कि, पिछले 9 वर्षों से ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण, जिला फोरम और राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के आदेशों को लटका रहा है. जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष अनिल कुमार पुंडीर और सदस्य दयाशंकर पांडे ने पूरे मामले की सुनवाई करते हुए शनिवार को नया आदेश पारित किया. इसमें ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को एक महीने की सजा सुनाई गई है. साथ ही उनपर 2 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है. जिला फोरम की ओर से सीईओ को आदेश दिया गया है कि अगले 15 दिनों में राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के आदेश का पालन किया जाए.

यह भी पढ़ें-साकेतः कॉलोनी के गेट खोलने का MCD ने दिया नोटिस, स्थानीय निवासी और आरडब्ल्यूए के लोग कर रहे विरोध

नई दिल्ली/ग्रेटर नोएडा: जिला उपभोक्ता फोरम ने ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को एक महीने के कारावास की (one month imprisonment to CEO) सजा सुनाई है. साथ ही उनकी गिरफ्तारी का आदेश भी जारी किया गया है. गौतमबुद्ध नगर की पुलिस कमिश्नर को सीईओ की गिरफ्तारी के लिए वारंट जारी किया गया है. यह आदेश, 18 वर्षों से चल रहे एक भूखंड के आवंटन और ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के बीच चल रहे मुकदमे में जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष अनिल कुमार पुंडीर और सदस्य दयाशंकर पांडे ने पूरे मामले की सुनवाई करते हुए शनिवार को आदेश सुनाया.

दरअसल, महेश मित्रा नाम के व्यक्ति को 2001 में प्राधिकरण में भूखंड आवंटन के लिए किए गए आवेदन पर भूखंड का आवंटन नहीं किया गया था. इसपर व्यक्ति ने वर्ष 2005 में एक मुकदमा जिला उपभोक्ता फोरम में दायर किया था. इस मुकदमे पर 18 दिसंबर 2006 को जिला फोरम ने फैसला सुनाते हुए ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण को आदेश दिया था कि महेश मित्रा को उनकी आवश्यकता के अनुसार 1,000 वर्ग मीटर से 2,500 वर्ग मीटर के क्षेत्रफल का भूखंड आवंटित किया जाए, जिस पर प्राधिकरण के नियम और शर्तें लागू रहेंगी. इसके अलावा प्राधिकरण को यह भी आदेश दिया गया था कि मुकदमें का खर्च भी उन्हें ही वहन करना होगा.

जिला उपभोक्ता फोरम के आदेश के खिलाफ ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने राज्य उपभोक्ता आयोग में अपील दायर की. अपील पर 21 दिसंबर 2010 को राज्य आयोग ने फैसला सुनाया कि महेश मित्रा की ओर से प्राधिकरण में जमा किए गए 20,000 की पंजीकरण राशि वापस लौटाई जाएगी. यह धनराशि 6 जनवरी 2001 को जमा की गई थी. उस दिन से लेकर भुगतान की तारीख तक 6 प्रतिशत ब्याज भी चुकाना होगा. राज्य आयोग के इस फैसले से ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण को बड़ी राहत मिल गई. हालांकि बात यहीं खत्म नहीं हुई. महेश मित्रा ने राज्य आयोग के इस आदेश के खिलाफ राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग का दरवाजा खटखटाया. पूरे मामले को सुनने के बाद आयोग ने 30 मई 2014 को अपना फैसला सुनाया. आयोग ने कहा कि महेश मित्रा का पक्ष सही है और राज्य आयोग का फैसला गलत है. साथ ही यह भी कहा कि, जिला उपभोक्ता फोरम ने जो फैसला सुनाया था, वही सही है.

लेकिन राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के फैसले पर ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण ने अमल नहीं किया. इसपर महेश मित्रा ने एक बार फिर जिला उपभोक्ता फोरम का दरवाजा खटखटाया. जिला फोरम ने कई बार ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण को राष्ट्रीय आयोग के फैसले का अनुपालन करने के लिए आदेश दिए. अंतत: 14 जुलाई 2017 को जिला फोरम ने ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के बैंक खाते कुर्क कर लिए. इस एक्शन के खिलाफ प्राधिकरण ने राज्य आयोग में अपील दायर की, जिसके बाद आयोग ने जिला फोरम के आदेश को रद्द कर दिया. वहीं जिला फोरम ने 18 अगस्त 2017 को प्राधिकरण के सीईओ को व्यक्तिगत रूप से फोरम के सामने हाजिर होने का आदेश दिया. इस आदेश के खिलाफ भी प्राधिकरण ने राज्य आयोग से निरस्तीकरण आदेश हासिल कर लिया.

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इसके बाद 7 जनवरी को जिला उपभोक्ता फोरम ने 7 जनवरी को पारित आदेश में कहा कि, पिछले 9 वर्षों से ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण, जिला फोरम और राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के आदेशों को लटका रहा है. जिला उपभोक्ता फोरम के अध्यक्ष अनिल कुमार पुंडीर और सदस्य दयाशंकर पांडे ने पूरे मामले की सुनवाई करते हुए शनिवार को नया आदेश पारित किया. इसमें ग्रेटर नोएडा विकास प्राधिकरण के मुख्य कार्यपालक अधिकारी को एक महीने की सजा सुनाई गई है. साथ ही उनपर 2 हजार रुपये का अर्थदंड भी लगाया गया है. जिला फोरम की ओर से सीईओ को आदेश दिया गया है कि अगले 15 दिनों में राष्ट्रीय उपभोक्ता आयोग के आदेश का पालन किया जाए.

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