नई दिल्ली/नोएडा: फर्जी तरीके से कंपनियों का जीएसटी रजिस्ट्रेशन कराकर 15 हजार करोड़ रुपये से अधिक के फजीवाड़े के मामले में नोएडा पुलिस को रोजाना नई जानकारी मिल रही है. बुधवार को जर्मनी से कॉल कर आइटी इंजीनियर ने नोएडा पुलिस को बताया कि बीते सप्ताह जो गिरोह पकड़ा गया है, उसने उसका ही पैन कार्ड का इस्तेमाल कर दो कंपनी बनाई है.
इंजीनियर विवेक कुमार दिल्ली का रहने वाला है वह वर्तमान में जर्मनी में बतौर इंजीनियर अपनी सेवाएं दे रहा है. आरोपियों ने विवेक के नाम से दोनों कंपनी दिल्ली के पते पर ही बनाई है. यही नहीं, दिल्ली मेट्रो के सीनियर राजभाषा अधिकारी डॉ. राजाराम यादव का भी पैन कार्ड इस्तेमाल कर ठगों ने तीन कंपनी बनाई है. इसके अलावा आरोपियों ने दो कंपनी त्रिपुरा के पते पर जबकि एक कंपनी दिल्ली के पते पर रजिस्टर की है. नोएडा पुलिस ने डॉ. राजाराम यादव का खाता फ्रीज करा दिया तो वह पुलिस के पास पहुंचे. यहां उन्हें जानकारी मिली कि उनके पैन कार्ड और खाते का इस्तेमाल कर आरोपियों ने तीन कंपनी कागजों पर बनाई है. साथ ही संबंधित खातों में करोड़ों रुपयों का ट्रांजेक्शन भी किया गया है.
एडिशनल डीसीपी शक्ति मोहन अवस्थी ने बताया कि अन्य फरार आरोपियों की तलाश में बुधवार को नोएडा पुलिस की आठ टीमों ने राजस्थान, दिल्ली, गुजरात और हरियाणा के अलावा यूपी के भी कई शहरों में दबिश दी. हालांकि उन्हें किसी आरोपी को गिरफ्तार करने में सफलता नहीं मिली. वहीं रोहिणी स्थित आरोपियों के कार्यालय पर बुधवार को भी नोएडा पुलिस की एक टीम पहुंची, जहां स्थानीय लोगों से आरोपियों को लेकर जानकारी ली गई.
नोएडा के एसीपी 1 रजनीश वर्मा ने बताया कि, जीएसटी विभाग ने मामले से जुड़े 1200 खातों की सूची पुलिस को दी है. इन खातों में आरोपियों ने रकम ट्रांसफर की है. सभी बैंक खातों की अलग-अलग कैटेगरी बनाई जा रही है. गुरुवार को सभी सरकारी और निजी बैंकों के अधिकारियों से संपर्क कर उन खातों की जानकारी साझा की जाएगी, जिन खातों में रकम ट्रांसफर हुई या जो खाते संदिग्ध हैं. नोएडा पुलिस इन खातों को फ्रीज कराने की कार्रवाई कर रही है. आरोपियों ने गलत तरीके से पैन कार्ड का इस्तेमाल कर ये खाते खोले थे.
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नोएडा पुलिस के अधिकारियों के मुताबिक, जिस प्रकार से रोजाना नए-नए पीड़ित सामने आ रहे हैं, ऐसे में संभावना जाहिर की जा रही है कि आने वाले दिनों में ठगी का आंकड़ा 15 हजार करोड़ की बजाय 25 से 30 हजार करोड़ रुपये तक भी पहुंच सकता है. वहीं गिरोह में शामिल आरोपियों की संख्या 60 से भी अधिक हो सकती है. गुजरात में कुछ माह पूर्व हुए फर्जीवाड़े से यह मामला कहीं बड़ा है. अब फर्जी कंपनियों के बारे में भी जानकारी एकत्र की जाएगी.