नई दिल्ली: दिल्ली के सबसे बड़े श्मशान घाट निगमबोध घाट पर मौजूद दाह संस्कार करने वालों पर जाति के नाम पर भेदभाव करने का आरोप लगाया गया है. मृत शरीर को लेकर दाह संस्कार कराने गए लोगों का कहना है कि वहां मौजूद लोगों ने जाति पूछने के बाद दाह संस्कार में अनदेखी की. इसके बाद बिना विधि विधान के दाह संस्कार कराया और उसके बदले में तय राशि से ज्यादा राशि की भी मांग की.
क्या था पूरा मामला
पिछले दिनों संत गुरु रविदास जन्मोत्सव कमेटी के प्रमुख ब्रह्म प्रकाश बुलाकी के बड़े भाई वीर सिंह की लम्बी बीमारी के बाद निधन हो गया. दाह संस्कार करने के लिए शोकाकुल परिवार और संबंधी निगम बोध घाट पर गए. बुलाकी ने बताया कि जब वे शव को श्मशान घाट में लेकर गए तो वहां तैनात कर्मचारी ने आकर जाति और गोत्र पूछा. पूछने के बाद उसने सफाई कर्मी को दाह संस्कार के लिए भेज दिया.
दाह संस्कार में भेदभाव
जब पैसे देने की बारी आई तो उन्होंने 750 रूपए लेने से मना कर दिया जो कि दाह संस्कार के लिए तय राशि है. कर्मचारी ने यह कहकर मना कर दिया कि यह रुपये कम हैं और वो उसने पैसे लेने से इंकार कर दिया. दूसरे दिन जब इनका परिवार अस्थियां लेने गए तो फिर से कर्मचारियों ने बिना किसी विधि विधान के ही अस्थियां ले जाने को कहा. साथ ही उन्होंने अस्थियां खुद ही एकत्र करने की बात कही. उन्होंने कहा कि इस श्मशान घाट में मत आया करो.
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मेयर ने दिए जांच के आदेश
संत गुरु रविदास जन्मोत्सव कमेटी की पन्द्रह सदस्यीय टीम ने इस मामले में मेयर से मुलाकात की. मुलाकात कर दिल्ली की मेयर शैली ओबरॉय को इस घटना की विस्तृत जानकारी दी गई. मामला सामने आने के बाद मेयर ने इस मामले में जांच का आदेश दिया है. मेयर ने कमेटी के सदस्यों से कहा कि इसमें जो भी उचित कार्रवाइ होगी, वो की जाएगी. बता दें कि निगम बोध घाट पर दाह संस्कार करने का कार्य एक निजी एनजीओ को सौंपा गया है, जिसके अंतर्गत सभी कर्मचारी वहाँ पर काम कर रहे हैं.
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