नई दिल्ली/गाजियाबाद: दिल्ली एनसीआर की हवा में एक बार फिर प्रदूषण का जहर घुलना शुरू हो गया है. केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक दिल्ली, गाजियाबाद और नोएडा का एयर क्वालिटी इंडेक्स यानी कि AQI 300 के पार दर्ज किया गया है जो कि रेड जोन में है. दिल्ली एनसीआर में सबसे प्रदूषित इलाका आईटीओ है. यहां का प्रदूषण स्तर 430 दर्ज किया गया है. प्रदूषण में बढ़ोतरी के बाद लोगों को कई प्रकार की स्वास्थ्य संबंधित समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.
दिल्ली में वायु प्रदूषण का स्तर-
दिल्ली के इलाके | प्रदूषण स्तर |
अलीपुर | 361 |
शादीपुर | 396 |
डीटीयू दिल्ली | 347 |
आईटीओ दिल्ली | 430 |
सिरिफ्फोर्ट | 336 |
मंदिर मार्ग | 316 |
आरके पुरम | 352 |
पंजाबी बाघ | 350 |
जवाहरलाल नेहरू स्टेडियम | 335 |
नेहरू नगर | 377 |
द्वारका सेक्टर 8 | 337 |
पटपड़गंज | 368 |
डॉक्टर कर्णी सिंह शूटिंग रेंज | 342 |
अशोक विहार | 343 |
सोनिया विहार | 363 |
जहांगीरपुरी | 388 |
रोहिणी | 369 |
विवेक विहार | 359 |
नजफगढ़ | 282 |
मेजर ध्यानचंद नेशनल स्टेडियम | 350 |
नरेला | 381 |
ओखला फेज़ 2 | 340 |
मुंडका | 345 |
बवाना | 365 |
श्री औरबिंदो मार्ग | 317 |
आनंद विहार | 371 |
IHBAS दिलशाद गार्डन | 398 |
ग़ाज़ियाबाद में वायु प्रदूषण का स्तर-
ग़ाज़ियाबाद के इलाके | प्रदूषण स्तर |
वसुंधरा | 329 |
इंदिरापुरम | 227 |
संजय नगर | 302 |
लोनी | 359 |
नोएडा में वायु प्रदूषण का स्तर-
नोएडा के इलाके | प्रदूषण स्तर |
सेक्टर 62 | 340 |
सेक्टर 125 | 354 |
सेक्टर 1 | 292 |
सेक्टर 116 | 324 |
Air Quality Index (एयर क्वालिटी इंडेक्स) की श्रेणी: एक्यूआई जब 0-50 होता है तो इसे 'अच्छी' श्रेणी में माना जाता है. 51-100 को 'संतोषजनक' मानते हैं, 101-200 को 'मध्यम' मानते हैं, 201-300 को 'खराब' मानते हैं, 301-400 को 'अत्यंत खराब' मानते हैं. 400-500 को 'गंभीर' मानते हैं और 500 से ऊपर एयर क्वालिटी इंडेक्स को 'बेहद गंभीर' माना जाता है. विशेषज्ञों की मानें तो हवा में मौजूद बारीक कण (10 से कम PM के मैटर), ओजोन, सल्फर डायऑक्साइड, नाइट्रिक डायऑक्साइड, कार्बन मोनो डायऑक्साइड सभी सांस की नली में सूजन, एलर्जी और फेफड़ों को नुकसान पहुंचाते हैं.
वहीं वायु प्रदूषण को लेकर वरिष्ठ सर्जन डॉ. बीपी त्यागी का करना है कि हवा में मौजूद पार्टिकुलेट मैटर (PM) 2.5 और पार्टिकुलेट मैटर (PM) 10 सहित कई प्रकार के गैस की मात्रा बढ़ने से हवा प्रदूषित हो जाती है. PM 2.5 और PM 10 नाक के रास्ते होते हुए साइनस में जाते हैं. साइनस द्वारा बड़े पार्टिकुलेट मैटर को फिल्टर कर लिया जाता है, जबकि छोटे कण फेफड़ों के आखरी हिस्से तक पहुंच जाते हैं.
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