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जानिए, 83 साल की महिला और बुजुर्ग की लोकतंत्र के लिए क्या चिंता है

2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में वो बुजुर्ग भी मतदान केंद्र तक पहुंचे, जो आम दिनों में घरों से बाहर निकलते शायद ही दिखते हैं. वर्तमान भारत को लेकर इन सबने अपनी-अपनी तरह से अपनी चिंता भी व्यक्त की.

Elder concern for democracy
बुजुर्गों की लोकतंत्र के लिए चिंता
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Published : Feb 8, 2020, 5:45 PM IST

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के लगभग सभी इलाकों में ईटीवी भारत को मतदान केंद्रों पर ऐसे बुजुर्ग मिले, जो लोकतंत्र के इस महापर्व की खूबसूरती बयां कर रहे थे. इनमें 83 साल की एक महिला बुजुर्ग भी थीं. जो पीतमपुरा से चलकर लक्ष्मीनगर तक केवल वोट करने आईं थीं और 78 साल के व्हील चेयर सवार एक बुजुर्ग भी, जो चलने में भले ही असमर्थ थे, लेकिन फिर भी वोट करने पहुंचे.

बुजुर्गों की लोकतंत्र के लिए चिंता
बुजुर्गों की चिंताइनमें उम्र के 80 साल पार कर चुके आनंदपाल भी थे, जो 1952 से लगातार वोट करते आ रहे हैं, यानी पहले आम चुनाव में भी वोट किया था और 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी वोट किया. लेकिन उनकी चिंता यह है कि तब भी गरीबी एक बड़ा मुद्दा थी और अब भी गरीबी एक बड़ा चुनावी मुद्दा है.

'नई पीढ़ी सुनती ही कहां है'
82 वर्षीय सीता रानी की चिंता भी कुछ ऐसी ही थी. उनका कहना था कि अब चुनाव मुख्य मुद्दे पर नहीं होते, जो मुद्दे जनता से जुड़े हैं, उन्हें किनारा कर दिया जाता है. इस सवाल पर कि नई पीढ़ी के लिए कुछ संदेश देना चाहेंगीं, उनका कहना था कि नई पीढ़ी सुनती ही कहां है.

नई दिल्ली: राजधानी दिल्ली के लगभग सभी इलाकों में ईटीवी भारत को मतदान केंद्रों पर ऐसे बुजुर्ग मिले, जो लोकतंत्र के इस महापर्व की खूबसूरती बयां कर रहे थे. इनमें 83 साल की एक महिला बुजुर्ग भी थीं. जो पीतमपुरा से चलकर लक्ष्मीनगर तक केवल वोट करने आईं थीं और 78 साल के व्हील चेयर सवार एक बुजुर्ग भी, जो चलने में भले ही असमर्थ थे, लेकिन फिर भी वोट करने पहुंचे.

बुजुर्गों की लोकतंत्र के लिए चिंता
बुजुर्गों की चिंताइनमें उम्र के 80 साल पार कर चुके आनंदपाल भी थे, जो 1952 से लगातार वोट करते आ रहे हैं, यानी पहले आम चुनाव में भी वोट किया था और 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी वोट किया. लेकिन उनकी चिंता यह है कि तब भी गरीबी एक बड़ा मुद्दा थी और अब भी गरीबी एक बड़ा चुनावी मुद्दा है.

'नई पीढ़ी सुनती ही कहां है'
82 वर्षीय सीता रानी की चिंता भी कुछ ऐसी ही थी. उनका कहना था कि अब चुनाव मुख्य मुद्दे पर नहीं होते, जो मुद्दे जनता से जुड़े हैं, उन्हें किनारा कर दिया जाता है. इस सवाल पर कि नई पीढ़ी के लिए कुछ संदेश देना चाहेंगीं, उनका कहना था कि नई पीढ़ी सुनती ही कहां है.

Intro:2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में वो बुजुर्ग भी मतदान केंद्र तक पहुंचे, जो आम दिनों में घरों से बाहर निकलते शायद ही दिखते हैं. वर्तमान भारत को लेकर इन सबने अपनी-अपनी तरह से अपनी चिंता भी व्यक्त की.


Body:पूर्वी दिल्ली: दिल्ली के लगभग सभी इलाकों में ईटीवी भारत को मतदान केंद्रों पर ऐसे बुजुर्ग मिले, जो लोकतंत्र के इस महापर्व की खूबसूरती बयां कर रहे थे. इनमें 83 साल की एक महिला बुजुर्ग भी थीं, जो पीतमपुरा से चलकर लक्ष्मीनगर तक केवल वोट करने आईं थीं और 78 साल के व्हील चेयर सवार एक बुजुर्ग भी, जो चलने में भले ही असमर्थ थे, लेकिन फिर भी वोट करने पहुंचे.

बुजुर्गों की चिंता

इनमें उम्र के 80 साल पार कर चुके आनंदपाल भी थे, जो 1952 से लगातार वोट करते आ रहे हैं, यानी पहले आम चुनाव में भी वोट किया था और 2020 के दिल्ली विधानसभा चुनाव में भी वोट किया. लेकिन उनकी चिंता यह है कि तब भी गरीबी एक बड़ा मुद्दा थी और अब भी गरीबी एक बड़ा चुनावी मुद्दा है.


Conclusion:नई पीढ़ी सुनती ही कहां है

82 वर्षीय सीता रानी की चिंता भी कुछ ऐसी ही थी. उनका कहना था कि अब चुनाव मुख्य मुद्दे पर नहीं होते, जो मुद्दे जनता से जुड़े हैं, उन्हें किनारा कर दिया जाता है. इस सवाल पर कि नई पीढ़ी के लिए कुछ संदेश देना चाहेंगीं, उनका कहना था कि नई पीढ़ी सुनती ही कहां है.
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