नई दिल्लीः उत्तर-पूर्वी दिल्ली में हुए हिंसा को लगभग एक साल बीत चुके हैं, लेकिन प्रभावित लोग आज भी मदद की आस में हैं. बता दें कि राजधानी दिल्ली में हुए दंगे में रेहड़ी-पटरी पर कारोबार कर बमुश्किल से जिंदगी गुजार रहे लोगों को भी भीड़ ने नहीं बख्शा था. भजनपुरा इलाके के चांद बाबा मजार के आसपास फूल और चादर बेचकर रोजी-रोटी कमा रहे लोगों की पटरियों को भी भीड़ ने आग लगा दी थी. वहीं आज भी इनकी जिंदगी पटरी पर नहीं लौटी. कई बार मुआवजा के लिए फॉर्म भरने के बावजूद पीड़ितों को कुछ नहीं मिला है.
चांद बाबा मजार को तो नुकसान पहुंचा ही साथ ही आसपास फूल और चादर बेचने वालों ने बताया कि भीड़ ने न केवल मजार में आग लगाई, बल्कि आसपास दर्जनों रेहड़ी-पटरी को भी आग के हवाले कर दिया. आग में उनकी पटरी जलकर राख हो गई. पटरी पर रखा फूल बर्बाद हो गया. सैकड़ों की संख्या में चादर जल गई.
फूल बेचने वाले त्रिभुवन बोले- दंगों ने बर्बाद कर दिया
फूल बेचने वाले त्रिभुवन उर्फ शिव कुमार ने बताया कि दंगे ने उन्हें आर्थिक रूप से कमजोर कर दिया. भीड़ ने उनकी पटरी पर आग लगा दी थी, जिसमें फूल, माला और 400 से ज्यादा चादर जलकर राख हो गई थी. किसी तरीके से उन्होंने दोबारा दुकान शुरू की, लेकिन कोरोना महामारी ने उन्होंने और भी बर्बाद कर दिया. त्रिभुवन बताते हैं कि उनका परिवार दाने-दाने के लिए मोहताज हो गया है.
पीड़ित कासिम ने बताया कि उनकी फूलों की दुकान को भी भीड़ ने जला दिया था. मुआवजा के लिए कई बार अप्लाई किया. कई बार रिजेक्ट होने के बाद आखिरकार वेरिफिकेशन हुआ, लेकिन अब तक मुआवजा नहीं मिल पाया है. एक अन्य पीड़ित शीशपाल ने बताया कि उनकी दुकान में भी भीड़ ने आग लगा दी थी, लेकिन अब तक उन्हें मुआवजा नहीं मिल पाया है.
नहीं हो पाया मजार का पुनर्निर्माण
भजनपुरा चौक पर स्थित चांद बाबा के मजार पर दुआ मांगने सभी धर्मों के लोग आते हैं, लेकिन दिल्ली दंगे में शामिल भीड़ ने गंगा-जमुना तहजीब के प्रतीक इस मजार को आग में झोंक दिया था और मजार को भारी नुकसान पहुंचाया. वहीं 1 साल बीत जाने के बाद भी किसी ने इस मजार की सुध नहीं ली. मजार पर पहुंचे लोगों ने बताया कि दंगे के दौरान मजार को जिस तरह से नुकसान पहुंचाया गया था, आज भी हालत वैसी ही है. मजार के पुनर्निर्माण के लिए सरकार की तरफ से कोई कार्य नहीं किया गया.