ETV Bharat / state

गाजियाबाद की डासना जेल के 140 बंदियों में हुई HIV की पुष्टि, रखे गए हैं अलग

उत्तर प्रदेश के गाजियाबाद में स्थित डासना जेल के 140 कैदी जानलेवा बीमारी HIV से ग्रस्त पाए गए है. इन कैदियों के HIV (human immunodeficiency virus) से ग्रस्त होने की पुष्टि हुई है. जेल के 5500 बंदियों की जांच की गई जिनमें से 140 के HIV पॉजिटिव होने का पुष्टि हुई है.

डासना जेल के 140 बंदियों की हुई है HIV पोजिटिव होने की पुष्टि
डासना जेल के 140 बंदियों की हुई है HIV पोजिटिव होने की पुष्टि
author img

By

Published : Nov 17, 2022, 12:18 PM IST

Updated : Nov 17, 2022, 3:27 PM IST

नई दिल्ली/ गाजियाबाद : पूर्वी दिल्ली के पड़ोसी जिले गाजियाबाद की डासना जेल में 140 बंदियों में HIV की पुष्टि हुई है. कुल 5500 बंदियों में से 140 HIV पॉजिटिव पाए गए. HIV संक्रमित बंदियों के अलाव 35 बंदियों में टीबी की भी पुष्टि हुई है. सभी HIV ग्रसित बंदियों का एआरटी सेंटर में इलाज जारी है. उल्लेखनीय है कि एचआईवी ग्रस्त रोगी की रोग प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो जाती है और धीरे-धीरे वह मौत के करीब जाता है.

ये भी पढ़ें :- दिल्ली में लव जिहाद: सिख बनकर युवती से की शादी, बिना जानकारी कराया धर्म परिवर्तन

सभी बंदियों को आइसोलेशन में रखा : बंदियों के स्वस्थ को लेकर जेल प्रशासन गंभीर नज़र आ रहा है. जेल में टीबी (Tuberculosis) से ग्रसित 17 सक्रीय बंदी हैं. सभी बंदियों को जेल प्रशासन ने आइसोलेशन में रखा है. ज़िला कारागार गाज़ियाबाद के जेल अधीक्षक आलोक कुमार सिंह के मुताबिक गाज़ियाबाद की डासना जेल में सामान्य तौर HIV पॉजिटिव बंदियों की संख्या सवा सौ से डेढ़ सौ के बीच रहती है. जो भी नया बंदी डासना जेल में दाखिल होता है. उसकी पहले HIV जांच होती है. HIV डिटेक्ट होने के बाद बंदी को एआरटी सेंटर भेजा जाता है. ये कोई घबराने की बात नहीं है. फिलहाल 140 बंदियों का HIV इलाज जारी है. डासना जेल में टीबी के 17 बंदी है, उनका भी इलाज जारी है. टीबी के बंदियों को आइसोलेट कर रखा है. डॉक्टरों की ओर से दिए गए चिकित्सीय परामर्श बंदियों (मरीजों) को उपलब्ध कराया जा रहा है.

असुरक्षित यौन संबंध को भी माना जाता है जिम्मेदार : जानकार बताते हैं कि ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV) मानव के रक्त, यौन तरल पदार्थ (वीर्य तथा योनि में मौजूद द्रव्य) और स्तन के दूध में रह सकता है और उनसे फैल सकता है. यदि इसका सही समय पर निवारण या उपचार नहीं हो पाता है तब यह एड्स यानी एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम में परिवर्तित हो जाता है. एड्स के लिए मुख्य रूप से असुरक्षित यौन संबंध और एचआईवी पीड़ित व्यक्ति द्वारा उपयोग दिए गए इंजेक्शन या उपकरण को फिर से इस्तेमाल करने को जिम्मेदार माना जाता है.

जिला कारागार गाजियाबाद के जेल अधीक्षक आलोक कुमार सिंह

ये भी पढ़ें :- डॉग अटैक पॉलिसी लागू होने के बाद लगा पहला जुर्माना, कुत्ते ने लिफ्ट में काटा था बच्चे को

नई दिल्ली/ गाजियाबाद : पूर्वी दिल्ली के पड़ोसी जिले गाजियाबाद की डासना जेल में 140 बंदियों में HIV की पुष्टि हुई है. कुल 5500 बंदियों में से 140 HIV पॉजिटिव पाए गए. HIV संक्रमित बंदियों के अलाव 35 बंदियों में टीबी की भी पुष्टि हुई है. सभी HIV ग्रसित बंदियों का एआरटी सेंटर में इलाज जारी है. उल्लेखनीय है कि एचआईवी ग्रस्त रोगी की रोग प्रतिरोधक क्षमता खत्म हो जाती है और धीरे-धीरे वह मौत के करीब जाता है.

ये भी पढ़ें :- दिल्ली में लव जिहाद: सिख बनकर युवती से की शादी, बिना जानकारी कराया धर्म परिवर्तन

सभी बंदियों को आइसोलेशन में रखा : बंदियों के स्वस्थ को लेकर जेल प्रशासन गंभीर नज़र आ रहा है. जेल में टीबी (Tuberculosis) से ग्रसित 17 सक्रीय बंदी हैं. सभी बंदियों को जेल प्रशासन ने आइसोलेशन में रखा है. ज़िला कारागार गाज़ियाबाद के जेल अधीक्षक आलोक कुमार सिंह के मुताबिक गाज़ियाबाद की डासना जेल में सामान्य तौर HIV पॉजिटिव बंदियों की संख्या सवा सौ से डेढ़ सौ के बीच रहती है. जो भी नया बंदी डासना जेल में दाखिल होता है. उसकी पहले HIV जांच होती है. HIV डिटेक्ट होने के बाद बंदी को एआरटी सेंटर भेजा जाता है. ये कोई घबराने की बात नहीं है. फिलहाल 140 बंदियों का HIV इलाज जारी है. डासना जेल में टीबी के 17 बंदी है, उनका भी इलाज जारी है. टीबी के बंदियों को आइसोलेट कर रखा है. डॉक्टरों की ओर से दिए गए चिकित्सीय परामर्श बंदियों (मरीजों) को उपलब्ध कराया जा रहा है.

असुरक्षित यौन संबंध को भी माना जाता है जिम्मेदार : जानकार बताते हैं कि ह्यूमन इम्युनोडेफिशिएंसी वायरस (HIV) मानव के रक्त, यौन तरल पदार्थ (वीर्य तथा योनि में मौजूद द्रव्य) और स्तन के दूध में रह सकता है और उनसे फैल सकता है. यदि इसका सही समय पर निवारण या उपचार नहीं हो पाता है तब यह एड्स यानी एक्वायर्ड इम्यून डेफिसिएंसी सिंड्रोम में परिवर्तित हो जाता है. एड्स के लिए मुख्य रूप से असुरक्षित यौन संबंध और एचआईवी पीड़ित व्यक्ति द्वारा उपयोग दिए गए इंजेक्शन या उपकरण को फिर से इस्तेमाल करने को जिम्मेदार माना जाता है.

जिला कारागार गाजियाबाद के जेल अधीक्षक आलोक कुमार सिंह

ये भी पढ़ें :- डॉग अटैक पॉलिसी लागू होने के बाद लगा पहला जुर्माना, कुत्ते ने लिफ्ट में काटा था बच्चे को

Last Updated : Nov 17, 2022, 3:27 PM IST
ETV Bharat Logo

Copyright © 2024 Ushodaya Enterprises Pvt. Ltd., All Rights Reserved.